सफला एकादशी व्रत पूजा विधि
सफला एकादशी – तारीख व तिथि
- इस वर्ष (2025) में सफला एकादशी व्रत 15 दिसंबर 2025 (सोमवार) को रखा जाएगा।
- एकादशी तिथि 14 दिसंबर की शाम करीब 6:49–8:46 बजे से शुरू होती है।
- तिथि समापन 15 दिसंबर की रात 9:19–10:09 बजे के आसपास होगा।
- इसलिए पारंपरिक अनुसार व्रत 15 दिसंबर को रखा जाता है।
सफला एकादशी श्री विष्णु को समर्पित एक अत्यंत शुभ और फलदायी एकादशी है। इस व्रत से दरिद्रता, कष्ट और बाधाएँ दूर होती हैं तथा जीवन में सफलता और सौभाग्य प्राप्त होता है।
1. व्रत से एक दिन पूर्व (दशमी) की तैयारी
- शाम को सात्त्विक भोजन लें — बिना लहसुन-प्याज का।
- मन, वाणी और कर्म से पवित्रता का पालन करें।
- रात को ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- अगले दिन प्रातः व्रत रखने का संकल्प लें।
2. व्रत वाले दिन (एकादशी) की पूजा विधि
(1) प्रातःकाल उठकर स्नान
- घर या मंदिर में श्री विष्णु की मूर्ति/चित्र स्थापित करें।
- साफ व्रत के वस्त्र पहनें।
- व्रत का संकल्प लें — “मैं भगवान विष्णु की कृपा हेतु सफला एकादशी का व्रत कर रहा/रही हूँ।”
(2) पूजन सामग्री
- गंगाजल या शुद्ध जल
- रोली, चावल, चंदन
- तुलसी दल
- पंचामृत
- धूप-दीप
- फल, मौसमी मिठाई
- पीले फूल
- पूजा की थाली, कलश
- नारियल या सुपारी (नैवेद्य के लिए)
(3) पूजा विधि
- कलश स्थापना
गंगाजल से कलश भरकर आम्रपत्र और नारियल रखें। - भगवान विष्णु का आवाहन
दीपक जलाकर श्री विष्णु और लक्ष्मी का आह्वान करें। - अभिषेक / स्नान
चित्र/प्रतिमा को शुद्ध जल या पंचामृत से स्नान कराएं (चित्र हो तो केवल जल छिड़कें)। - वस्त्र और आभूषण
पीले फूल, चंदन, रोली-अक्षत अर्पित करें। - तुलसी अर्पण
विष्णु पूजा में तुलसी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
हर अर्पण में एक तुलसी पत्ता अवश्य रखें। - धूप-दीप और नैवेद्य
फल, मिठाई और तुलसी युक्त भोग लगाएं। दीप जलाकर आरती करें। - विष्णु मंत्र / पाठ
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
या - विष्णु सहस्रनाम
- गीता का पाठ (विशेषतः अध्याय 12)
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
3. दिनभर का व्रत
- उपवास: फलाहार या निर्जला (क्षमता एवं स्वास्थ्य के अनुसार)।
- मांस-मदिरा, तामसिक भोजन से दूर रहें।
- अधिक समय भक्ति, ध्यान, जप में बिताएं।
4. रात्रि जागरण
- शाम को श्री हरि की आरती करें।
- रात में भजन-कीर्तन करें (संभव हो तो)।
5. द्वादशी के दिन व्रत पारण
- सूर्योदय के बाद भगवान की पूजा करें।
- ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन, अन्न, वस्त्र दान करें।
- सरल सात्त्विक भोजन से व्रत खोलें (दोपहर तक पारण करना श्रेष्ठ)।
सफला एकादशी व्रत के लाभ
- कार्य-सिद्धि, सफलता और सौभाग्य
- मन की शांति और मानसिक बल
- आर्थिक बाधाओं में कमी
- पाप और दोषों का नाश
- परिवार में सुख-समृद्धि
श्रीमद्भगवद्गीता का सातवाँ अध्याय “ज्ञान-विज्ञान योग”
