
संतोषी माता की व्रत करते समय यह कथा बोले
🌼 संतोषी माता व्रत कथा (विस्तृत रूप) 🌼
(हर शुक्रवार को व्रत करते समय श्रद्धा से सुननी चाहिए)
बहुत समय पहले की बात है, एक नगर में एक वृद्धा रहती थी। उसके सात पुत्र थे। छह बड़े पुत्र विवाहित थे, अच्छे व्यापार करते थे और खूब कमाते थे। उनकी पत्नियाँ रोज़ स्वादिष्ट भोजन बनातीं, सजे-धजे रहतीं, और ऐश्वर्यपूर्ण जीवन जीतीं।
परंतु सातवां पुत्र गरीब, भाग्यहीन और बेरोज़गार था। उसे न तो कोई रोजगार मिलता और न ही उसकी पत्नी को घर में मान-सम्मान। उसके हिस्से में जो भोजन आता, वह भी झूठा और सूखा-सादा होता। उसकी पत्नी, जो अत्यंत धर्मपरायण और विनम्र थी, सब कुछ सहती रही, परंतु एक दिन वह बहुत दुखी हो गई। उसने अपनी सास से कहा – “माँ! मुझे भी अच्छा भोजन चाहिए, अच्छे वस्त्र चाहिए, जैसे बाकी बहुओं को मिलते हैं।”
सास बोली – “जब तेरा पति कमाकर लाएगा तब तुझे सब मिलेगा।” यह सुनकर वह स्त्री अत्यंत व्यथित होकर जंगल की ओर चली गई और एक वृक्ष के नीचे बैठकर रोने लगी। तभी वहाँ संतोषी माता प्रकट हुईं और बोलीं:
“हे पुत्री! तू क्यों रो रही है?”
वह बोली – “माँ! मेरे भाग्य में कुछ नहीं है। मेरे पति बेरोज़गार हैं, घर में अपमान मिलता है, और खाने को भी भरपेट नहीं मिलता।”
माता मुस्कुराईं और बोलीं:
“यदि तू सच्चे मन से मेरा व्रत करेगी, तो तेरे सभी दुख समाप्त हो जाएंगे।”
फिर माता ने उसे व्रत विधि बताई:
🌸 संतोषी माता व्रत विधि:
- हर शुक्रवार व्रत रखें।
- प्रातः स्नान कर के संतोषी माता की पूजा करें।
- माता को गुड़ और भुने चने का प्रसाद अर्पित करें।
- व्रत के दिन कोई खट्टा पदार्थ न खाएं, न छूएं।
- माता की कथा अवश्य सुनें और अंत में आरती करें।
- 7 या 16 शुक्रवार तक व्रत करें।
- व्रत पूर्ण होने पर 8 बच्चों को गुड़-चना का प्रसाद खिलाएं, उन्हें यथाशक्ति दक्षिणा दें।
🌿 कथा का आगे का भाग:
उस स्त्री ने श्रद्धा से व्रत करना शुरू कर दिया। वह हर शुक्रवार को संतोषी माता की पूजा करती, कथा सुनती और नियमों का पालन करती। धीरे-धीरे उसके जीवन में बदलाव आने लगा। सौभाग्य से उसके पति को समुद्र पार व्यापार करने का अवसर मिला। वह विदेश गया, वहां उसे एक सेठ ने काम पर रख लिया और कुछ ही समय में वह करोड़पति बन गया।
इधर उसकी पत्नी भारत में व्रत करती रही। माता की कृपा से उसके जीवन में शांति और सुख बढ़ता गया।
कई महीनों बाद उसका पति अपार धन लेकर लौटा। उसने घर बनवाया, पत्नी को अच्छे वस्त्र-आभूषण दिए, और व्रत की सफलता में माता को धन्यवाद दिया।
लेकिन एक शुक्रवार उसकी सास ने प्रसाद में खट्टा नींबू रख दिया, जिससे माता रुष्ट हो गईं। घर में फिर से कष्ट आने लगे, धन हानि हुई, बीमारियाँ बढ़ीं। बहू ने ध्यान दिया कि कुछ गलती अवश्य हुई है।
उसने माता से क्षमा मांगी और फिर से शुद्ध नियमों के साथ व्रत करना शुरू किया। इस बार माता अत्यंत प्रसन्न हुईं और स्वयं प्रकट होकर बोलीं:
“हे पुत्री! तूने सच्चे मन से मेरा व्रत किया है। अब तेरे घर में कभी कोई कमी नहीं रहेगी। जो भी मेरे व्रत को श्रद्धा से करेगा, उसके जीवन से दरिद्रता, रोग और क्लेश समाप्त होंगे।”
माता अंतर्ध्यान हो गईं। बहू ने विधिपूर्वक व्रत पूर्ण किया, 8 बच्चों को भोजन कराया, और माता की स्तुति की।
📿 संतोषी माता का चमत्कार:
इस व्रत को करने से:
- दरिद्रता समाप्त होती है
- विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं
- पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है
- संतान सुख प्राप्त होता है
- गृह क्लेश मिटता है
- व्यवसाय में वृद्धि होती है
🔱 संतोषी माता की आरती:
(व्रत कथा के बाद यह आरती अवश्य बोलें)
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
वर देना सिखलाना, मैया वर देना सिखलाना॥दु:ख दरिद्र मिटाना, सुख संपत्ति लाना।
शत्रु भय हर लाना, मैया शत्रु भय हर लाना॥पुत्र वधू सुजाना, घर में लक्ष्मी आना।
मनोकामना पूरी करना, मैया मनोकामना पूरी करना॥हर शुक्रवार पूजा, मन से करें जो सच्चा।
भक्त का उद्धार करो, मैया भक्त का उद्धार करो॥
🪔 नियम याद रखें:
- खट्टा नहीं खाना
- क्रोध नहीं करना
- माता को गुड़ और चने ही चढ़ाना
- गरीब बच्चों को व्रत के बाद भोजन कराना
- कथा और आरती का उच्चारण करना
- मन में संतोष रखना – क्योंकि यही माता की सबसे बड़ी पूजा है।
🙏 निवेदन:
जो भी श्रद्धा से इस कथा को बोलेगा, सुनेगा या करवाएगा, उसके जीवन में माता संतोषी की कृपा अवश्य बरसेगी।