
माघ माह के शुक्ल माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है, जो इस वर्ष 9 फरवरी 2025, रविवार को पड़ रही है।
महाशिवरात्रि का व्रत भगवान शिव की उपासना के लिए किया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से शिव भक्तों द्वारा रखा जाता है और इसे बहुत ही शुभ एवं फलदायी माना जाता है। महाशिवरात्रि व्रत विधि इस प्रकार है:
1. व्रत की तैयारी (एक दिन पहले)
- व्रत के एक दिन पहले सात्त्विक भोजन करें और मन को पवित्र रखें।
- व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और शिव जी का ध्यान करें।
2. व्रत का संकल्प
- सुबह स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भगवान शिव के सामने दीप जलाकर व्रत का संकल्प लें।
- “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
3. शिवलिंग पूजन विधि
- जल और गंगाजल से स्नान: शिवलिंग को गंगाजल, दूध, दही, शहद, और पंचामृत से स्नान कराएं।
- पुष्प और बेलपत्र अर्पण: भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, आक, और फूल अर्पित करें।
- भस्म एवं चंदन: शिवलिंग पर चंदन और भस्म लगाएं।
- धूप और दीप प्रज्वलन: धूप, दीप जलाकर भगवान शिव की आरती करें।
- मंत्र जाप:
- “ॐ नमः शिवाय” का 108 बार जाप करें।
- महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
4. रात्रि जागरण
- महाशिवरात्रि की रात जागरण करें और शिवपुराण, शिव चालीसा या शिव मंत्रों का पाठ करें।
- भजन-कीर्तन करें और शिव महिमा का गुणगान करें।
5. व्रत का पारण
- अगले दिन ब्रह्म मुहूर्त में शिवलिंग पर जल चढ़ाकर व्रत खोलें।
- ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को दान करें और सात्त्विक भोजन ग्रहण करें।
विशेष सावधानियां:
- व्रत के दौरान सात्त्विकता का पालन करें।
- दिनभर फलाहार या दूध का सेवन कर सकते हैं।
- नकारात्मक विचारों से दूर रहें और भक्ति भाव बनाए रखें।
महाशिवरात्रि व्रत का फल
- इस व्रत से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- पुण्य की प्राप्ति होती है और पापों का नाश होता है।
- भगवान शिव की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
आप इस विधि से महाशिवरात्रि का व्रत रख सकते हैं और भगवान शिव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। ॐ नमः शिवाय! 🚩
वैद्यनाथ प्राकट्योत्सव व्रत कब है:
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