
**म्हावरुणी पर्व** महाराष्ट्र में मनाया जाने वाला एक पारंपरिक पर्व है, जिसे मुख्य रूप से **महिला उत्सव** के रूप में जाना जाता है। यह त्योहार खासतौर पर नवविवाहित महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है। ### **म्हावरुणी पर्व का महत्व:** - इस पर्व को **विवाहित महिलाओं** के लिए सौभाग्य, सुख-समृद्धि और अच्छे वैवाहिक जीवन की कामना के साथ मनाया जाता है। - इसे **हरितालिका तीज** या अन्य महिला त्योहारों की तरह स्त्रियों द्वारा उत्साहपूर्वक मनाया जाता है। - इस दिन **मंगलगौर** और अन्य देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। ### **कैसे मनाया जाता है?** - महिलाएं पारंपरिक वस्त्र पहनती हैं और विशेष रूप से हरी-पीली साड़ियां धारण करती हैं। - वे एकत्रित होकर **भजन-कीर्तन, लोकगीत और पारंपरिक नृत्य** करती हैं। - पारंपरिक पकवान बनाए जाते हैं और कथा-कहानियां सुनाई जाती हैं। यह त्योहार मुख्य रूप से महाराष्ट्र और कोंकण क्षेत्र में अधिक प्रचलित है। यदि आप किसी विशेष संदर्भ में पूछ रहे हैं, तो कृपया अधिक जानकारी दें! 😊
म्हावरुणी पर्व महाराष्ट्र में मनाया जाने वाला एक पारंपरिक लोक पर्व है, जिसे विशेष रूप से महिलाएँ मनाती हैं। यह पर्व वर्षा ऋतु में मनाया जाता है और इसका संबंध अच्छी वर्षा, कृषि समृद्धि और पारिवारिक सुख-शांति से जुड़ा होता है।
म्हावरुणी पर्व का महत्व
- यह पर्व वर्षा की कामना के लिए मनाया जाता है, जिससे फसलें अच्छी हों और कृषि उन्नति हो।
- महिलाएँ और कन्याएँ इस अवसर पर पूजा-अर्चना करती हैं और पारंपरिक गीत गाती हैं।
- इस दिन विशेष रूप से समूह में एकत्र होकर उत्सव मनाने की परंपरा है।
कैसे मनाया जाता है?
- पूजा-अर्चना: महिलाएँ और युवतियाँ इकट्ठा होकर विशेष पूजा करती हैं।
- गीत-संगीत: पारंपरिक लोकगीत गाए जाते हैं, जिनमें बारिश और समृद्धि की कामना होती है।
- सामूहिक उत्सव: गाँवों में इस पर्व को सामूहिक रूप से मनाया जाता है, जहाँ महिलाएँ सज-धजकर इस आयोजन में भाग लेती हैं।
- म्हावरुणी पर्व महाराष्ट्र में मनाया जाने वाला एक पारंपरिक पर्व है, जिसे मुख्य रूप से महिला उत्सव के रूप में जाना जाता है। यह त्योहार खासतौर पर नवविवाहित महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है।
- म्हावरुणी पर्व का महत्व:
- इस पर्व को विवाहित महिलाओं के लिए सौभाग्य, सुख-समृद्धि और अच्छे वैवाहिक जीवन की कामना के साथ मनाया जाता है।
- इसे हरितालिका तीज या अन्य महिला त्योहारों की तरह स्त्रियों द्वारा उत्साहपूर्वक मनाया जाता है।
- इस दिन मंगलगौर और अन्य देवी-देवताओं की पूजा की जाती है।
- कैसे मनाया जाता है?
- महिलाएं पारंपरिक वस्त्र पहनती हैं और विशेष रूप से हरी-पीली साड़ियां धारण करती हैं।
- वे एकत्रित होकर भजन-कीर्तन, लोकगीत और पारंपरिक नृत्य करती हैं।
- पारंपरिक पकवान बनाए जाते हैं और कथा-कहानियां सुनाई जाती हैं।
- यह त्योहार मुख्य रूप से महाराष्ट्र और कोंकण क्षेत्र में अधिक प्रचलित है। यदि आप किसी विशेष संदर्भ में पूछ रहे हैं, तो कृपया अधिक जानकारी दें! 😊
यह पर्व महाराष्ट्र के ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक लोकप्रिय है और इसे विशेष रूप से उत्साहपूर्वक मनाया जाता है।
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