
सोमवती अमावस्या पर पूजा विधि
सोमवती अमावस्या पर पूजा विधि बहुत ही सरल और पवित्र है। इस दिन की पूजा मुख्य रूप से पारिवारिक सुख, समृद्धि, और पितरों की शांति के लिए की जाती है। यहाँ पूरी पूजा विधि विस्तार से दी गई है:
1. स्नान और पवित्रता
- सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदियों, सरोवरों, या तालाबों में स्नान करें। यदि नदी के पास जाना संभव न हो, तो घर के स्नान जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- स्नान के बाद साफ कपड़े पहनें और व्रत का संकल्प लें।
2. भगवान सूर्य को जल अर्पित करें
- स्नान के बाद पूर्व दिशा की ओर मुख करके सूर्य देव को जल अर्पित करें।
- सूर्य अर्घ्य के समय “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें।
3. पीपल वृक्ष की पूजा
- पीपल के वृक्ष के नीचे जाकर उसकी पूजा करें।
- वृक्ष के चारों ओर कच्चा सूत (धागा) लपेटें और 108 बार परिक्रमा करें।
- प्रत्येक परिक्रमा के साथ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का स्मरण करें।
- जल, दूध, चंदन, फल, और मिठाई से पीपल वृक्ष की पूजा करें।
4. पितरों का तर्पण
- इस दिन पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान करना शुभ माना जाता है।
- कच्चा भोजन, फल, और तिल से पितरों को अर्पण करें।
- “ॐ पितृदेवताभ्यो नमः” मंत्र का जाप करें।
5. व्रत और हवन
- महिलाएँ इस दिन निर्जल या फलाहार व्रत रखती हैं।
- दिनभर भगवान शिव, विष्णु, और देवी लक्ष्मी की पूजा करें।
- हवन में गाय के घी, तिल, और जौ का उपयोग करें और “ॐ नमः शिवाय” या “ॐ विष्णवे नमः” का जाप करें।
6. सुहागिन महिलाओं की पूजा
- विवाहित महिलाएँ इस दिन अन्य सुहागिनों को सिंदूर, चूड़ी, वस्त्र, और मिठाई भेंट करती हैं।
- उनका आशीर्वाद लें और पति की लंबी उम्र की कामना करें।
7. दान का महत्व
- इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान देना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- तिल, चावल, कपड़े, भोजन, और दक्षिणा दान करें।
विशेष मंत्र
पूजा के दौरान निम्न मंत्रों का जाप करें:
- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः”
- “ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः”
पूजा का फल
सोमवती अमावस्या पर विधिपूर्वक पूजा करने से:
- परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
- पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं।
- पति की दीर्घायु और सुखद वैवाहिक जीवन मिलता है।
यह पूजा विधि श्रद्धा और भक्ति के साथ करने पर अत्यंत शुभ फल प्रदान करती है।
सोमवती अमावस्या पर पूजा विधि
सोमवती अमावस्या पर पूजा विधि