
सूर्य भगवान को जल क्यू चढ़ाया जाता है
सूर्य भगवान को जल चढ़ाने की परंपरा हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसे अर्घ्य देना कहा जाता है, और इसके पीछे धार्मिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारण हैं।
धार्मिक कारण:
- सूर्य देवता की कृपा प्राप्त करना – हिंदू धर्म में सूर्य देव को प्रत्यक्ष देवता माना जाता है क्योंकि वे प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देते हैं और ऊर्जा, जीवन, स्वास्थ्य और समृद्धि के दाता हैं।
- पापों का नाश – मान्यता है कि नियमित रूप से सूर्य को जल चढ़ाने से पापों का नाश होता है और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता आती है।
- ग्रह दोषों की शांति – ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रह को आत्मा और ऊर्जा का प्रतीक माना गया है। यदि किसी की कुंडली में सूर्य कमजोर हो तो उसे सूर्य को जल अर्पित करने की सलाह दी जाती है।
वैज्ञानिक कारण:
- प्रकाश का लाभ – जब हम सुबह सूर्य को जल अर्पित करते हैं, तो सूर्य की किरणें जल की धार से होकर हमारी आंखों तक पहुंचती हैं, जिससे नेत्रों की रोशनी बढ़ती है।
- विटामिन-डी का लाभ – प्रातःकाल सूर्य को जल चढ़ाते समय उसकी किरणें त्वचा पर पड़ती हैं, जिससे शरीर को प्राकृतिक रूप से विटामिन-डी मिलता है।
- मानसिक शांति – यह क्रिया ध्यान और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है, जिससे मन शांत रहता है और मानसिक तनाव कम होता है।
जल चढ़ाने की विधि:
- प्रातःकाल (सुबह जल्दी) तांबे के लोटे में स्वच्छ जल लें।
- उसमें थोड़ा सा लाल चंदन, फूल, और अक्षत (चावल) डाल सकते हैं।
- पूर्व दिशा में मुख करके सीधे हाथ से जल चढ़ाएं और सूर्य मंत्र (ऊँ सूर्याय नमः) का जाप करें।
- जल अर्पित करते समय यह ध्यान रखें कि जल की धार सूरज की ओर देखते हुए ऊपर से नीचे की ओर गिरे।
निष्कर्ष:
सूर्य को जल चढ़ाने की परंपरा धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टि से लाभकारी मानी जाती है। यह न केवल आध्यात्मिक उन्नति देता है बल्कि स्वास्थ्य और सकारात्मक ऊर्जा भी प्रदान करता है। 🌞🙏
सूर्य भगवान को जल क्यू चढ़ाया जाता है
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