
शनि देव की कथा
एक समय की बात है, राजा दशरथ अपनी प्रजा के साथ सुखपूर्वक राज्य कर रहे थे। तभी उन्हें ज्ञात हुआ कि शनि देव की दृष्टि उनके राज्य पर पड़ने वाली है, जिससे भयंकर संकट आ सकता है। राजा दशरथ चिंतित हो गए और उन्होंने शनि देव से भेंट करने का निश्चय किया।
राजा दशरथ अपने दिव्य रथ पर सवार होकर शनि लोक पहुंचे और वहां विनम्रता से शनि देव को प्रणाम किया। उन्होंने प्रार्थना करते हुए कहा, “हे प्रभु! कृपया मेरे राज्य और प्रजा पर अपनी क्रूर दृष्टि न डालें।”
शनि देव मुस्कुराए और बोले, “राजन, मेरी दृष्टि जिस पर भी पड़ती है, उसे कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। मैं अपने धर्म के अनुसार कर्म करता हूं।”
लेकिन राजा दशरथ ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने अपने धर्म, भक्ति और शक्ति से शनि देव को प्रसन्न कर लिया। उनकी भक्ति से प्रभावित होकर शनि देव ने कहा, “हे दशरथ! तुम धर्मपरायण राजा हो। तुम्हारी भक्ति और सत्यनिष्ठा से प्रसन्न होकर मैं तुम्हारे राज्य को अपने अशुभ प्रभाव से मुक्त करता हूं।”
तब से यह मान्यता बनी कि जो भी सच्चे मन से शनि देव की पूजा करता है, उनकी कृपा प्राप्त करता है। शनिवार को व्रत, दान और हनुमान जी की उपासना करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं और भक्तों के कष्ट दूर करते हैं।
📿 शनि देव की कृपा पाने के उपाय:
- हर शनिवार शनि देव को तिल का तेल चढ़ाएं।
- पीपल के वृक्ष की पूजा करें और दीप जलाएं।
- जरूरतमंदों को काला तिल, उड़द दाल, और लोहे से बनी चीजें दान करें।
- शनि चालीसा और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
🙏 जय शनि देव! 🙏
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