
सोलह सोमवार व्रत में भूल से भी न करें ये गलतियाँ
सोलह सोमवार व्रत में भूल से भी न करें ये गलतियाँ
- व्रत का संकल्प लेकर बीच में व्रत तोड़ना – 16 सोमवार का व्रत शुरू करने के बाद बीच में तोड़ना अशुभ माना जाता है।
- सूर्यास्त के बाद पूजा करना – भगवान शिव की पूजा सोमवार को सूर्योदय से दोपहर तक करनी चाहिए।
- लहसुन-प्याज और मांसाहार का सेवन – व्रत वाले दिन व्रती को सात्विक आहार ही ग्रहण करना चाहिए।
- काले या नीले वस्त्र पहनना – सोमवार के दिन सफेद या हल्के रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
- शिवलिंग पर हल्दी या सिंदूर चढ़ाना – यह वर्जित है। शिवजी को केवल चंदन, भस्म, जल, बेलपत्र, दूध, दही, शहद आदि चढ़ाएँ।
- कटा-फटा बेलपत्र चढ़ाना – बेलपत्र पर छेद, दाग या कीड़े लगे पत्ते कभी न चढ़ाएँ।
- बेलपत्र उल्टा चढ़ाना – हमेशा बेलपत्र को सही दिशा (सपाट भाग ऊपर) से चढ़ाएँ।
- शिवलिंग पर तुलसी दल चढ़ाना – तुलसी भगवान विष्णु को अर्पित की जाती है, शिवलिंग पर नहीं।
- शिवलिंग पर नारियल का पानी चढ़ाना – यह भी वर्जित है।
- किसी से कटु वचन बोलना – व्रत के दिन क्रोध, झूठ, चुगली या कटु वचन बोलना अशुभ है।
- नमक खाना – कई लोग व्रत के दौरान नमक छोड़कर फलाहार या बिना नमक का भोजन करते हैं।
- शिवलिंग पर दूषित या बार-बार उपयोग किया जल चढ़ाना – हमेशा शुद्ध गंगाजल या साफ जल से अभिषेक करें।
- शिवलिंग पर शंख से जल चढ़ाना – शंख भगवान विष्णु से जुड़ा है, इसलिए शंख से शिवलिंग पर जल अर्पण वर्जित है।
- पूजा अधूरी छोड़ना – व्रत के दिन पूजा-विधि को पूरा करना जरूरी है।
- दूसरे को दोष देना या अपशब्द कहना – व्रत में मन और वाणी की पवित्रता भी आवश्यक है।
- दान-पुण्य न करना – व्रत के दिन अपनी क्षमता अनुसार गरीबों को भोजन या वस्त्र दान करना चाहिए।
🌿 सोलह सोमवार व्रत के लाभ
- भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है।
- विवाह में आने वाली अड़चनें दूर होती हैं।
- सुखी वैवाहिक जीवन और दांपत्य सुख की प्राप्ति होती है।
- मनचाहा वर/वधु मिलता है।
- संतान सुख की प्राप्ति होती है।
- रोग-शोक, दुःख और संकटों से मुक्ति मिलती है।
- घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
- इच्छाओं की पूर्ति होती है।
- मानसिक शांति और आत्मबल की वृद्धि होती है।
- पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
📖 सोलह सोमवार व्रत से शिक्षा
- धैर्य, श्रद्धा और नियमों के साथ भगवान की पूजा करने से मनोकामना पूर्ण होती है।
- संयमित आहार और सदाचार से जीवन सफल होता है।
- भगवान शिव और पार्वती की उपासना से पति-पत्नी के बीच प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है।
- व्रत हमें जीवन में सकारात्मक सोच और विश्वास रखना सिखाता है।
🙏 सोलह सोमवार व्रत की विधि
- प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- घर के मंदिर या शिवालय में जाकर भगवान शिव-पार्वती की मूर्ति अथवा शिवलिंग स्थापित करें।
