
रविवार को सूर्य को जल देने की प्रक्रिया:
सूर्य देव को जल चढ़ाने की परंपरा हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ मानी जाती है। यह न केवल आध्यात्मिक लाभ प्रदान करती है, बल्कि इसे स्वास्थ्य और मानसिक शांति के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है। सूर्य को जल चढ़ाते समय कुछ नियमों और सावधानियों का पालन करना आवश्यक है। आइए जानते हैं इनसे संबंधित प्रमुख बातें:
सूर्य देव को जल चढ़ाने के नियम:
- स्नान के बाद करें जल अर्पण
जल चढ़ाने से पहले शरीर और मन को शुद्ध रखना आवश्यक है। स्नान कर साफ वस्त्र पहनें और पूजन करें। - सूर्य को अर्घ्य देने का सही समय
सूर्योदय का समय सबसे शुभ माना जाता है। सुबह जल्दी उठकर सूर्य को अर्घ्य देना अधिक लाभकारी होता है। - तांबे के पात्र का प्रयोग करें
सूर्य को जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे का उपयोग करें। इसमें शुद्ध जल के साथ थोड़ी सी लाल चंदन, कुमकुम या रोली मिलाएं। - मंत्रों का जाप करें
जल चढ़ाते समय सूर्य के बीज मंत्र “ॐ सूर्याय नमः” या “ॐ आदित्याय नमः” का जाप करें। इससे पूजा का प्रभाव बढ़ता है। - सूर्य की ओर मुख करके खड़े हों
सूर्य की दिशा (पूर्व) की ओर मुख करके जल अर्पित करें। जल को अर्पित करते समय यह सुनिश्चित करें कि जल की धारा टूटने न पाए।
जल चढ़ाते समय इन गलतियों से बचें:
- सूर्य की ओर पीठ न करें
जल चढ़ाने के दौरान सूर्य की ओर पीठ करना अशुभ माना जाता है। हमेशा सूर्य की ओर मुख करके ही पूजा करें। - अपवित्र स्थिति में पूजा न करें
पूजा के समय मन और शरीर की शुद्धता का ध्यान रखें। अपवित्र वस्त्र या अशुद्ध मनोदशा में पूजा न करें। - जल अपव्यय न करें
जल चढ़ाने के लिए उतना ही जल लें जितना आवश्यक हो। जल का अपव्यय करना अनुचित माना जाता है। - अनुचित समय पर जल चढ़ाना
सूर्यास्त या रात के समय सूर्य को जल चढ़ाने से बचें। यह केवल सूर्योदय या दिन के समय ही किया जाना चाहिए। - प्लास्टिक के बर्तन का उपयोग न करें
प्लास्टिक या अन्य अप्राकृतिक सामग्री से जल चढ़ाना वर्जित है। इसके बजाय धातु के बर्तन का प्रयोग करें।
सूर्य को जल चढ़ाने के लाभ:
- यह स्वास्थ्य, ऊर्जा और सकारात्मकता प्रदान करता है।
- मानसिक तनाव को दूर करता है और आत्मविश्वास बढ़ाता है।
- ग्रहों की अशुभता कम होती है, विशेषकर सूर्य ग्रह से संबंधित दोष।
सूर्य देव को जल चढ़ाना एक सरल लेकिन प्रभावशाली आध्यात्मिक प्रक्रिया है। इन नियमों का पालन कर आप अपने जीवन में शुभता और सकारात्मकता ला सकते हैं।
सूर्य देव को जल चढ़ाते समय इन नियमों का करें पालन, भूलकर भी न करें ये गलती
सूर्य देव को जल चढ़ाते समय कुछ खास नियमों का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। अगर इन नियमों का ठीक से पालन किया जाए तो इससे न सिर्फ आध्यात्मिक लाभ मिलता है, बल्कि स्वास्थ्य और मानसिक शांति में भी सुधार आता है। आइए जानते हैं सूर्य देव को जल चढ़ाते समय क्या नियम अपनाने चाहिए और किन गलतियों से बचना चाहिए।
