
सूर्य देव को जल अर्पण करने की विधि:
सूर्य देव को जल अर्पित करने की पूजा विधि (Surya Dev Ko Jal Dene Ki Pooja Vidhi) सरल है, लेकिन कुछ नियमों और श्रद्धा से इसे करना आवश्यक होता है। यह पूजा मुख्यतः प्रातःकाल सूर्य उदय के समय की जाती है।
🌞 सूर्य देव को जल अर्पण करने की विधि:
🕖 समय:
- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके शुद्ध वस्त्र पहनें।
- सूर्योदय के समय पूजा करना सबसे शुभ माना जाता है।
🧂 सामग्री:
- तांबे का लोटा (या पीतल का)
- शुद्ध जल
- लाल फूल (जैसे गुलाब, कनेर आदि)
- अक्षत (चावल)
- रोली या कुमकुम
- थोड़ा गुड़ या मिश्री (इच्छा अनुसार)
- अगरबत्ती या दीपक (घी का दीपक श्रेष्ठ होता है)
- सूर्य देव का मंत्र या स्तोत्र (जैसे आदित्य हृदय स्तोत्र)
🔱 विधि (Step-by-step):
- स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- एक तांबे के लोटे में शुद्ध जल भरें।
- उसमें थोड़ा सा रोली, अक्षत, लाल फूल और मिश्री या गुड़ डालें।
- पूर्व दिशा की ओर मुख करके खड़े हो जाएँ, जहाँ से सूर्य उदय हो रहा हो।
- दोनों हाथों से लोटा पकड़कर सूर्य देव की ओर जल अर्पण करें। (जल धीरे-धीरे गिराएँ ताकि धार बनी रहे)
- जल अर्पण करते समय निम्न मंत्रों में से कोई एक बोलें: 🌅 सूर्य मंत्र: CopyEdit
ॐ सूर्याय नमः। या ॐ घृणि सूर्याय नमः।
- जल अर्पण के बाद दोनों हाथ जोड़कर सूर्य देव को प्रणाम करें और स्वास्थ्य, शक्ति, बुद्धि व सफलता की कामना करें।
- यदि समय हो तो आदित्य हृदय स्तोत्र या गायत्री मंत्र का जाप करें।
⚠️ विशेष ध्यान देने योग्य बातें:
- जल अर्पण करते समय जल पैरों पर न गिरे, भूमि को न लगे — इसके लिए एक कटोरी या थाली नीचे रखें।
- खाली पेट जल अर्पण करना उत्तम माना जाता है।
- सूरज की सीधी किरणें आँखों पर पड़ें, यह आयुर्वेद में लाभकारी माना गया है (सूर्य स्नान)।
- सोमवार और शनिवार को जल अर्पण न करना भी कुछ परंपराओं में माना जाता है (स्थान विशेष पर निर्भर करता है)।