माँ अन्नपूर्णा व्रत 2025: देवी को प्रसन्न करने की संपूर्ण विधि
🗓️ व्रत की तिथि (Maa Annapurna Vrat 2025 Date)
साल 2025 में माँ अन्नपूर्णा व्रत 9 नवंबर रविवार के दिन मनाया जाएगा।
यह व्रत चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन माँ अन्नपूर्णा — जो देवी पार्वती का अन्न देने वाला स्वरूप हैं — की आराधना करने से जीवन में कभी अन्न और धन की कमी नहीं रहती।
🌺 माँ अन्नपूर्णा का स्वरूप और महत्व (Significance of Maa Annapurna)
माँ अन्नपूर्णा देवी पार्वती का अन्नमय रूप हैं, जिनके हाथ में सोने का पात्र और अन्न से भरा कलश होता है।
कहते हैं कि संसार में जब भोजन की कमी हुई थी, तब माँ अन्नपूर्णा ने प्रकट होकर सभी जीवों को अन्नदान दिया।
माँ की पूजा से रसोईघर में सदा समृद्धि रहती है और घर में सुख-शांति का वास होता है।
- प्रातः स्नान और घर की शुद्धि करें।
इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर घर और रसोई की अच्छी तरह सफाई करें। - व्रत का संकल्प लें।
माँ अन्नपूर्णा का ध्यान करते हुए कहें —
“मैं माँ अन्नपूर्णा की कृपा प्राप्ति हेतु यह व्रत कर रहा/रही हूँ।” - पूजास्थल की तैयारी करें।
पूजाघर में एक स्वच्छ चौकी पर माँ अन्नपूर्णा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। - पूजा सामग्री तैयार करें।
कलश, चावल, फूल, फल, दीपक, घी, तुलसी पत्र, भोग के लिए खीर या हलवा रखें। - माँ अन्नपूर्णा की आराधना करें।
माँ के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करें और इस मंत्र का जप करें —
“ॐ अन्नपूर्णे सदापूर्णे शंकरप्राणवल्लभे।
ज्ञान वैराग्य सिद्ध्यर्थं भिक्षां देहि च पार्वति॥” - माँ को भोग अर्पित करें।
अन्न, खीर, फल, और गुड़ का भोग लगाएँ। - आरती करें।
माँ अन्नपूर्णा की आरती करें और परिवार के सभी सदस्य प्रसाद ग्रहण करें। - अन्नदान करें।
इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन या अन्न दान करना सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।
🌸 माँ अन्नपूर्णा व्रत कथा (Annapurna Vrat Katha)
एक बार भगवान शिव ने कहा कि संसार में अन्न का कोई महत्व नहीं, सब माया है।
यह सुनकर माता पार्वती ने अन्न वितरण बंद कर दिया।
तब पूरे ब्रह्मांड में भुखमरी फैल गई।
भगवान शिव स्वयं माँ अन्नपूर्णा के पास गए और अन्न की भिक्षा माँगी।
तब माँ ने उन्हें अन्न देकर कहा कि “अन्न ही जीवन का आधार है।”
तभी से माँ अन्नपूर्णा की पूजा का यह व्रत प्रारंभ हुआ।
🌼 माँ अन्नपूर्णा व्रत के नियम (Rules of the Vrat)
- व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- किसी को व्यर्थ वचन या अपमान न करें।
- जरूरतमंदों को भोजन अवश्य कराएँ।
- रसोईघर की विशेष सफाई करें और उसमें दीपक जलाएँ।
- प्रसाद और अन्न को घर के सभी सदस्यों में बाँटें।
🌻 माँ अन्नपूर्णा व्रत के लाभ (Benefits of Annapurna Vrat)
- घर में कभी अन्न की कमी नहीं रहती।
- रसोईघर सदैव भरा रहता है।
- धन, सुख और समृद्धि में वृद्धि होती है।
- अन्नदान से पितरों की आत्मा को तृप्ति मिलती है।
- परिवार में एकता और प्रेम बना रहता है।
🌷 निष्कर्ष (Conclusion)
माँ अन्नपूर्णा व्रत केवल धार्मिक महत्व ही नहीं रखता, बल्कि यह करुणा, सेवा और अन्नदान की भावना को भी प्रकट करता है।
जो व्यक्ति श्रद्धा और निष्ठा से यह व्रत करता है, उसके जीवन में कभी भूख या दरिद्रता नहीं आती।
