
संतोषी माता के व्रत में भूलकर भी न करें यह काम नहीं तो व्रत टूट जाएगा
संतोषी माता का व्रत बहुत ही श्रद्धा और नियमों से किया जाता है, और इसमें कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। यदि इन नियमों का उल्लंघन किया जाए, तो व्रत टूट सकता है और इसका फल नहीं मिलता। नीचे कुछ प्रमुख बातें दी गई हैं जिन्हें संतोषी माता के व्रत के दौरान भूलकर भी नहीं करना चाहिए:
❌ संतोषी माता के व्रत में न करें ये कार्य:
- खट्टा न खाएं:
- व्रत वाले दिन और विशेष रूप से व्रत की कथा के बाद खट्टा (जैसे – नींबू, इमली, दही, टमाटर आदि) खाना सख्त मना है।
- प्रसाद में भी खट्टा नहीं होना चाहिए।
- झगड़ा या क्रोध न करें:
- व्रत का मुख्य उद्देश्य है “संतोष” रखना, यानी हर हाल में संतुष्ट रहना। इसलिए व्रती को गुस्सा नहीं करना चाहिए और घर में किसी से झगड़ा नहीं करना चाहिए।
- लोहा या लोहे के बर्तन न इस्तेमाल करें:
- प्रसाद या व्रत संबंधी कार्यों में लोहे के बर्तनों का प्रयोग वर्जित माना जाता है। पीतल, तांबे या स्टील का उपयोग किया जा सकता है।
- व्रत कथा को अधूरा न छोड़ें:
- व्रत कथा पूरी श्रद्धा से सुनना और अंत तक पूरा करना जरूरी है। बीच में उठ जाना या ध्यान न लगाना व्रत में दोष उत्पन्न कर सकता है।
- किसी को प्रसाद खाने से न रोकें:
- जो भी कथा में उपस्थित हों, सभी को प्रसाद देना चाहिए। किसी को अपमानित करके प्रसाद न देना व्रत की शुद्धता को भंग कर सकता है।
- भूलकर भी खट्टी चीज़ें किसी और को भी न दें:
- खासकर कथा के दिन और प्रसाद के समय किसी को भी खट्टी चीजें न परोसें, इससे व्रत का पुण्य कम हो सकता है।
- व्रत की संख्या पूरी किए बिना न छोड़ें:
- संतोषी माता का व्रत आमतौर पर 16 शुक्रवार तक किया जाता है। बीच में बिना कारण छोड़ा गया व्रत अधूरा माना जाता है।
✅ व्रत को सफल बनाने के लिए करें ये कार्य:
- प्रसाद में गुड़ और चने जरूर रखें।
- माता को साफ-सुथरे स्थान में पूजें और हर शुक्रवार श्रद्धा से कथा सुनें।
- गरीबों और बच्चों को प्रसाद ज़रूर बांटें।
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