
सोमवार व्रत कथा
सोमवार व्रत कथा
प्राचीन समय की बात है, एक नगर में एक धनवान व्यापारी रहता था। वह बहुत दयालु और शिवभक्त था। उसकी पत्नी भी धर्मपरायण थी, लेकिन एक समस्या थी – उनके कोई संतान नहीं थी। इस कारण वे दोनों बहुत दुखी रहते थे।
भगवान शिव की कृपा पाने के लिए व्रत
एक दिन व्यापारी और उसकी पत्नी ने एक ऋषि से संतान प्राप्ति का उपाय पूछा। ऋषि ने उन्हें सोमवार का व्रत रखने और शिवजी की पूजा करने का सुझाव दिया। उन्होंने बताया कि यदि वे सच्चे मन से भगवान शिव का व्रत और पूजन करेंगे, तो उनकी सभी इच्छाएं पूरी होंगी।
संतान सुख की प्राप्ति
व्यापारी और उसकी पत्नी ने 16 सोमवार तक व्रत रखा। वे प्रातः स्नान कर शिवलिंग पर जल, दूध, और बेलपत्र अर्पित करते थे। भगवान शिव की आरती करके वे दिनभर उपवास रखते और संध्या के समय फलाहार करते। 16वें सोमवार को जब उन्होंने विधिपूर्वक पूजन किया, तो भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्हें एक सुंदर, तेजस्वी पुत्र प्राप्त हुआ।
व्रत का महत्व
इस चमत्कार से नगर के अन्य लोग भी प्रेरित हुए और उन्होंने भी सोमवार का व्रत रखना शुरू किया। यह व्रत न केवल संतान प्राप्ति के लिए, बल्कि सुख, शांति, और समृद्धि के लिए भी अत्यंत फलदायी माना जाता है।
सोमवार व्रत की विधि
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल चढ़ाएं।
- बेलपत्र, धतूरा, भस्म और चंदन अर्पित करें।
- “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
- दिनभर उपवास रखें और शाम को भगवान शिव की आरती करें।
- व्रत कथा सुनें और फलाहार करें।
जो भी श्रद्धा और विश्वास के साथ इस व्रत को करता है, उसे भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है।
हर हर महादेव! 🚩🙏