
शनि देव व्रत से दूर करें शनि दोष
🌑 शनि देव व्रत से दूर करें शनि दोष – जानिए सरल विधि और लाभ 🌑
शनि देव को न्याय के देवता कहा जाता है, जो कर्मों के अनुसार फल देते हैं। यदि कुंडली में शनि अशुभ स्थान पर हो या शनि की साढ़ेसाती या ढैया चल रही हो, तो जीवन में बाधाएँ, आर्थिक संकट, और मानसिक तनाव उत्पन्न हो सकते हैं। ऐसे में शनि देव का व्रत करना अत्यंत लाभकारी माना गया है।
🔱 शनि व्रत करने की विधि:
- दिन: शनिवार को यह व्रत रखें।
- स्नान: सूर्योदय से पहले स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थान को साफ करें और शनि देव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- तेल चढ़ाएं: सरसों के तेल का दीपक जलाएं और तेल अर्पित करें।
- नीले या काले फूल, काले तिल, उड़द, और लोहे के बर्तन चढ़ाएं।
- शनि मंत्र जपें – “ॐ शं शनैश्चराय नमः” 108 बार जप करें।
- हनुमान चालीसा और शनि चालीसा का पाठ करें।
- भोजन में नमक न लें, केवल एक समय फलाहार या सात्विक भोजन करें।
- गरीबों को दान करें – काले कपड़े, तिल, लोहा, तेल आदि।
- शाम को पीपल वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं।
🌟 शनि व्रत से लाभ:
- शनि की साढ़ेसाती और ढैया के प्रभाव कम होते हैं।
- कार्यों में बाधाएँ दूर होती हैं।
- कोर्ट-कचहरी या शत्रु संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
- मानसिक शांति और आत्मबल में वृद्धि होती है।
- दुर्घटनाओं और अकस्मात संकट से रक्षा होती है।
- शनि देव व्रत से दूर करें शनि दोष
शनि देव को न्याय के देवता माना जाता है। जब कुंडली में शनि की दशा प्रतिकूल हो, तो व्यक्ति को जीवन में बाधाएं, रोग, आर्थिक तंगी और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है। ऐसे में शनि देव का व्रत करना अत्यंत लाभकारी होता है। शनि व्रत मुख्यतः शनिवार को किया जाता है। इस दिन उपवास रखकर शनि देव की पूजा, तेल चढ़ाना, काले तिल का दान करना और शनि मंत्रों का जाप करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है।
शनि व्रत से शनि की कुप्रभावी दशा शांत होती है और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आने लगते हैं। रोजगार में सफलता, कोर्ट-कचहरी के मामलों में राहत, कर्ज मुक्ति और स्वास्थ्य में सुधार जैसे कई लाभ मिलते हैं। यह व्रत भक्त के जीवन में संयम, धैर्य और कर्म के प्रति जागरूकता भी लाता है। शनि देव की कृपा से जीवन की दिशा बदल सकती है।