
हनुमान का जन्म एक दिव्य और चमत्कारी घटना थी। वे भगवान शिव के ग्यारहवें रुद्रावतार माने जाते हैं और उनका जन्म कई देवताओं के आशीर्वाद से हुआ था।
हनुमान की माता – अंजना
हनुमान जी की माता अंजना एक अप्सरा थीं, जो एक शाप के कारण पृथ्वी पर वानरी रूप में जन्मी थीं। उन्होंने शिव भक्ति और कठोर तपस्या करके यह वरदान पाया कि वे एक महाशक्तिशाली पुत्र को जन्म देंगी, जो संसार के कल्याण के लिए कार्य करेगा।
हनुमान जी के पिता – केसरी
वानरराज केसरी, जो पर्वतों के राजा थे, हनुमान जी के पिता थे। वे बहुत बलशाली, पराक्रमी और धर्मपरायण थे।
पवन देव का आशीर्वाद
जब माता अंजना शिव जी की तपस्या कर रही थीं, तब राजा दशरथ अपने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ कर रहे थे। इस यज्ञ से प्राप्त दिव्य खीर का एक अंश पवन देव (वायु देवता) के आशीर्वाद से माता अंजना के पास पहुँच गया। इसके फलस्वरूप हनुमान जी का जन्म हुआ। इसी कारण उन्हें पवनपुत्र हनुमान कहा जाता है।
हनुमान जी का स्वरूप और दिव्य शक्तियाँ
हनुमान का जन्म एक दिव्य प्रकाश के साथ हुआ था। वे बचपन से ही असीम बल, बुद्धि और पराक्रम के धनी थे। देवताओं ने उन्हें कई शक्तियाँ प्रदान कीं—
- शिव जी का आशीर्वाद – वे भगवान शिव के रुद्रावतार के रूप में जन्मे।
- ब्रह्मा जी का वरदान – वे अजेय और अमर हो गए।
- इंद्रदेव का आशीर्वाद – उनका शरीर वज्र से भी कठोर हो गया।
- अग्निदेव का आशीर्वाद – अग्नि उन्हें जला नहीं सकती।
- वरुणदेव का आशीर्वाद – जल में वे अजेय रहेंगे।
- यमराज का आशीर्वाद – मृत्यु से उन्हें मुक्ति मिली।
- सूर्यदेव का ज्ञान – उन्होंने हनुमान जी को अपार ज्ञान प्रदान किया।
हनुमान जी के जन्म का उद्देश्य
हनुमान जी का जन्म भगवान श्रीराम की सेवा और राक्षसों के संहार के लिए हुआ था। वे धर्म की रक्षा करने और भक्तों की सहायता करने के लिए पृथ्वी पर अवतरित हुए।
हनुमान जी की जन्म कथा हमें यह सिखाती है कि ईश्वर जब किसी विशेष कार्य के लिए किसी को धरती पर भेजते हैं, तो वे उसे दिव्य शक्तियाँ और योग्यताएँ भी प्रदान करते हैं। हनुमान जी का जीवन भक्ति, शक्ति और सेवा का अद्भुत उदाहरण है।
जय श्री राम! जय बजरंग बली! 🚩