
शिवलिंग पर कैंसा फूल चढ़ाए
शिवलिंग पर चढ़ाने योग्य फूलों की सूची (हिन्दी में) निम्नलिखित है:
शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाले फूल:
- धतूरा (धतूरा फूल और फल) – भगवान शिव को बहुत प्रिय है।
- अकौड़ा / आक का फूल – यह भी शिव को अत्यंत प्रिय होता है।
- नागकेसर – धार्मिक दृष्टि से शुभ माना जाता है।
- गुड़हल (लाल रंग का) – विशेष रूप से भगवान शिव को अर्पित किया जा सकता है।
- कंटक (कांटेदार फूल जैसे अपराजिता) – कुछ विशेष प्रकार के फूल जिन्हें अन्य देवताओं को नहीं चढ़ाया जाता, शिव को चढ़ सकते हैं।
- बेलपत्र के साथ फूल – सफेद फूल जैसे कनेर या चमेली भी चढ़ाए जा सकते हैं।
शिवलिंग पर नहीं चढ़ाए जाने वाले फूल:
- तुलसी के पत्ते या फूल – शिवलिंग पर वर्जित हैं।
- केवड़ा और चंपा के फूल – यह शिवलिंग पर नहीं चढ़ाने चाहिए।
- पलाश के फूल – इन्हें भी वर्जित माना गया है।
विशेष ध्यान दें:
- बेलपत्र हमेशा तीन पत्तियों वाला, साफ और खंडित न हो।
- फूल और बेलपत्र दाईं ओर से चढ़ाना चाहिए।
- फूल चढ़ाते समय मन में “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करना शुभ होता है।
शिवलिंग पर अलग‑अलग फूल चढ़ाने से माने जाने वाले “लाभ”
फूल | पारम्परिक/पौराणिक मान्यता | साधक को मिलने वाला लाभ* |
---|---|---|
धतूरा | समुद्र‑मन्थन से उत्पन्न हलाहल विष शिव ने पिया; धतूरा विष का प्रतीक है, जिसे शिव स्वीकार करते हैं | कटु वाणी, क्रोध, नशे या बुरी आदतों पर नियंत्रण, रक्त‑विकार व चर्म‑रोगों से राहत |
अकौड़ा (आक) | तप‑कठिनाई और औषधीय गुणों वाला; शिव की तपस्वी प्रकृति से जुड़ा | शारीरिक रोग‑कष्ट से मुक्ति, दीर्घायु, आकस्मिक दुर्घटनाओं से रक्षा |
नागकेसर | सुगन्धित, श्वेत‑पीत रंग; सौन्दर्य व शांति का प्रतीक | परिवार में समृद्धि, वैवाहिक‑सुख, मानसिक शान्ति |
गुड़हल (लाल) | तेजस्विता व शक्ति का द्योतक; अनेक तन्त्र ग्रन्थों में वर्णित | साहस‑बढ़ोतरी, कर्ज़‑मुक्ति, शत्रु‑नाश एवं न्यायिक मामलों में विजय |
कनेर (श्वेत अथवा पीला) | पवित्रता, सरलता, आरोग्य का संकेत | मानसिक‑दबाव कम, सद्बुद्धि, मार्गदर्शन मिलने की अनुभूति |
चमेली / मोगरा | सौम्य श्वेत सुगन्ध; सात्त्विकता | दाम्पत्य‑सुख, प्रेम‑वृद्धि, घर में शांति‑सौहार्द |
बेलपत्र (तीन पत्तियाँ) | ब्रह्मा‑विष्णु‑महेश का त्रिवेणी‑रूप; त्रिदेव को एकाकार मान्यता | सर्वांगीण कल्याण, जन्म‑जन्मान्तर के पापों से मुक्ति, दीर्घकालिक मानसिक‑शांति |
* लाभ ‘श्रद्धा’ व ‘नियत साधना’ पर निर्भर माने जाते हैं; इन्हें शाब्दिक गारंटी नहीं, बल्कि पारम्परिक लोक‑विश्वास समझें।
पूजन‑फल को अधिकाधिक बढ़ाने के छोटे‑छोटे उपाय
- पंचोपचार रखें – जल, गन्ध, पुष्प, धूप, दीप।
- फूल या बेलपत्र अभिमन्त्रित करने हेतु समर्पण से पूर्व तीन बार “ॐ नमः शिवाय” जप करें।
- चढ़ाते समय बेलपत्र को उल्टा (डंडी ऊपर, पत्ती का मुख नीचे) रखें; यह “शिव के शिर पर गंगा‑प्रवाह” का भाव देता है।
- सोमवार, प्रदोष‑व्रत, महाशिवरात्रि अथवा श्रावण‑मास में किए गए पुष्प‑अर्पण का फल सामान्य दिनों से कई गुना कहा गया है।
- पूजन‑उपरान्त वही बेलपत्र/फूल घर में ताबीज़ या पानी में डालकर छिड़कने से नकारात्मक‑ऊर्जा घटती मानी जाती है।
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