
विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करता है 16 सोमवार व्रत
16 सोमवार व्रत (सोमवार का व्रत) भगवान शिवजी को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह व्रत विशेष रूप से विवाह संबंधी बाधाओं, दांपत्य जीवन की समस्याओं और विलंबित विवाह जैसी परेशानियों को दूर करने वाला माना गया है।
विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने में 16 सोमवार व्रत क्यों महत्वपूर्ण है?
- भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद – विवाह में आ रही अड़चनें शिव-पार्वती की कृपा से दूर होती हैं, क्योंकि वे आदर्श दंपत्ति माने जाते हैं।
- सुखी दांपत्य जीवन – इस व्रत से वैवाहिक जीवन में प्रेम, सामंजस्य और शांति बनी रहती है।
- अविवाहितों के लिए लाभकारी – जिन कन्याओं या पुरुषों का विवाह किसी कारण से रुक रहा है, उनके लिए यह व्रत अत्यंत शुभ है।
- कुंडली दोष का शमन – विवाह में आ रही ज्योतिषीय बाधाओं (मांगलिक दोष, ग्रह-पीड़ा आदि) को भी यह व्रत शांत करता है।
- मनोकामना पूर्ति – सच्चे मन से किया गया यह व्रत हर मनोकामना को पूर्ण करने वाला माना जाता है।
व्रत करने की संक्षिप्त विधि
- प्रत्येक सोमवार प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भगवान शिव-पार्वती की पूजा करें, बेलपत्र, जल, अक्षत, धूप-दीप और प्रसाद अर्पित करें।
- दिनभर व्रत रखें (संपूर्ण उपवास या फलाहार)।
- सोमवार व्रत कथा सुनें।
- संध्या के समय शिव आरती करें और व्रत पूर्ण करें।
- यह क्रम लगातार 16 सोमवार तक करें।
👉 ऐसा करने से विवाह में आ रही बाधाएँ दूर होती हैं और योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।
16 सोमवार व्रत का धार्मिक महत्व
- भगवान शिव-पार्वती का आशीर्वाद
- यह व्रत करने से शिव-पार्वती दोनों की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
- मान्यता है कि जैसे माता पार्वती ने कठोर तप कर भगवान शिव को पति रूप में पाया, वैसे ही यह व्रत करने वाली कन्या को भी मनचाहा वर मिलता है।
- विवाह संबंधी बाधाओं का निवारण
- जिनके विवाह में देरी या अड़चन आ रही हो, उन्हें यह व्रत करने से शीघ्र विवाह का शुभ योग बनता है।
- वैवाहिक जीवन में सुख-शांति
- जो विवाहित स्त्री-पुरुष यह व्रत करते हैं, उनके दांपत्य जीवन में प्रेम, सामंजस्य और मधुरता बनी रहती है।
- संतान सुख की प्राप्ति
- यह व्रत करने से दंपत्तियों को संतान सुख का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
- कर्म और पाप से मुक्ति
- भगवान शिव अत्यंत भोले और दयालु हैं। इस व्रत को श्रद्धा से करने पर मनुष्य अपने पिछले पापों से मुक्त होकर पुण्य का भागी बनता है।
- ग्रहदोष शांति
- यह व्रत विशेष रूप से चंद्र और मंगल से जुड़े दोषों को शांत करता है, जिससे जीवन में स्थिरता आती है।
- आर्थिक समृद्धि
- व्रतधारी को आर्थिक लाभ और घर-परिवार में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
- मनोवांछित फल की प्राप्ति
- यदि कोई व्यक्ति सच्चे मन और नियमपूर्वक यह व्रत करता है, तो उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है।
👉 इस प्रकार, 16 सोमवार व्रत को अत्यंत फलदायी और शुभ व्रत माना गया है। यह व्रत न केवल विवाह संबंधी बाधाओं को दूर करता है, बल्कि संपूर्ण जीवन को सुखमय और मंगलमय बना देता है।
🌙 16 सोमवार व्रत की विशेष बातें
- आरंभ का महत्व
- यह व्रत सोमवार से ही शुरू करना चाहिए।
- विशेषकर सावन मास के सोमवार से शुरू करने पर इसका फल और भी अधिक मिलता है।
- व्रत की अवधि
- लगातार 16 सोमवार तक यह व्रत करना आवश्यक है।
- बीच में व्रत तोड़ना अशुभ माना जाता है।
- पूजा विधि
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भगवान शिव, माता पार्वती और नंदी की पूजा करें।
- शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, बेलपत्र, धतूरा आदि अर्पित करें।
- व्रत कथा का श्रवण
- हर सोमवार 16 सोमवार व्रत कथा सुनना या पढ़ना अनिवार्य माना गया है।
- उपवास का नियम
- श्रद्धा और सामर्थ्य अनुसार फलाहार या निर्जला व्रत रखा जा सकता है।
- सायंकाल आरती और प्रसाद के बाद व्रत पूरा होता है।
- विवाह बाधा दूर होती है
- जिनका विवाह बार-बार रुकता है या विलंब होता है, उन्हें यह व्रत शीघ्र विवाह दिलाने वाला माना जाता है।
- पति-पत्नी में प्रेम
- विवाहित लोग व्रत करने पर दांपत्य जीवन में मधुरता और प्रेम की प्राप्ति करते हैं।
- व्रत पूर्ण होने पर
- 16वां सोमवार व्रत पूरा होने पर गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए।
- साथ ही वस्त्र, फल और दक्षिणा का दान करना शुभ होता है।
- मनोकामना पूर्ति
- सच्चे मन, श्रद्धा और नियमपूर्वक किया गया यह व्रत हर प्रकार की मनोकामना पूरी करता है।
- सरल और फलदायी व्रत
- इसे भगवान शिव का सबसे सरल और शीघ्र फल देने वाला व्रत कहा जाता है।
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