
आदि शंकराचार्य जयंती भारत के महानतम संतों और दार्शनिकों में से एक आदि शंकराचार्य के जन्मदिवस के रूप में मनाई जाती है। 2025 में यह पर्व 5 मई को है। नीचे उनके जीवन, योगदान और जयंती से जुड़ी विस्तृत जानकारी दी गई है:
🕉️ आदि शंकराचार्य: जीवन परिचय
- जन्म तिथि: वैदिक पंचांग अनुसार, वैसाख शुक्ल पंचमी (2025 में 5 मई)
- जन्म स्थान: केरल के कालड़ी गाँव में
- जीवन काल: लगभग 788 – 820 ईस्वी (कुछ विद्वान इसे अलग मानते हैं)
- मृत्यु स्थान: केदारनाथ, उत्तराखंड
📚 दर्शन और शिक्षा
- दर्शन: अद्वैत वेदांत “ब्रह्म सत्यं, जगन्मिथ्या, जीवो ब्रह्मैव नापरः” (ब्रह्म सत्य है, जगत माया है, आत्मा और ब्रह्म एक ही हैं)
- उन्होंने वेद, उपनिषद, भगवद गीता आदि पर भाष्य लिखे जो आज भी संदर्भ माने जाते हैं।
- उनके दर्शन ने उस समय व्याप्त विविध संप्रदायों के बीच एकता की भावना उत्पन्न की।
🏛️ महान कार्य और योगदान
- चार मठों की स्थापना (चार धाम):
- उत्तर: ज्योतिर मठ (बद्रीनाथ, उत्तराखंड)
- दक्षिण: श्रृंगेरी मठ (कर्नाटक)
- पूर्व: गोवर्धन मठ (पुरी, ओडिशा)
- पश्चिम: शारदा मठ (द्वारका, गुजरात)
- संन्यास परंपरा का पुनरुद्धार: दस नामों (दशनामी) वाली संन्यास परंपरा की स्थापना की।
- भाष्य लेखन:
- ब्रह्मसूत्र, भगवद्गीता, उपनिषद आदि पर सटीक और गहन भाष्य।
- अनेक स्तोत्र रचना जैसे – सौंदर्य लाहरी, भज गोविंदम्, शिवानंद लहरी।
📅 शंकराचार्य जयंती का महत्व
- यह दिन भारतीय संस्कृति, वेदांत दर्शन और आध्यात्मिकता के गौरवशाली इतिहास को सम्मान देने का अवसर है।
- भारत भर के मठों और मंदिरों में विशेष पूजा, प्रवचन, वेदपाठ, और ध्यान सत्र आयोजित होते हैं।
- शंकराचार्य के विचारों पर व्याख्यान और संगोष्ठियाँ होती हैं।
🌸 परंपराएँ और अनुष्ठान
- गुरु पूजा: शंकराचार्य को गुरु रूप में पूजते हैं।
- वेदों का पाठ और अद्वैत वेदांत पर चर्चा।
- भजन-कीर्तन और शंकराचार्य द्वारा रचित स्तोत्रों का पाठ।
- कई लोग इस दिन उपवास भी रखते हैं।
शंकराचार्य जयंती 2025
शंकराचार्य जयंती 2025
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