
सूर्य देव को जल चढ़ाने की सही विधि क्या है?
सूर्य देव को जल चढ़ाने की सही विधि (सूर्य को अर्घ्य देने की विधि):
सूर्य देव को जल चढ़ाना (अर्घ्य देना) हिन्दू धर्म में एक अत्यंत पवित्र और लाभकारी क्रिया मानी जाती है। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका वैज्ञानिक और स्वास्थ्य संबंधी लाभ भी होता है।
नीचे सूर्य को जल अर्पण करने की विधि चरणबद्ध रूप से दी गई है:
🌅 1. समय का चयन:
- सुबह सूर्योदय के समय अर्घ्य देना सबसे उत्तम माना गया है।
- कोशिश करें कि आप सूर्य उदय होते ही जल अर्पण करें, क्योंकि उस समय की किरणें स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होती हैं।
🧼 2. स्नान एवं शुद्धि:
- सूर्योदय से पहले उठें।
- स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- शारीरिक और मानसिक रूप से शुद्ध होकर सूर्य देव की पूजा करें।
🪔 3. पूजा सामग्री:
- तांबे या पीतल के लोटे में स्वच्छ जल लें।
- उसमें रोली (कुमकुम), लाल फूल, चावल और थोड़ी-सी शक्कर मिलाई जा सकती है।
- कुछ लोग जल में रक्त चंदन या गुलाब की पंखुड़ियाँ भी डालते हैं।
🙏 4. अर्घ्य देने की विधि:
- पूर्व दिशा की ओर मुख करके खड़े हों (सूर्य की ओर देखें)।
- जल से भरा लोटा दोनों हाथों से ऊपर उठाएं और धीरे-धीरे जल अर्पण करें ताकि जल की धार सूर्य की किरणों से होकर गिरे।
- इस समय सूर्य देव को मंत्र बोलते हुए जल अर्पित करें।
🔱 5. मंत्र का उच्चारण:
जल अर्पण करते समय निम्न मंत्रों का उच्चारण करें:
“ॐ सूर्याय नमः”
“ॐ घृणिः सूर्याय नमः”
“ॐ आदित्याय नमः”
अगर संभव हो तो आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ भी करें।
🛐 6. जल अर्पण के बाद:
- हाथ जोड़कर सूर्य देव को प्रणाम करें।
- अपने परिवार, स्वास्थ्य, सफलता और शांति के लिए प्रार्थना करें।
- फिर प्रणाम करके दिनचर्या प्रारंभ करें।
⚠️ कुछ आवश्यक नियम:
- जल अर्पण करते समय चप्पल पहनना वर्जित है।
- जल ऐसे स्थान पर चढ़ाएं जहां दूसरों को असुविधा न हो।
- जल सीधे सूर्य को न छुए, बल्कि केवल धार के रूप में जाए।
🌞 अर्घ्य देने के लाभ:
- नेत्रों की रोशनी में सुधार
- मानसिक शांति और आत्मबल में वृद्धि
- करियर और व्यापार में सफलता
- पापों का शमन और पुण्य की प्राप्ति
- सूर्य दोष, पितृ दोष या ग्रह बाधा का निवारण
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सही विधि क्या है?
सही विधि क्या है?