
हनुमान गायत्री मंत्र
॥ ॐ आंजनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि।
तन्नो हनुमत् प्रचोदयात् ॥
मंत्र का अर्थ:
- ॐ – परम शक्ति, दिव्य ऊर्जा का प्रतीक
- आंजनेयाय विद्महे – हम उस आंजनेय (माता अंजना के पुत्र) को जानते हैं
- वायुपुत्राय धीमहि – हम वायुपुत्र (हनुमान जी) का ध्यान करते हैं
- तन्नो हनुमत् प्रचोदयात् – वे हमें प्रबुद्ध करें और सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा दें
मंत्र के लाभ:
✔ मानसिक बल, साहस और आत्मविश्वास बढ़ता है।
✔ नकारात्मक ऊर्जा और भय का नाश होता है।
✔ एकाग्रता और स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है।
✔ हनुमान जी की कृपा से सभी प्रकार के संकट दूर होते हैं।
हनुमान गायत्री मंत्र से मिलने वाली शिक्षा
मंत्र:
॥ ॐ आंजनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि। तन्नो हनुमत् प्रचोदयात् ॥
हनुमान गायत्री मंत्र हमें न केवल आध्यात्मिक बल देता है, बल्कि हमारे जीवन को सही दिशा में आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण शिक्षाएँ भी देता है।
1. समर्पण और भक्ति
हनुमान जी ने भगवान राम के प्रति पूर्ण समर्पण भाव रखा। यह मंत्र हमें सिखाता है कि यदि हम किसी कार्य को पूरी निष्ठा और भक्ति के साथ करें, तो सफलता निश्चित रूप से मिलेगी।
2. शक्ति और धैर्य
हनुमान जी महाबली हैं, लेकिन वे अपनी शक्ति का उपयोग सही समय और सही उद्देश्य के लिए करते हैं। यह हमें सिखाता है कि शक्ति का उपयोग विवेकपूर्ण तरीके से करना चाहिए।
3. बुद्धिमत्ता और ज्ञान
मंत्र में “धीमहि” शब्द हमें यह सिखाता है कि केवल शारीरिक बल ही नहीं, बल्कि बुद्धिमत्ता भी आवश्यक है। हनुमान जी ने अपने ज्ञान और चातुर्य से कई कठिन कार्यों को सफलतापूर्वक पूरा किया।
4. निडरता और साहस
हनुमान जी निर्भीक और साहसी थे। यह मंत्र हमें सिखाता है कि जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना धैर्य और साहस के साथ करना चाहिए।
5. सेवा और परोपकार
हनुमान जी ने निस्वार्थ भाव से श्रीराम की सेवा की। यह मंत्र हमें परोपकार और सेवा का महत्व समझाता है। यदि हम दूसरों की निस्वार्थ सेवा करते हैं, तो हमें भी ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।
🙏 इस मंत्र का श्रद्धा और विश्वास के साथ जाप करने से न केवल आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है, बल्कि जीवन में सफलता, साहस, बुद्धि और आत्मबल भी बढ़ता है। 🚩
🙏 श्रद्धा और विश्वास के साथ इस मंत्र का नित्य जाप करने से हनुमान जी की अपार कृपा प्राप्त होती है। 🚩
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हनुमान जी का गायत्री मंत्र
हनुमान जी का गायत्री मंत्र