
शनिवार के दिन भगवान शनिदेव की पूजा विधि
शनिवार पूजा की तैयारी
- स्नान एवं शुद्धि –
प्रातःकाल स्नान करके साफ और काले/नीले वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को पवित्र करें और शनिदेव की प्रतिमा या चित्र को पूर्व या पश्चिम दिशा में स्थापित करें। - सामग्री –
- काला तिल
- सरसों का तेल
- काला कपड़ा
- नीला फूल (अपराजिता, शमी पत्र, नीला कमल आदि)
- लौंग, इलायची, कपूर
- काले उड़द या उड़द दाल
- लोहे का दीया
- नारियल, गुड़, शक्कर और काले तिल से बने लड्डू
- हवन सामग्री (यदि संभव हो)
शनिदेव पूजा विधि
- दीप प्रज्वलन –
शनिदेव के समक्ष लोहे के पात्र में सरसों का तेल डालकर दीपक जलाएं। दीपक को काले तिल या उड़द की दाल के पास रखें। - पंचोपचार/षोडशोपचार पूजा –
- अभिषेक – शुद्ध जल से शनिदेव का अभिषेक करें।
- अर्पण – काले तिल, शमी पत्र, नीले फूल, तेल अर्पित करें।
- धूप-दीप – धूप और लोहे के दीये से आरती करें।
- भोग – गुड़, तिल के लड्डू या उड़द की दाल का प्रसाद चढ़ाएं।
- मंत्र जाप –
कम से कम 11, 108 या 1008 बार शनिदेव का बीज मंत्र या शनि स्तोत्र का पाठ करें।- बीज मंत्र: ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
- दशरथकृत शनि स्तोत्र या शनि चालीसा का पाठ करें।
- शनि देव की आरती –
पूजा के अंत में शनिदेव की आरती करें और सभी परिवारजन मिलकर श्रद्धा से गाएं।
विशेष उपाय शनिवार के दिन
- पीपल के वृक्ष पर सरसों का तेल का दीपक जलाएं।
- गरीब, विकलांग, बुजुर्ग या किसी जरूरतमंद को काला कपड़ा, काले तिल, उड़द दाल, सरसों का तेल या जूते-चप्पल दान करें।
- कौवों, कुत्तों और मजदूर वर्ग को भोजन कराना शुभ फल देता है।
- लोहे या काले घोड़े की नाल से बनी अंगूठी धारण करना भी लाभकारी माना जाता है।
शनिवार व्रत विधि
- इस दिन व्रत रखने वाले केवल एक समय फलाहार करें और दिनभर भगवान शनिदेव का स्मरण करें।
- सूर्यास्त के बाद तेल का दीपक जलाकर शनिदेव से क्षमा प्रार्थना करें।
- व्रत की कथा का श्रवण करें और संध्या के समय शनि आरती अवश्य करें।
शनिवार को भगवान शनिदेव की पूजा
पूजा सामग्री
शनिवार को शनिदेव की पूजा के लिए निम्न सामग्री रखनी चाहिए:
- स्वच्छ जल और गंगाजल
- काले तिल (Til)
- सरसों का तेल (Mustard Oil)
- लोहे का दीया और पात्र
- नीला या काला कपड़ा
- नीले व काले फूल (नीला कमल, अपराजिता, शमी पत्र)
- उड़द की दाल
- शक्कर, गुड़, और तिल के लड्डू
- धूप, कपूर, लौंग, इलायची
- नारियल और मौ seasonal फल
- शमी पत्र (विशेष रूप से प्रिय)
- पीपल के पत्ते
- शनि चालीसा / दशरथकृत शनि स्तोत्र की पुस्तक
- सिंदूर, अक्षत (चावल), रोली
- कौवों और कुत्तों को खिलाने हेतु रोटी
पूजा के नियम
- स्नान एवं वस्त्र –
शनिवार को प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छता का पालन करें। नीले या काले वस्त्र धारण करें। - पूजा का स्थान –
मंदिर या घर के पवित्र स्थान पर शनिदेव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। संभव हो तो पीपल के वृक्ष के नीचे भी पूजा की जा सकती है। - दीपक नियम –
लोहे के दीपक में सरसों का तेल भरकर काले तिल डालें और शनिदेव के समक्ष जलाएं। यह दीपक सूर्यास्त के समय पीपल के पेड़ के नीचे भी रखा जा सकता है। - अभिषेक और अर्पण –
शनिदेव को शुद्ध जल और गंगाजल से स्नान कराएं। काले तिल, शमी पत्र, नीले फूल, तेल, उड़द दाल और प्रसाद अर्पित करें। - मंत्र और जप –
- बीज मंत्र: ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
- 11, 108 या 1008 बार मंत्र जप करने से विशेष फल मिलता है।
- शनि चालीसा या शनि स्तोत्र का पाठ करें।
- दान नियम –
शनिवार को काले वस्त्र, काले तिल, उड़द, सरसों का तेल, लोहे की वस्तुएं, जूते-चप्पल गरीब या जरूरतमंद को दान करें। - भोजन नियम –
इस दिन शराब, मांसाहार, प्याज-लहसुन से बने भोजन से परहेज करें।
व्रत करने वाले व्यक्ति केवल एक बार फलाहार या सात्विक भोजन करें। - विशेष नियम –
- पीपल के वृक्ष की पूजा करें और उसके नीचे दीपक जलाएं।
- कौवों, कुत्तों और मजदूर वर्ग को भोजन अवश्य कराएं।
- पूजन के बाद शनिदेव की आरती करना न भूलें।
शनिवार को शनिदेव की पूजा के लाभ
- शनि दोष से मुक्ति –
साढ़ेसाती, ढैय्या और कुंडली में शनि से जुड़े कष्ट कम होते हैं। - न्याय और सफलता –
जीवन में अन्याय, कठिनाई और संघर्ष का अंत होता है। परिश्रम का उचित फल मिलता है। - धन-समृद्धि –
व्यापार, नौकरी, धन लाभ और मान-सम्मान में वृद्धि होती है। - स्वास्थ्य लाभ –
रोग, कष्ट और मानसिक तनाव दूर होकर मन में शांति आती है। - नकारात्मक प्रभाव से मुक्ति –
बुरी नजर, शत्रु बाधा, कोर्ट-कचहरी और ग्रहों के अशुभ प्रभाव से छुटकारा मिलता है। - घर-परिवार में शांति –
कलह, दरिद्रता और बाधाएं दूर होकर सुख-शांति का वातावरण बनता है।
तुलसी पूजन में घी का दीपक या तेल का दीपक?