
योगिनी एकादशी व्रत कब है
योगिनी एकादशी 2025
व्रत तिथि: शनिवार, 21 जून 2025
एकादशी तिथि प्रारंभ: 21 जून सुबह 7:18 बजे
एकादशी तिथि समाप्ति: 22 जून सुबह 4:27 बजे
हरि वासर समाप्त: सुबह 9:41 बजे
पारण (व्रत खोलने का समय): 22 जून को दोपहर 1:47 बजे से शाम 4:35 बजे तक
✨ योगिनी एकादशी का पौराणिक महत्व:
योगिनी एकादशी, आषाढ़ कृष्ण पक्ष की एकादशी है, जो कि भगवान विष्णु की पूजा हेतु समर्पित है। यह व्रत सभी प्रकार के पापों और रोगों से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है।
पद्म पुराण में बताया गया है कि इस एकादशी का पालन करने से 88,000 ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। यह व्रत शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि के लिए अति महत्वपूर्ण है।
इस दिन व्रत रखने वाले को विशेष रूप से:
- मानसिक शांति,
- रोग-मुक्ति,
- पारिवारिक सुख-शांति,
- मोक्ष प्राप्ति का मार्ग मिलता है।
📖 योगिनी एकादशी व्रत कथा:
यह कथा अलकापुरी के राजा कुबेर और उनके माली हेममाली की है। हेममाली प्रतिदिन पारिजात पुष्प लाकर भगवान शिव को अर्पण करता था। लेकिन एक दिन वह अपनी पत्नी विशालाक्षी के प्रेम में लिप्त होकर अपना कर्तव्य भूल गया। इस गलती से रुष्ट होकर भगवान शिव ने उसे शाप दिया कि वह कोढ़ से पीड़ित होकर मृत्युलोक में कष्ट भोगेगा।
वह अपने पापों के कारण बहुत दुखी होकर हिमालय पर्वत पर ऋषि मार्कण्डेय के पास पहुँचा। ऋषि ने उसे योगिनी एकादशी का व्रत रखने का परामर्श दिया। जब हेममाली ने पूरे नियम और श्रद्धा से व्रत किया, तो वह कोढ़ से मुक्त हुआ और पुनः स्वर्ग लौट गया।
यह कथा यह सिखाती है कि योगिनी एकादशी का व्रत पूर्व जन्मों के पापों से भी मुक्ति दिलाने वाला होता है।
🕉️ व्रत विधि (पूजन विधि):
1. दशमी तिथि की तैयारी (20 जून):
- एक दिन पहले ही सात्विक भोजन करें।
- अनाज, तामसिक भोजन, प्याज-लहसुन, मदिरा आदि का त्याग करें।
- मानसिक रूप से स्वयं को शांत व शुद्ध रखें।
2. व्रत का दिन (21 जून):
- प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में उठें, स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- व्रत का संकल्प लें: “आज मैं भगवान विष्णु के लिए योगिनी एकादशी का व्रत रखता हूँ।”
- पूजा स्थल को स्वच्छ करके भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- धूप, दीप, फूल, चंदन, फल आदि से पूजा करें।
- तुलसी पत्र जरूर अर्पित करें (विष्णु भगवान को तुलसी प्रिय है)।
- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” या “ॐ विष्णवे नमः” मंत्र का जप करें।
- विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
- दिनभर उपवास करें—यदि संभव हो तो निर्जला रहें, अन्यथा फलाहार लें।
- रात्रि में जागरण (भजन कीर्तन) करें।
3. पारण (22 जून):
- पारण यानी व्रत खोलना, हरि वासर (9:41 AM के बाद) के समाप्त होने पर करें।
- पारण के समय पहले भगवान विष्णु की पूजा कर उन्हें प्रसाद अर्पित करें, फिर फल या अन्न ग्रहण करें।
🌟 योगिनी एकादशी व्रत के लाभ:
- यह व्रत स्वास्थ्य, धन, और मोक्ष तीनों ही लक्ष्यों की प्राप्ति का माध्यम है।
- पुराने जन्मों के पापों का नाश करता है।
- घर-परिवार में सुख-शांति आती है।
- रोगों से मुक्ति और शरीर की ऊर्जा में वृद्धि होती है।
- विशेषकर त्वचा रोगों (जैसे कुष्ठ) में यह व्रत लाभकारी है।
- व्यापार, नौकरी या किसी भी कार्य में आने वाली रुकावटें दूर होती हैं।
🪔 महत्वपूर्ण मंत्र (जप के लिए):
विष्णु गायत्री मंत्र:
ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
महामंत्र:
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय॥
❗ व्रत में क्या न करें:
- तामसिक भोजन, प्याज-लहसुन, शराब का सेवन बिल्कुल न करें।
- क्रोध, झूठ और आलस्य से बचें।
- सोने से परहेज करें, रात्रि जागरण का महत्व है।
- झूठी या व्यर्थ की बातों से दूर रहें।
🔔 सारांश:
विषय | विवरण |
---|---|
व्रत का नाम | योगिनी एकादशी |
दिन | शनिवार |
तिथि | 21 जून 2025 |
पारण | 22 जून 2025 (1:47 PM से 4:35 PM तक) |
महत्व | पापों का नाश, रोगों से मुक्ति, मोक्ष |
पूजा | भगवान विष्णु की पूजा, तुलसी पत्र अर्पण |
मंत्र | “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” |
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