
शनि देव की कथा शनि देव को न्याय के देवता और कर्मों के फलदाता माना जाता है। उनकी कथा हिंदू पुराणों में विस्तार से मिलती है।
शनि देव को न्याय के देवता और कर्मों के फलदाता माना जाता है। उनकी कथा हिंदू पुराणों में विस्तार से मिलती है।
शनि देव की उत्पत्ति
शनि देव सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया के पुत्र हैं। कहा जाता है कि जब शनि देव का जन्म हुआ, तो उनकी दृष्टि पड़ते ही सूर्य देव का रंग काला पड़ गया। इस कारण सूर्य देव ने उन्हें अपनाने से इंकार कर दिया। इससे नाराज़ होकर शनि देव ने घोर तपस्या की और भगवान शिव से विशेष शक्तियां प्राप्त कीं।
शनि देव और उनकी दृष्टि
शनि देव की दृष्टि को क्रूर माना जाता है, लेकिन वे केवल न्याय के देवता हैं। वे हर व्यक्ति को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। यदि किसी ने अच्छे कर्म किए हैं, तो शनि देव का प्रभाव शुभ होता है, लेकिन बुरे कर्म करने वालों को कड़ा दंड मिलता है।
शनि देव और भगवान हनुमान
एक कथा के अनुसार, जब रावण ने शनि देव को कैद कर लिया था, तो भगवान हनुमान ने उन्हें मुक्त कराया था। इसके बाद शनि देव ने हनुमान जी से वचन दिया कि जो भी उनकी भक्ति करेगा, उस पर शनि की साढ़े साती और ढैय्या का बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा।
शनि की साढ़े साती और उपाय
शनि देव की साढ़े साती और ढैय्या के दौरान व्यक्ति को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस दौरान शनिदेव की कृपा पाने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ, शनि मंदिर में तेल चढ़ाना और जरूरतमंदों की मदद करना शुभ माना जाता है।
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शनि देव की कथा
शनि देव की कथा