
विजय दशमी 2025
विजय दशमी 2025 की तिथि
विजय दशमी 2025 में 2 अक्टूबर, गुरुवार को मनाई जाएगी। यह दिन शारदीय नवरात्रि के अंतिम दिन के रूप में मनाया जाता है, जो 22 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चलती है।
महत्वपूर्ण मुहूर्त
- दशमी तिथि आरंभ: 1 अक्टूबर, 2025, अपराह्न 3:16 बजे
- दशमी तिथि समाप्ति: 2 अक्टूबर, 2025, अपराह्न 4:26 बजे
- शस्त्र पूजा और विद्यारंभ के लिए शुभ समय: 2 अक्टूबर, 2025, सूर्योदय से लेकर अपराह्न 4:26 बजे तक
उत्सव और परंपराएँ
- उत्तर भारत: यहाँ रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाथ के विशाल पुतलों का दहन किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
- पश्चिम बंगाल और ओडिशा: यहाँ दुर्गा पूजा के समापन के रूप में विजय दशमी मनाई जाती है, जिसमें देवी दुर्गा की मूर्तियों का विसर्जन और सिंदूर खेला जैसी परंपराएँ होती हैं।
- कर्नाटक (विशेषकर मैसूर): यहाँ मैसूर दशहरा एक राज्यस्तरीय उत्सव के रूप में मनाया जाता है, जिसमें चामुंडेश्वरी देवी की पूजा और हाथी परेड प्रमुख आकर्षण होते हैं।
विजय दशमी का महत्व
विजय दशमी का पर्व अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है। यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में नैतिक मूल्यों और धर्म की स्थापना की आवश्यकता की याद भी दिलाता है।
विजय दशमी 2025: लाभ और महत्व
1. अच्छाई पर बुराई की जीत का प्रतीक
विजय दशमी का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह हमें याद दिलाता है कि सत्य और धर्म की हमेशा जीत होती है।
- राम द्वारा रावण का वध और देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर का वध अच्छाई पर बुराई की विजय का प्रत्यक्ष उदाहरण हैं।
- यह दिन हमें जीवन में धर्म का मार्ग अपनाने और अधर्म से दूर रहने की प्रेरणा देता है।
2. शिक्षा और विद्या में वृद्धि
विजय दशमी को विद्यारंभ (बालक/बच्चों का पहली बार लेखन कार्य शुरू करना) के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
- इस दिन अक्षर और ज्ञान की पूजा करने से बुद्धि और विद्या में वृद्धि होती है।
- परिवार के बच्चे पहली बार अक्षर लिखते हैं और माता-गुरु की पूजा करके शिक्षा में सफलता पाते हैं।
3. व्यवसाय और नौकरी में लाभ
इस दिन शस्त्र पूजा और कार्यालय शुभारंभ करना भी बहुत लाभकारी माना जाता है।
- व्यवसाय, व्यापार, या नई नौकरी की शुरुआत करने से सफलता और समृद्धि मिलती है।
- पुराने दफ्तर या कारोबार की नई शुरुआत इस दिन करने से विपत्ति कम और लाभ अधिक होता है।
4. आध्यात्मिक लाभ
- इस दिन देवी दुर्गा की पूजा और हवन करने से मन की शांति और आत्मबल बढ़ता है।
- बुराई, ईर्ष्या और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है।
- विशेष रूप से रक्षा और शत्रु पर विजय की भावना बलवती होती है।
5. सामाजिक और पारिवारिक लाभ
- विजय दशमी का पर्व सामाजिक सद्भाव और परिवारिक मेलजोल को मजबूत करता है।
- पुतले जलाने, खेलों और मेले में भाग लेने से समाज में एकता और खुशहाली आती है।
- यह पर्व सर्वसमाज में नैतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना करता है।
6. मानसिक और भावनात्मक लाभ
- बुराई पर अच्छाई की जीत का अनुभव करने से आत्मविश्वास और साहस बढ़ता है।
- पुराने संघर्ष और विफलताओं से उबरने का हौसला मिलता है।
- यह दिन नए लक्ष्यों को प्राप्त करने और सकारात्मक सोच अपनाने के लिए प्रेरित करता है।
7. विशेष उपाय और लाभकारी कार्य
- इस दिन शस्त्र, वाहन और उपकरणों की पूजा करना शुभ होता है।
- देवी दुर्गा की प्रतिमा या फोटो की पूजा करने से घर में संपत्ति और समृद्धि आती है।
- यदि आप दान, सेवा या पूजा करते हैं, तो इसका लाभ कई गुना बढ़ जाता है।
संक्षेप में विजय दशमी के लाभ
- बुराई पर अच्छाई की जीत का अनुभव।
- शिक्षा, विद्या और बुद्धि में वृद्धि।
- व्यवसाय और नौकरी में सफलता।
- मानसिक शांति और आत्मबल।
- पारिवारिक और सामाजिक सद्भाव।
- सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास।
- दान-पुण्य और पूजा से समृद्धि।
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