
सौभाग्य-सुंदरी तीज व्रत सौभाग्य-सुंदरी तीज व्रत को हिंदू धर्म में विशेष रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु और सुखद वैवाहिक
सौभाग्य-सुंदरी तीज व्रत को हिंदू धर्म में विशेष रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए रखा जाता है। यह व्रत ज्यादातर श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है। इसे हरियाली तीज भी कहते हैं।
सौभाग्य-सुंदरी तीज व्रत का महत्व:
- यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन की स्मृति में मनाया जाता है।
- इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और अपने पति की लंबी आयु और समृद्धि के लिए व्रत करती हैं।
- विवाहित महिलाएं इस दिन व्रत रखकर अपने वैवाहिक जीवन में सुख, शांति, और प्रेम बनाए रखने की कामना करती हैं।
सौभाग्य-सुंदरी तीज व्रत की विधि:
- प्रातः स्नान: सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- व्रत का संकल्प: भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते समय व्रत का संकल्प लें।
- पूजा सामग्री: शिव-पार्वती की मूर्तियों के साथ पूजन के लिए रोली, चंदन, अक्षत, फल, फूल, मिठाई, और दीपक का उपयोग करें।
- पूजन विधि:
- शिव और पार्वती की मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं।
- उन्हें वस्त्र और आभूषण अर्पित करें।
- फूल, धूप, दीप और नैवेद्य चढ़ाएं।
- तीज माता की कथा सुनें या पढ़ें।
- सोलह श्रृंगार: महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और अपनी परंपरागत पोशाक पहनती हैं।
- भजन-कीर्तन: घर या मंदिर में भजन-कीर्तन का आयोजन करें।
तीज व्रत कथा:
व्रत के दौरान तीज माता की कथा सुनना अनिवार्य माना जाता है। कथा के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया। इस कथा से महिलाओं को यह संदेश मिलता है कि समर्पण और तपस्या से जीवन में सुख-शांति प्राप्त होती है।
व्रत का पारण:
व्रत का पारण अगले दिन सुबह किया जाता है। महिलाएं सबसे पहले भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद लेती हैं और फिर फलाहार करती हैं।
यह व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पति-पत्नी के रिश्ते में प्रेम और विश्वास को भी मजबूत करता है।