
मोहिनी एकादशी व्रत
🌸 मोहिनी एकादशी व्रत कथा (हिंदी में)
पुराणों के अनुसार, एक समय की बात है — भद्रावती नगरी में धृतिमान नामक राजा राज्य करता था। उसके खजांची (सेंठ) का नाम धनपाल था। धनपाल बड़ा ही धार्मिक और दानी व्यक्ति था। उसके पाँच पुत्र थे, जिनमें सबसे बड़ा पुत्र धृष्टबुद्धि नाम का अत्यंत पापी, व्यसनी और दुराचारी था।
धृष्टबुद्धि शराब पीने, जुआ खेलने, वेश्याओं के साथ समय बिताने, चोरी करने और हिंसा जैसे बुरे कर्मों में लिप्त हो गया। अंततः उसके पिता ने उसे घर से निकाल दिया। वह भूखा-प्यासा जंगलों में भटकने लगा।
एक दिन वह महर्षि कौंडिन्य के आश्रम पहुँचा, जहाँ ऋषि ने उसे देखकर दया की और उसका जीवन सुधारने के लिए मोहिनी एकादशी व्रत करने का उपाय बताया। ऋषि बोले:
“हे पुत्र! यदि तुम मोहिनी एकादशी का व्रत श्रद्धा से करोगे, तो तुम्हारे सारे पाप नष्ट हो जाएँगे।”
धृष्टबुद्धि ने नियमपूर्वक व्रत किया — उपवास रखा, भगवान विष्णु की पूजा की, और अगले दिन द्वादशी को ब्राह्मणों को अन्नदान कर व्रत का पारण किया। इस पुण्य प्रभाव से उसके सारे पाप नष्ट हो गए और मृत्यु के बाद उसे विष्णुलोक की प्राप्ति हुई।
🪔 व्रत विधि (पूजा पद्धति)
- ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
- स्वच्छ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें।
- भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र की पूजा करें।
- तुलसी, पीले फूल, चंदन, धूप-दीप से अर्पण करें।
- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
- दिन भर फलाहार या निर्जल व्रत रखें।
- अगले दिन द्वादशी को व्रत का पारण करें।
🌟 व्रत का महत्व
- पापों का नाश होता है।
- मानसिक शुद्धि और आत्मिक बल प्राप्त होता है।
- विष्णुजी की कृपा प्राप्त होती है।
- मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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