
संतान की कामना हेतु पुत्रदा एकादशी व्रत विधि
पुत्रदा एकादशी व्रत हिंदू धर्म में संतान प्राप्ति और संतान की समृद्धि के लिए विशेष रूप से किया जाने वाला पवित्र व्रत है। यह एकादशी वर्ष में दो बार आती है:
- श्रावण मास (जुलाई-अगस्त) में — इसे श्रावण पुत्रदा एकादशी कहते हैं।
- पौष मास (दिसंबर-जनवरी) में — इसे पौष पुत्रदा एकादशी कहते हैं।
इस व्रत का पालन विशेष रूप से वे दंपति करते हैं जिन्हें संतान सुख की इच्छा होती है। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना की जाती है।
🪔 पुत्रदा एकादशी व्रत विधि (व्रत करने की विधि):
🌅 पूर्व रात्रि (दशमी तिथि की संध्या):
- सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें।
- देर रात भोजन न करें।
🌄 एकादशी व्रत के दिन:
1. प्रातःकाल की तैयारी:
- सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें।
- शुद्ध और साफ वस्त्र पहनें।
- संकल्प लें: “मैं पुत्र प्राप्ति एवं भगवान विष्णु की कृपा हेतु यह एकादशी व्रत कर रहा/रही हूँ।”
2. पूजन विधि:
- पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
- भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- उन्हें पीले वस्त्र, पुष्प, तुलसी दल, धूप-दीप अर्पित करें।
- विष्णु सहस्त्रनाम, श्री विष्णु अष्टोत्तर शतनाम, या “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
- श्रीमद्भागवत या विष्णु पुराण का पाठ करें (यदि संभव हो)।
🌙 रात्रि में जागरण और कीर्तन:
- भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन करें।
- रात्रि जागरण करने का विशेष महत्व है।
- पूरे दिन फलाहार या जल-फल पर रहें।
🌅 द्वादशी तिथि (अगले दिन):
- अगले दिन प्रातः ब्राह्मण को भोजन कराएं।
- दान-दक्षिणा देकर आशीर्वाद लें।
- फिर स्वयं भोजन ग्रहण करें।
🍌 व्रत में क्या खाएं / न खाएं:
सेवन करें:
- फल, दूध, सूखे मेवे
- साबूदाना, राजगिरा, कुट्टू का आटा
वर्जित है:
- अन्न, चावल, दालें
- लहसुन, प्याज, मसालेदार भोजन
🙏 विशेष लाभ:
- संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वालों को यह व्रत अत्यंत फलदायी माना गया है।
- संतान सुख, लंबी उम्र और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
- पति-पत्नी के जीवन में सौहार्द और समृद्धि आती है।
हनुमान जी का सबसे शक्तिशाली मंत्र
https://www.youtube.com/@bhaktikibhavnaofficial/featured
संतान की कामना हेतु
संतान की कामना हेतु