
हरितालिका तीज पर भूलकर भी न करें ये काम
हरितालिका तीज पर क्या न करें 👇
- जल व अन्न का सेवन न करें – इस व्रत में निर्जल व्रत का नियम है, इसलिए गलती से भी भोजन या पानी का सेवन न करें।
- झूठ न बोलें – इस दिन असत्य वचन बोलना व्रत का प्रभाव कम करता है।
- कलह या क्रोध न करें – घर-परिवार में झगड़ा करने से व्रत का पुण्य नष्ट हो जाता है।
- काले या अपवित्र वस्त्र न पहनें – इस दिन पीले, लाल या हरे शुभ वस्त्र पहनना श्रेष्ठ माना गया है।
- किसी भी प्रकार का नशा न करें – शराब, तंबाकू या मांसाहार का सेवन वर्जित है।
- दूसरों को दुख न दें – व्रतधारी को सभी से मीठा बोलना चाहिए।
- शिव-पार्वती पूजा में लापरवाही न करें – पूजा विधि अधूरी छोड़ना अशुभ माना जाता है।
- सोने से बचें – रात को जागरण और भजन-कीर्तन करना श्रेष्ठ है।
- किसी वस्तु का दान बिना सोच-समझे न करें – केवल शुभ वस्तुओं का ही दान करना चाहिए।
- अपवित्र होकर पूजा न करें – स्नान किए बिना पूजा आरंभ न करें।
- फूल या प्रसाद छूने से पहले हाथ न धोना – यह अशुद्धि मानी जाती है।
- किसी की निंदा न करें – व्रत का पुण्य निंदा से नष्ट हो जाता है।
- व्रत का दिखावा न करें – व्रत श्रद्धा से करना चाहिए, प्रदर्शन से नहीं।
- देवी-देवताओं को मुरझाए फूल अर्पित न करें – ताजे और सुगंधित फूल ही चढ़ाएँ।
- घड़ी-घड़ी पूजा स्थल छोड़कर इधर-उधर न जाएँ – इससे पूजा का फल कम हो जाता है।
- व्रत के दिन आलस्य न करें – दिनभर उत्साह और श्रद्धा से भगवान का स्मरण करें।
- अशुद्ध भोजन पकाना या खाना न करें – रसोईघर की शुद्धि आवश्यक है।
- शिव-पार्वती की मूर्ति या चित्र को अनदेखा न करें – पूजा के बाद उन्हें सम्मानपूर्वक स्थान दें।
- व्रत तोड़ने की जल्दी न करें – व्रत चंद्र दर्शन और पूजा के बाद ही खोलें।
- भूल से भी भगवान का अपमान न करें – पूजा में पूर्ण श्रद्धा और भक्ति रखें।
✨ इन नियमों का पालन करने से हरितालिका तीज का व्रत फलदायी और सफल माना जाता है।
🌸 हरितालिका तीज की पूजा विधि
- सुबह जल्दी स्नान
व्रतधारी महिलाएँ प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। हरे, लाल या पीले रंग के कपड़े इस दिन शुभ माने जाते हैं। - व्रत संकल्प
घर के पूजा स्थान पर जल का कलश स्थापित करें और भगवान शिव-पार्वती का ध्यान करते हुए निर्जल व्रत का संकल्प लें। - शिव-पार्वती की प्रतिमा स्थापना
मिट्टी, रेत या बालू से भगवान शिव-पार्वती और गणेश जी की मूर्तियाँ बनाकर उन्हें पूजा स्थान पर विराजमान करें। - पूजा सामग्री की तैयारी
बेलपत्र, धतूरा, आक का फूल, फूल-मालाएँ, फल, मिठाई, कुमकुम, हल्दी, चावल, नारियल आदि पूजा में रखें। - व्रत कथा श्रवण
हरितालिका तीज की पौराणिक कथा का पाठ या श्रवण करना अनिवार्य है। कथा के बिना व्रत अधूरा माना जाता है। - पूजन विधि
- भगवान गणेश की पूजा सबसे पहले करें।
- फिर माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करें।
- बेलपत्र, धतूरा, फल, पुष्प और सुहाग की सामग्री (चूड़ी, बिंदिया, सिंदूर, मेहंदी) माता पार्वती को अर्पित करें।
- धूप-दीप जलाकर आरती करें।
- जागरण और भजन
रात्रि को जागरण करके शिव-पार्वती की भक्ति में भजन-कीर्तन करना शुभ माना जाता है। - व्रत का समापन
अगले दिन सुबह पूजा के बाद ब्राह्मण या सुहागिन महिला को दान देकर व्रत का समापन करें और प्रसाद ग्रहण करें।
🌺 हरितालिका तीज व्रत के लाभ
- सुहाग की दीर्घायु – विवाहित महिलाएँ इस व्रत से अपने पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं।
- अविवाहितों को मनचाहा वर – कुंवारी कन्याएँ इस व्रत से अच्छे पति और सुखद दांपत्य जीवन का आशीर्वाद पाती हैं।
- वैवाहिक जीवन में सुख-शांति – यह व्रत पति-पत्नी के बीच प्रेम और सामंजस्य बढ़ाता है।
- पापों का नाश – श्रद्धा से किए गए व्रत से पिछले जन्मों के दोष और पाप नष्ट होते हैं।
- समृद्धि और सौभाग्य – माता पार्वती की कृपा से घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
- धार्मिक पुण्य – इस व्रत से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है, जो जीवनभर साथ रहता है।
- आध्यात्मिक उन्नति – व्रत से मन की शुद्धि होती है और भक्ति भाव प्रबल होता है।
✨ यही कारण है कि हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को महिलाएँ पूरी श्रद्धा और भक्ति से यह व्रत करती हैं।
हनुमान जी का सबसे शक्तिशाली मंत्र
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हरितालिका तीज पर भूलकर भी न करें ये काम
हरितालिका तीज पर भूलकर भी न करें ये काम