
हनुमान जी के नाम की उत्पत्ति
हनुमान जी के नाम की उत्पत्ति बहुत रोचक और विभिन्न मान्यताओं से जुड़ी हुई है। यहाँ मुख्य कारण बताए जाते हैं:
1. हनुमान नाम का शाब्दिक अर्थ
- संस्कृत में “हन्” (हन) का अर्थ होता है – मारना या तोड़ना।
- “मान” का अर्थ है – ठोड़ी या जबड़ा।
इस प्रकार हनुमान का अर्थ हुआ – “जिसका जबड़ा टूटा हो”।
2. बचपन की कथा से संबंध
- कथा है कि बाल अवस्था में हनुमान जी ने सूर्य देव को फल समझकर निगलने का प्रयास किया।
- इंद्रदेव ने उन्हें रोकने के लिए अपने वज्र से प्रहार किया।
- यह प्रहार उनकी ठोड़ी (हनु) पर लगा और वह घायल हो गई।
- तभी से उन्हें “हनुमान” कहा जाने लगा।
3. अन्य नाम और कारण
हनुमान जी के अनेक नाम हैं, जो उनके गुण और कार्यों के आधार पर रखे गए हैं:
- अंजनेय – अंजना का पुत्र होने के कारण।
- मारुति – पवन देव (मारुत) के पुत्र होने के कारण।
- बजरंगबली – वज्र समान मजबूत शरीर के कारण।
- महावीर – अपार पराक्रम के कारण।
- पवनपुत्र – पवन देव के पुत्र के रूप में।
👉 इस प्रकार “हनुमान” नाम की उत्पत्ति उनकी बचपन की घटना से जुड़ी हुई है, और उनके जबड़े पर चोट लगने के कारण उन्हें यह विशेष नाम प्राप्त हुआ।
जी 🙏, हनुमान जी के नाम की उत्पत्ति को लेकर और भी मान्यताएँ बताई जाती हैं। यहाँ कुछ प्रमुख मत हैं:
1. संस्कृत व्युत्पत्ति से
- “हन्” = मारना, चोट करना
- “मान” = विशिष्ट, महान
👉 अर्थात महान योद्धा जो शत्रु का संहार करने वाला हो।
2. ज्योतिषीय मत
कुछ विद्वानों का मानना है कि उनका जन्म विशेष नक्षत्र और योग में हुआ था, जिससे उनका नाम “हनुमान” पड़ा। इसमें “हनु” का अर्थ शक्ति और “मान” का अर्थ गौरव माना जाता है।
3. दक्षिण भारत की मान्यता
कर्नाटक और तमिलनाडु की कुछ लोककथाओं में कहा गया है कि “हनुमान” का अर्थ है – “ज्ञान और विनम्रता का स्वरूप”। यहाँ “हन्” = विनाशक (अज्ञान का), और “मान” = आत्मगौरव (आध्यात्मिक चेतना का)।
4. पुराणों में उल्लेख
- ब्रह्मवैवर्त पुराण और स्कंद पुराण में वर्णन है कि इंद्र के वज्र से ठोड़ी पर चोट लगने की वजह से “हनुमान” नाम प्रचलित हुआ।
- परंतु आगे उन्हें “महावीर” और “बजरंगबली” जैसे नाम भी प्राप्त हुए।
👉 इस तरह “हनुमान” नाम केवल चोट की कथा से नहीं, बल्कि उनके पराक्रम, बल, ज्ञान और अज्ञान-विनाशक स्वरूप से भी जुड़ा हुआ है।
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