
शारदीय नवरात्रि 2025: माता रानी के स्वागत का पावन पर्व
शारदीय नवरात्रि 2025: माता रानी के स्वागत का पावन पर्व
परिचय:
शारदीय नवरात्रि हिन्दू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पावन पर्व है, जिसे शक्ति उपासना के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 2025 में शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ 29 सितंबर 2025, सोमवार से होगा और इसका समापन 7 अक्टूबर 2025, मंगलवार को विजयादशमी (दशहरा) के दिन होगा। यह पर्व माँ दुर्गा और उनके नौ रूपों की आराधना को समर्पित है।
कलश स्थापना का महत्व:
शारदीय नवरात्रि की शुरुआत घटस्थापना (कलश स्थापना) से होती है। यह कलश ऊर्जा, पवित्रता और मंगल कार्यों का प्रतीक माना जाता है। शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित कर माँ दुर्गा का आह्वान किया जाता है।
व्रत और पूजा विधि:
- नवरात्रि के दौरान भक्त प्रातः स्नान कर माता दुर्गा की पूजा करते हैं।
- कलश स्थापना के बाद अखंड ज्योति प्रज्वलित की जाती है।
- नौ दिन तक उपवास रखकर भक्त केवल सात्विक भोजन का सेवन करते हैं।
- दुर्गा सप्तशती, देवी कवच और मंत्रों का पाठ विशेष फलदायी होता है।
इस प्रकार शारदीय नवरात्रि 2025 भक्तों के लिए माँ दुर्गा का आशीर्वाद पाने का दिव्य अवसर है।
शारदीय नवरात्रि 2025: माता रानी के स्वागत का पावन पर्व – विस्तृत विवरण
शारदीय नवरात्रि हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पावन पर्व है, जो हर वर्ष आश्विन मास में मनाया जाता है। यह पर्व माँ दुर्गा की उपासना और आराधना का प्रतीक है। नवरात्रि का शाब्दिक अर्थ है ‘नौ रातें’, जो देवी माँ के नौ रूपों की पूजा करने का समय होता है। वर्ष 2025 में शारदीय नवरात्रि (तिथि अनुसार 17 अक्टूबर से 25 अक्टूबर) तक मनाई जाएगी। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी अत्यंत मूल्यवान है।
नवरात्रि का महत्व
- माँ दुर्गा की आराधना – नवरात्रि में नौ दिन तक माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है: शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री।
- असुरों पर विजय – यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत और अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है।
- आध्यात्मिक शुद्धि – व्रत, भजन, कीर्तन और पूजा से मन, वचन और कर्म शुद्ध होते हैं।
- सकारात्मक ऊर्जा – घर और वातावरण में देवी शक्ति का वास होता है, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है।
नवरात्रि पूजा की तैयारी
- घर की सफाई और सजावट – घर को स्वच्छ करना और फूलों, रंगोली और दीपों से सजाना।
- कलश स्थापना – नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना से होती है। कलश में जल, सुपारी, अक्षत और आम के पत्ते रखकर देवी का स्वागत किया जाता है।
- पूजा सामग्री – फूल, धूप, दीपक, अगरबत्ती, नारियल, हल्दी, कुमकुम, प्रसाद सामग्री जैसे फल और मिठाई।
- व्रत और उपवास – कुछ लोग पूरे नौ दिन व्रत रखते हैं तो कुछ केवल फलाहारी भोजन करते हैं।
नवरात्रि के दौरान दिन विशेष पूजा
- पहला दिन – शैलपुत्री माता की पूजा।
- दूसरा दिन – ब्रह्मचारिणी माता की पूजा।
- तीसरा दिन – चंद्रघंटा माता की पूजा।
- चौथा दिन – कूष्मांडा माता की पूजा।
- पाँचवाँ दिन – स्कंदमाता की पूजा।
- छठा दिन – कात्यायनी माता की पूजा।
- सातवाँ दिन – कालरात्रि माता की पूजा।
- आठवाँ दिन – महागौरी माता की पूजा।
- नौवाँ दिन – सिद्धिदात्री माता की पूजा।
नवरात्रि में ध्यान रखने योग्य बातें
- पूजा के समय शुद्ध मन और श्रद्धा का होना आवश्यक है।
- व्रत रखने वाले व्यक्ति को सोने से पहले हल्का स्नान करना चाहिए।
- अनावश्यक क्रोध और झगड़े से बचना चाहिए।
- नवरात्रि के नौ दिन देवी की कथा सुनना और भजन करना शुभ होता है।
नवरात्रि का लाभ
- मन और शरीर की ऊर्जा बढ़ती है।
- मानसिक शांति और ध्यान की क्षमता बढ़ती है।
- घर और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
- देवी की कृपा से प्रत्येक कार्य में सफलता मिलती है।
निष्कर्ष:
शारदीय नवरात्रि केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह आत्मा, मन और समाज की शुद्धि का अवसर है। माता रानी का स्वागत श्रद्धा और भक्ति के साथ करना हर भक्त के जीवन में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा लाता है। 2025 के इस पर्व में माता दुर्गा के नौ रूपों की उपासना करके हम अपने जीवन को आध्यात्मिक रूप से समृद्ध कर सकते हैं।
शारदीय नवरात्र 2025: आरंभ तिथि और शुभ मुहूर्त