
शनि दोष निवारण का व्रत
- झूठ बोलना
झूठ बोलना शनि देव को बहुत अप्रिय है। वे न्याय के देवता हैं और हमेशा सच का साथ देते हैं। - किसी गरीब, वृद्ध या असहाय व्यक्ति के साथ बुरा व्यवहार
शनि देव हमेशा गरीब, पीड़ित और निर्बलों का साथ देते हैं। अगर कोई इनके साथ अन्याय करता है तो शनि देव क्रोधित हो सकते हैं। - आलस्य करना (कामचोरी करना)
शनि देव कर्म और मेहनत के प्रतीक हैं। जो व्यक्ति कामचोरी करता है या मेहनत से भागता है, उस पर शनि की टेढ़ी दृष्टि पड़ सकती है। - नशा करना (शराब, तम्बाकू आदि)
नशा करना और नशे में गलत काम करना शनि को नाराज़ कर सकता है। - चुगली, निंदा और दूसरों के प्रति ईर्ष्या
चुगली और ईर्ष्या शनि देव को बहुत नापसंद है। ये दुर्गुण व्यक्ति को नीचे गिराते हैं और शनि के प्रकोप का कारण बनते हैं। - चोरी या बेईमानी करना
खासकर काले रंग की वस्तुएं, लोहा, तेल आदि की चोरी या गलत तरीके से अर्जन करना शनि को अत्यंत क्रोधित कर सकता है। - गुरु, माता-पिता और बुजुर्गों का अनादर करना
जो लोग अपने बड़ों का सम्मान नहीं करते, उन्हें शनि की कृपा नहीं मिलती। - 🔥 शनि देव को क्या नहीं करना चाहिए – विस्तृत विवरण में
1. ❌ झूठ बोलना और दूसरों को धोखा देना
क्यों नहीं?
शनि देव कर्मों के देवता हैं। वे हर जीव को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। झूठ बोलकर या धोखा देकर कोई भी व्यक्ति सच्चाई से भागने की कोशिश करता है, जो शनि को बिल्कुल भी पसंद नहीं।
परिणाम:
व्यक्ति को जीवन में बार-बार असफलता, अपमान और मान-सम्मान की हानि का सामना करना पड़ता है।
2. ❌ आलस्य और मेहनत से बचना
क्यों नहीं?
शनि का संबंध ‘श्रम’ यानी परिश्रम से है। वे उस व्यक्ति से खुश होते हैं जो लगातार मेहनत करता है, भले ही फल देर से मिले।
परिणाम:
आलसी व्यक्ति को शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या में विशेष कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है — नौकरी में रुकावट, धन हानि, मानसिक तनाव आदि।
3. ❌ गरीबों, वृद्धों, श्रमिकों, और सेवकों से बुरा व्यवहार
क्यों नहीं?
शनि देव स्वयं एक श्रमिक (कर्मठ) के रूप में माने जाते हैं। जो लोग सेवा करने वालों का तिरस्कार करते हैं या उन्हें अपमानित करते हैं, वे शनि के कोप का शिकार होते हैं।
परिणाम:
दंड के रूप में जीवन में संघर्ष, आर्थिक परेशानियाँ, और परिवार में कलह उत्पन्न हो सकता है।
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शनि देव को क्या
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