
भीमसेनी निर्जला एकादशी व्रत हिन्दू धर्म में अत्यंत पुण्यदायक और विशेष व्रत माना जाता है। यह व्रत ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आता है और इसे निर्जला एकादशी भी कहते हैं क्योंकि इस दिन जल तक ग्रहण नहीं किया जाता।
🌼 व्रत का महत्व:
- भीमसेन एकादशी का नाम इसलिए पड़ा क्योंकि महाभारत काल में भीमसेन (पांडवों में एक) ने यही एक व्रत किया था। वे भोजन के बिना नहीं रह सकते थे, तो ऋषि व्यास ने उन्हें सभी एकादशियों का फल देने वाला यह निर्जला एकादशी व्रत करने को कहा।
- यह व्रत सभी 24 एकादशियों का फल अकेले ही देता है।
- यह व्रत करने से पापों से मुक्ति, पुण्य की प्राप्ति और मोक्ष मिलता है।
📅 2025 में निर्जला एकादशी की तिथि:
- तिथि: 6 जून 2025 (शुक्रवार)
- पारण का समय: 7 जून 2025 को सूर्योदय के बाद (सटीक मुहूर्त स्थान के अनुसार बदलता है)
🕉 व्रत की विधि:
- व्रत की पूर्व रात्रि (दशमी) को सात्विक भोजन कर संकल्प लें।
- एकादशी को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और भगवान विष्णु की पूजा करें।
- पूरे दिन निर्जला रहें — न जल, न अन्न। (अत्यधिक बीमार या वृद्ध जन फलाहार या जल ले सकते हैं)
- भगवान विष्णु को तुलसी, पीले फूल, पंचामृत आदि से पूजन करें।
- शंखनाद और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
- रात्रि जागरण करें — भजन, कीर्तन, ध्यान करें।
- द्वादशी को दान-पुण्य करके व्रत का पारण करें।
🎁 क्या दान करें?
- जल से भरे घड़े, छाते, फल, वस्त्र, पंखा, शक्कर, बेलपत्र, जौ, और दक्षिणा ब्राह्मण को दान करें।
- प्याऊ या जल सेवा करना भी विशेष फलदायी माना जाता है।
📜 कथा संक्षेप:
भीमसेन एकादशी की कथा के अनुसार, पांडवों में भीम को भूख बहुत लगती थी, और वे अन्य एकादशियों का व्रत नहीं रख सकते थे। तब ऋषि व्यास ने उन्हें ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी (निर्जला एकादशी) का व्रत करने को कहा, जिससे सभी एकादशियों का पुण्य मिल जाए। तभी से यह व्रत भीमसेनी एकादशी कहलाया।
🌟 भीमसेनी निर्जला एकादशी व्रत के लाभ:
- सभी एकादशियों का फल एक साथ मिलता है
- यदि कोई व्यक्ति वर्ष भर अन्य एकादशी व्रत न कर पाए, तो केवल यह एक निर्जला व्रत करने से सभी एकादशियों का पुण्य मिल जाता है।
- पापों से मुक्ति
- यह व्रत सभी पापों को नष्ट करने वाला माना गया है, यहाँ तक कि अनजाने में हुए पापों का भी नाश करता है।
- स्वर्ग और मोक्ष की प्राप्ति
- मृत्यु के बाद वैकुण्ठ धाम (भगवान विष्णु का धाम) में स्थान मिलता है। विष्णु लोक में निवास करने का सौभाग्य मिलता है।
- शरीर और मन की शुद्धि
- निर्जला उपवास से आत्मिक और शारीरिक शुद्धि होती है। यह संयम और साधना की चरम सीमा मानी जाती है।
- दान का विशेष फल
- इस दिन किया गया जलदान, वस्त्रदान, अन्नदान, छाया (छाता) दान अनेक गुना फल देता है।
- कुल का उद्धार
- शास्त्रों के अनुसार, व्रती केवल स्वयं का ही नहीं, बल्कि अपने कुल (पूर्वजों) का भी उद्धार करता है।
- संतान और सुख की प्राप्ति
- संतानहीन दंपती इस दिन व्रत रखें और संतान सुख की कामना करें, तो उसे संतान प्राप्ति का फल मिल सकता है।
- विष्णु कृपा प्राप्ति
- भगवान विष्णु अत्यंत प्रसन्न होकर भक्त को संकटों से मुक्त करते हैं और उसके जीवन में समृद्धि लाते हैं।
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