शारदीय नवरात्रि व्रत कब से है
शारदीय नवरात्रि व्रत कब से है?
शारदीय नवरात्रि प्रतिवर्ष आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक मनाई जाती है। इसे शारदीय इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह शरद ऋतु में पड़ती है। यह नवरात्रि आमतौर पर सितंबर से अक्टूबर के बीच आती है।
- वर्ष 2025 में शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर, सोमवार से शुरू होकर 30 सितंबर, मंगलवार तक रहेगी।
- प्रतिपदा तिथि को घटस्थापना या कलश स्थापना की जाती है और उसके साथ ही व्रत की शुरुआत होती है।
- नवमी या दशमी तिथि को व्रत का समापन होता है, जिसे दुर्गा नवमी और विजयादशमी (दशहरा) के रूप में मनाया जाता है।
धार्मिक मान्यता
- शारदीय नवरात्रि का संबंध मां दुर्गा की शक्ति साधना से है।
- मान्यता है कि इसी समय भगवान राम ने रावण के वध के लिए मां दुर्गा की उपासना की थी।
- नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा का समय होता है।
- भक्त इस दौरान व्रत रखते हैं और मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करते हैं।
व्रत का प्रारंभ और परंपरा
- व्रत की शुरुआत कलश स्थापना (घटस्थापना) से होती है। इसे शुभ मुहूर्त में किया जाता है।
- व्रत रखने वाले व्यक्ति प्रतिदिन मां दुर्गा की आरती, पाठ और भजन करते हैं।
- बहुत से लोग पूरे नौ दिन निर्जल या फलाहार व्रत करते हैं, वहीं कुछ लोग केवल अष्टमी या नवमी तक व्रत रखते हैं।
- नवमी या अष्टमी को कन्या पूजन कर व्रत का समापन किया जाता है।
शारदीय नवरात्रि व्रत का महत्व
- जीवन में शांति, समृद्धि और सुख का आगमन होता है।
- कठिन परिस्थितियों से छुटकारा मिलता है।
- नवरात्रि का व्रत करने से शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक बल प्राप्त होता है।
- इसे शक्ति साधना का सबसे श्रेष्ठ समय माना जाता है।
👉 यानी शारदीय नवरात्रि व्रत आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक है और 2025 में यह 22 सितंबर से 30 सितंबर तक मनाया जाएगा।
शारदीय नवरात्रि व्रत के लाभ
- मां दुर्गा की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है।
- कठिन परिस्थितियों और संकटों से छुटकारा मिलता है।
- संतान सुख, स्वास्थ्य और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
- घर-परिवार में सकारात्मक ऊर्जा और सौभाग्य का वास होता है।
- व्यापार, नौकरी और पढ़ाई में सफलता मिलती है।
- मानसिक शांति और आत्मबल की प्राप्ति होती है।
📖 शारदीय नवरात्रि व्रत से शिक्षा
- व्रत हमें अनुशासन और संयम का संदेश देता है।
- यह व्रत आत्मशक्ति और श्रद्धा को बढ़ाता है।
- हमें यह शिक्षा मिलती है कि बुराई पर अच्छाई की हमेशा जीत होती है।
- माता दुर्गा की उपासना से जीवन में साहस और धैर्य बढ़ता है।
- यह पर्व भक्ति और आत्मनियंत्रण का मार्ग सिखाता है।
🪔 शारदीय नवरात्रि व्रत विधि
- प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना (घटस्थापना) शुभ मुहूर्त में करें।
- कलश में जल भरकर, आम के पत्ते और नारियल रखें।
- नौ दिनों तक अखंड ज्योति जलाएं (घी/तेल का दीपक)।
- प्रतिदिन माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करें।
- दुर्गा सप्तशती, देवी कवच, चंडी पाठ या दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
- व्रत में फलाहार करें और सात्विक भोजन ही ग्रहण करें।
- अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन कर व्रत का समापन करें।
🌼 पूजा सामग्री
- कलश (जल से भरा हुआ)
- नारियल और आम के पत्ते
- रोली, चावल, हल्दी, कुमकुम
- दुर्गा माता की प्रतिमा या चित्र
- पुष्प और माला
- धूप, दीपक और घी/तेल
- लाल चुनरी और वस्त्र
- पान, सुपारी, लौंग, इलायची
- अक्षत और मिठाई
- सप्त धान्य (जौ/गेहूं आदि)
- कन्या पूजन के लिए प्रसाद (पूड़ी, हलवा, चना आदि)
✨ पूजा करने के उपाय
- व्रत के दौरान मां दुर्गा को लाल वस्त्र और लाल फूल अर्पित करें।
- सुबह-शाम दीपक जलाकर आरती करें।
- दुर्गा सप्तशती या चंडी पाठ का नियमित पाठ करें।
- व्रत के समय नकारात्मक विचारों से दूर रहें और सात्विक आहार लें।
- नवमी के दिन कन्या पूजन अवश्य करें, इससे मां दुर्गा अति प्रसन्न होती हैं।
- घर में कलश स्थापना उत्तर-पूर्व दिशा में करें।
- अष्टमी/नवमी पर गरीबों को भोजन कराना और दान करना शुभ होता है।
🌺 शारदीय नवरात्रि की धार्मिक मान्यता
- शक्ति उपासना का पर्व
शारदीय नवरात्रि को मां दुर्गा की शक्ति की उपासना का सबसे बड़ा पर्व माना गया है। इस समय मां दुर्गा अपने नौ स्वरूपों के साथ पृथ्वी पर विराजमान होती हैं और भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं। - रामायण से संबंध
मान्यता है कि त्रेतायुग में भगवान श्रीराम ने लंका पर विजय पाने से पहले आश्विन शुक्ल पक्ष की नवरात्रि में मां दुर्गा की साधना की थी। मां दुर्गा ने प्रसन्न होकर उन्हें रावण वध में विजय का आशीर्वाद दिया। इसलिए नवरात्रि को अखण्ड शक्ति की साधना और विजय की आराधना माना जाता है। - देवी और असुर संग्राम की कथा
पुराणों के अनुसार महिषासुर नामक राक्षस ने कठोर तप कर ब्रह्माजी से अमरत्व का वर प्राप्त किया था। उसके आतंक से देवता और मनुष्य सभी परेशान हो गए। तब सभी देवताओं की शक्तियों के मिलन से मां दुर्गा का प्राकट्य हुआ। मां दुर्गा ने नौ दिनों तक महिषासुर से युद्ध किया और दशमी के दिन उसका वध किया। इसी कारण नवरात्रि के नौ दिन और दशहरे का पर्व विजय का प्रतीक है। - पौराणिक महत्व
- शारदीय नवरात्रि को देवी भागवत, मार्कंडेय पुराण और दुर्गा सप्तशती में अत्यंत पवित्र माना गया है।
- यह व्रत साधक को धन, सुख, शक्ति और ज्ञान प्रदान करता है।
- जो भक्त पूरे श्रद्धाभाव से व्रत रखते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- सांस्कृतिक परंपरा
नवरात्रि केवल पूजा का पर्व नहीं है, बल्कि यह लोक संस्कृति और भक्ति परंपरा से भी जुड़ा है। इस दौरान देवी जागरण, गरबा, डांडिया और रामलीला जैसी परंपराएं मनाई जाती हैं।
👉 निष्कर्ष यह है कि शारदीय नवरात्रि की धार्मिक मान्यता बुराई पर अच्छाई की विजय और शक्ति साधना से जुड़ी है। इसे करने से भक्त को मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
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