
हरितालिका तीज व्रत की पूजा विधि एवं लाभ
हरितालिका तीज का व्रत भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष तृतीया को रखा जाता है। यह व्रत माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप करके किया था। इस दिन महिलाएँ निर्जला उपवास रखती हैं और रात्रि जागरण भी करती हैं।
🔹 पूजा विधि
- प्रातःकाल स्नान व संकल्प
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
- स्वच्छ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें।
- पूजा स्थान की तैयारी
- मिट्टी की प्रतिमा बनाकर शिव, पार्वती और गणेश जी की स्थापना करें।
- चौकी को स्वच्छ कपड़े से ढकें और उस पर मूर्तियाँ रखें।
- श्रृंगार सामग्री अर्पण
- माता पार्वती को सुहाग सामग्री जैसे—सिंदूर, चूड़ी, बिंदी, मेहंदी, काजल, कंघी आदि अर्पित करें।
- भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, फूल, जल, दूध, दही, शहद और फल चढ़ाएँ।
- पूजन क्रम
- सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें।
- फिर भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन करें।
- धूप, दीप, नैवेद्य और फल-फूल अर्पित करें।
- व्रत कथा श्रवण
- हरितालिका तीज व्रत की कथा पढ़ें या सुनें।
- कथा में बताया जाता है कि किस प्रकार माता पार्वती ने कठिन तपस्या से शिव जी को पति रूप में पाया।
- रात्रि जागरण
- महिलाएँ इस दिन निर्जला व्रत करती हैं।
- रातभर भजन-कीर्तन व कथा का आयोजन होता है।
- व्रत का समापन
- अगले दिन ब्राह्मण या सुहागिन स्त्रियों को दान दें।
- फिर व्रती महिलाएँ भोजन ग्रहण करती हैं।
🔹 हरितालिका तीज व्रत के प्रमुख लाभ
- पति की लंबी आयु – विवाहित स्त्रियाँ यह व्रत अपने पति की दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए करती हैं।
- सुखी दांपत्य जीवन – यह व्रत दाम्पत्य जीवन में प्रेम, सामंजस्य और खुशहाली लाता है।
- अविवाहित कन्याओं को उत्तम वर की प्राप्ति – कुंवारी कन्याएँ अच्छे और योग्य वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं।
- संतान सुख की प्राप्ति – निःसंतान दंपत्ति भी संतान सुख की कामना से यह व्रत करते हैं।
- सुख-समृद्धि का आशीर्वाद – इस व्रत से घर में धन, समृद्धि और शांति बनी रहती है।
- मनोकामना पूर्ण होना – शिव-पार्वती की कृपा से मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
- पापों का क्षय – इस व्रत को करने से पूर्व जन्मों के पाप भी नष्ट होते हैं।
- आध्यात्मिक लाभ – व्रत रखने और रात्रि जागरण करने से आत्मबल, संयम और भक्ति की वृद्धि होती है।
- परिवारिक सुख-शांति – घर में कलह समाप्त होकर आपसी प्रेम और मेल-जोल बढ़ता है।
- माता पार्वती की कृपा – इस व्रत से स्त्रियों को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।
🔹 विशेष महत्व
- यह व्रत सुखी दांपत्य जीवन, पति की लंबी आयु और संतान सुख की प्राप्ति के लिए विशेष माना जाता है।
- अविवाहित कन्याएँ उत्तम वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत करती हैं।
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पूजा विधि एवं लाभ
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