
माँ काली की पूजा विधि, मंत्र, स्तोत्र और चालीसा
माँ काली की पूजा विधि, साथ ही मंत्र, स्तोत्र, और चालीसा क्रमबद्ध तरीके से दे देता हूँ, ताकि आप इसे सीधे उपयोग कर सकें।
१. माँ काली की पूजा विधि
माँ काली की पूजा प्रायः रात्रि में या अमावस्या/अष्टमी को की जाती है, लेकिन भक्त किसी भी दिन कर सकते हैं।
पूजा सामग्री:
- माँ काली की प्रतिमा/चित्र
- लाल या काले रंग का वस्त्र
- लाल फूल (गुड़हल विशेष प्रिय)
- धूप, दीप, अगरबत्ती
- सिंदूर, कुमकुम, अक्षत (चावल)
- नारियल, मिठाई, फल
- पंचमेवा, सुगंधित जल
- शुद्ध जल व गंगाजल
विधि:
- शुद्धिकरण – स्नान करके साफ कपड़े पहनें और पूजा स्थान को गंगाजल से पवित्र करें।
- आसन ग्रहण – उत्तर या पूर्व की ओर मुख करके आसन पर बैठें।
- संकल्प – पूजा का संकल्प लें, जैसे “ॐ काली मातः, मैं आपकी पूजा अर्चना हेतु संकल्प करता/करती हूँ।”
- आवाहन – दीपक जलाएँ, धूप जलाएँ, और माँ काली का आवाहन करें: ॐ ऐं ह्रीं क्रीं चामुण्डायै विच्चे।
- अर्घ्य व पूजन –
- फूल, सिंदूर, अक्षत, जल, और नैवेद्य अर्पित करें।
- माँ को गुड़हल के फूल विशेष रूप से अर्पित करें।
- मंत्र जप – काली माँ का बीज मंत्र 108 बार जपें (नीचे दिया गया है)।
- आरती – माँ काली की आरती करें और अंत में क्षमा प्रार्थना करें।
२. माँ काली के मंत्र
बीज मंत्र:
ॐ क्रीं कालीकायै नमः।
महा मंत्र:
ॐ ऐं ह्रीं क्रीं चामुण्डायै विच्चे।
काली गायत्री मंत्र:
ॐ महाकाल्यै च विद्महे स्मशनवासिन्यै धीमहि।
तन्नो काली प्रचोदयात्॥
३. माँ काली स्तोत्र (सरल रूप में)
(काली चालीसा से छोटा, सुबह-शाम पढ़ने योग्य)
नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मदघातिनि।
नमस्ते महिषघ्न्यै च नमस्ते शुम्भनाशिनि॥नमस्ते जगतां मातः नमस्ते भक्तवत्सले।
नमस्ते सर्वसिद्ध्यै च नमस्ते सर्वमङ्गले॥
४. माँ काली चालीसा
संक्षिप्त उल्लेख –
- इसमें 40 चौपाइयाँ होती हैं।
- माँ के विभिन्न रूप, उनकी शक्ति, राक्षसों के वध की कथा, और भक्तों के कल्याण का वर्णन है।
- इसे प्रातः या रात्रि में, विशेषकर मंगलवार, शनिवार, अमावस्या और अष्टमी को पढ़ना अत्यंत फलदायी है।