
शनि दोष निवारण का व्रत
शनि दोष निवारण का व्रत (Shani Dosh Nivaran Vrat) एक विशेष धार्मिक उपाय है जो शनि देव की कृपा पाने और शनि से संबंधित कष्टों को दूर करने के लिए किया जाता है। शनि दोष का प्रभाव जातक की कुंडली में शनि की अशुभ स्थिति के कारण होता है, जैसे कि शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या या शनि की महादशा। इस व्रत को विधिपूर्वक करने से जीवन में आने वाली बाधाएं, रोग, दुर्भाग्य, और आर्थिक समस्याएँ दूर होती हैं।
व्रत का महत्व:
- शनि दोष के प्रभाव को शांत करता है
- दुर्भाग्य, रोग, दरिद्रता व रुकावटें दूर होती हैं
- कार्यों में सफलता और स्थिरता मिलती है
- न्यायप्रिय शनि देव प्रसन्न होकर शुभ फल प्रदान करते हैं
व्रत करने का दिन:
- शनिवार को यह व्रत किया जाता है
- विशेष रूप से शनि जयंती या अमावस्या के शनिवार को यह व्रत अधिक प्रभावशाली माना जाता है
शनि व्रत विधि:
- स्नान व शुद्धि:
- सूर्योदय से पूर्व उठें
- तिल अथवा काली उड़द डालकर स्नान करें
- काले वस्त्र धारण करें:
- व्रत के दिन काले या नीले वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है
- शनि देव की पूजा:
- पीपल के वृक्ष के नीचे शनि देव की मूर्ति या तस्वीर रखें
- सरसों का तेल, काले तिल, उड़द, नीले फूल, लोहे का सामान अर्पित करें
- शनि मंत्रों का जाप करें:
“ॐ शं शनैश्चराय नमः” – 108 बार
- दीपदान करें:
- पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएँ
- दीपक में काले तिल डालें और “शनि चालीसा” या “शनि स्तोत्र” पढ़ें
- भोजन व उपवास:
- केवल एक समय भोजन करें या फलाहार लें
- भोजन में नमक का त्याग करना शुभ माना जाता है
- दान पुण्य:
- काले तिल, उड़द, काला कपड़ा, छाता, लोहे का बर्तन, जूते-चप्पल आदि का दान करें
- गरीबों, विशेष रूप से मजदूरों या नेत्रहीनों को भोजन कराएँ
विशेष मंत्र:
- शनि बीज मंत्र:
“ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः” - शनि गायत्री मंत्र:
“ॐ क्रौं क्रौं क्रौं सः शनैश्चराय धीमहि, तन्नः मन्दः प्रचोदयात्”
व्रत की अवधि:
- यह व्रत 11, 21 या 51 शनिवारों तक किया जा सकता है
- नियमित रूप से शनिवार का व्रत रखने से शनि दोष शांत होता है
- शनि दोष निवारण का व्रत
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