सूर्य देव को जल चढ़ाते समय पालन करने योग्य नियम:
- स्नान करके शुद्ध हो जाएं
सूर्य देव को जल अर्पित करने से पहले शरीर का शुद्ध होना आवश्यक है। स्नान करने से न केवल शारीरिक शुद्धता प्राप्त होती है, बल्कि मन भी शुद्ध होता है। - सूर्य के समय पर जल अर्पित करें
सूर्योदय के समय सूर्य देव को जल अर्पित करना सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। सूर्योदय से पहले और सूर्योदय के बाद कुछ समय तक जल अर्पित किया जा सकता है। - तांबे या चीनी के बर्तन का उपयोग करें
जल अर्पित करने के लिए तांबे या चीनी के बर्तन का प्रयोग करें। यह सूर्य देव की पूजा के लिए अधिक प्रभावशाली और शुभ होता है। - सही दिशा में खड़े होकर जल अर्पित करें
सूर्य को जल अर्पित करते समय पूर्व की दिशा की ओर मुंह करके खड़ा होना चाहिए, क्योंकि सूर्य की दिशा पूर्व है। इसी दिशा में खड़े होकर जल अर्पित करने से अधिक लाभ मिलता है। - सूर्य मंत्र का जाप करें
सूर्य देव को जल अर्पित करते समय “ॐ सूर्याय नमः” या “ॐ आदित्याय नमः” का जाप करें। यह मंत्र सूर्य देव की कृपा को आकर्षित करता है और पूजा का प्रभाव बढ़ाता है।
भूलकर भी न करें ये गलतियां:
- सूर्य की ओर पीठ न करें
कभी भी सूर्य की ओर पीठ करके जल अर्पित न करें। यह अशुभ माना जाता है। हमेशा सूर्य की ओर मुंह करके ही जल अर्पित करें। - प्लास्टिक के बर्तन का प्रयोग न करें
प्लास्टिक के बर्तन में जल न चढ़ाएं। सूर्य पूजा के लिए धातु के बर्तन जैसे तांबा, चांदी या चीनी का बर्तन उत्तम होता है। प्लास्टिक से पूजा में कोई सकारात्मकता नहीं आती। - अशुद्ध मन से पूजा न करें
पूजा करते समय मन को शुद्ध रखना आवश्यक है। अगर मन अशांत या व्यथित हो, तो जल अर्पित करने से लाभ नहीं होगा। - जल का अपव्यय न करें
जल को अनावश्यक रूप से न बहाएं। सूर्य देव को अर्पित करते समय जितना जल आवश्यक हो, उतना ही लें। - रात्रि के समय जल न चढ़ाएं
सूर्य देव को जल चढ़ाने का समय केवल दिन के समय होता है। सूर्यास्त या रात्रि के समय जल चढ़ाना निषिद्ध माना जाता है।
जल चढ़ाने के लाभ:
- स्वास्थ्य में सुधार
सूर्य देव को जल अर्पित करने से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है, जिससे स्वास्थ्य में सुधार होता है। - आध्यात्मिक उन्नति
यह पूजा व्यक्ति की आत्मा को शुद्ध करती है और मानसिक शांति प्रदान करती है। - सकारात्मकता और आत्मविश्वास
सूर्य देव की पूजा से सकारात्मकता आती है और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। - सूर्य ग्रह दोष निवारण
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य से संबंधित दोष हो, तो सूर्य देव की पूजा से वह दोष दूर होता है।
सूर्य देव को जल चढ़ाने के सही नियमों का पालन करने से न केवल आध्यात्मिक लाभ मिलता है, बल्कि यह हमारे जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाने में मदद करता है। इसलिए, इन नियमों का ध्यान रखते हुए सूर्य देव की पूजा करें और इसके फल का अनुभव करें।
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