
होलिका दहन क्यों मनाया जाता है? 🔥🙏
होलिका दहन क्यों मनाया जाता है? 🔥🙏
होलिका दहन एक पौराणिक घटना से जुड़ा हुआ है, जो भक्त प्रह्लाद, उनकी बुआ होलिका और असुर राजा हिरण्यकश्यप की कथा से संबंधित है।
पौराणिक कथा:
असुर राजा हिरण्यकश्यप ने घमंड में आकर खुद को भगवान घोषित कर दिया था और चाहता था कि सभी उसकी पूजा करें। लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था। यह देखकर हिरण्यकश्यप क्रोधित हो गया और उसने प्रह्लाद को मारने के कई प्रयास किए, लेकिन हर बार भगवान विष्णु ने उसकी रक्षा की।
आखिर में, हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को बुलाया, जिसे वरदान प्राप्त था कि वह अग्नि में नहीं जलेगी। उसने प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठने की योजना बनाई, ताकि प्रह्लाद जलकर भस्म हो जाए। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से होलिका ही जलकर राख हो गई, जबकि प्रह्लाद सुरक्षित बच गया।
होलिका दहन का महत्व:
🔥 यह पर्व अहंकार और अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक है।
🔥 यह बताता है कि भक्तों की सच्ची श्रद्धा और भक्ति की हमेशा विजय होती है।
🔥 इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है।
🔥 इस दिन लोग अपने घरों में नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों को दूर करने के लिए होलिका दहन करते हैं।
कैसे मनाते हैं होलिका दहन?
✔ होलिका दहन की शाम को लकड़ियों, गोबर के उपलों और सूखी घास से होली तैयार की जाती है।
✔ पूजा कर नारियल, गेंहू, चने और नई फसलों को होलिका में अर्पित किया जाता है।
✔ अग्नि प्रज्वलित कर परिक्रमा की जाती है और सुख-समृद्धि की प्रार्थना की जाती है।
🔱 होली का यह पर्व हमें बुराई से दूर रहने और अच्छाई की राह पर चलने की सीख देता है। 🙏🎊
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