- कलश पूजन करें और संकल्प लें।
- शिवलिंग पर जल, दूध, शहद, दही और गंगाजल से अभिषेक करें।
- बेलपत्र, धतूरा, अक्षत, सफेद पुष्प, फल, मिठाई आदि अर्पित करें।
- भगवान शिव को धूप-दीप दिखाकर आरती करें।
- सोलह सोमवार की कथा अवश्य पढ़ें या सुनें।
- दिनभर सात्विक रहकर व्रत करें और संध्या को फलाहार लें।
- संध्या समय शिव परिवार की आरती करें।
🪔 पूजा सामग्री
- शिवलिंग / शिव-पार्वती की तस्वीर
- कलश, जल, गंगाजल
- दूध, दही, शहद, घी, शक्कर (पंचामृत हेतु)
- बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल-पत्ते
- सफेद फूल, अक्षत (चावल)
- रोली, चंदन, मौली
- धूप, दीपक, कपूर
- मिठाई, फल, मिष्ठान्न
- पूजा थाली, रुई की बत्ती
🌸 पूजा करने के उपाय
- सोमवार को उपवास रखें और सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें।
- शिवलिंग पर जल और बेलपत्र अर्पित करना अनिवार्य है।
- व्रत के दौरान सात्विक भोजन ही करें।
- सोमवार को काले या गहरे रंग के कपड़े न पहनें, हल्के रंग धारण करें।
- शिवलिंग पर तुलसी या हल्दी कभी न चढ़ाएँ।
- प्रत्येक सोमवार को शिव चालीसा और शिव आरती करें।
- श्रद्धापूर्वक 16 सोमवार पूरे करें और अंत में 17वें सोमवार को उद्यापन करें (कथा-पूजन और ब्राह्मण को भोजन कराना)।
🌿 सोलह सोमवार व्रत पूजा करने के नियम
- व्रत का संकल्प – पहले सोमवार को व्रत का संकल्प अवश्य लें और बिना संकल्प के बीच में व्रत न छोड़ें।
- शुद्धता का ध्यान – व्रत वाले दिन प्रातः स्नान करें और स्वच्छ (सफेद या हल्के रंग के) वस्त्र पहनें।
- सात्विक आहार – प्याज, लहसुन और मांसाहार का प्रयोग न करें। फलाहार या सात्विक भोजन ही ग्रहण करें।
- शिवलिंग पर अर्पण नियम –
- गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी, शक्कर से अभिषेक करें।
- बेलपत्र, धतूरा, आक का फूल, अक्षत और सफेद पुष्प अर्पित करें।
- बेलपत्र कभी कटा-फटा, छेद वाला या गंदा न चढ़ाएँ।
- तुलसी, सिंदूर और हल्दी शिवलिंग पर अर्पित न करें।
- पूजन समय – सोमवार को सूर्योदय से दोपहर तक शिव पूजन करना श्रेष्ठ है।
- संकल्प और कथा – पूजा के बाद सोलह सोमवार व्रत कथा का वाचन या श्रवण करें।
- ध्यान और मंत्रजाप –
- “ॐ नमः शिवाय” का जप करें।
- शिव चालीसा और शिव आरती अवश्य करें।
- व्रत के दौरान आचरण –
- झूठ, चुगली, क्रोध और अपशब्द से बचें।
- दूसरों की सेवा और दान-पुण्य करें।
- दीपक जलाना – शिवलिंग के पास घी का दीपक जलाना शुभ माना जाता है।
- उद्यापन – 16 सोमवार पूरे होने के बाद 17वें सोमवार को उद्यापन करें – इसमें कथा, पूजा और ब्राह्मण/गरीब को भोजन व दान देना जरूरी है।
👉 इन नियमों का पालन करने से व्रत पूर्ण फलदायी होता है और भगवान शिव की विशेष कृपा मिलती है।
जीवित्पुत्रिका व्रत पारण कब करें?
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