
मंगला गौरी व्रत 2025
🗓 मंगला गौरी व्रत 2025 की तिथियाँ
मंगला गौरी व्रत सावन मास के प्रत्येक मंगलवार को रखा जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से सुहागिन स्त्रियों द्वारा अपने पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और सौभाग्य के लिए किया जाता है।
2025 में मंगला गौरी व्रत की तिथियाँ दो अलग-अलग पंचांगों (कैलेंडरों) के अनुसार इस प्रकार हैं:
उत्तर भारत (पूर्णिमांत पंचांग):
- पहला मंगलवार – 15 जुलाई 2025
- दूसरा मंगलवार – 22 जुलाई 2025
- तीसरा मंगलवार – 29 जुलाई 2025
- चौथा मंगलवार – 5 अगस्त 2025
महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश (अमांत पंचांग):
- पहला मंगलवार – 29 जुलाई 2025
- दूसरा मंगलवार – 5 अगस्त 2025
- तीसरा मंगलवार – 12 अगस्त 2025
- चौथा मंगलवार – 19 अगस्त 2025
🔱 मंगला गौरी व्रत का धार्मिक महत्व
मंगला गौरी व्रत का विशेष महत्व स्त्रियों के सौभाग्य, वैवाहिक सुख और पति की दीर्घायु के लिए माना जाता है। यह व्रत विशेष रूप से नवविवाहित स्त्रियों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को विधिपूर्वक करने से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है और पति-पत्नी के बीच प्रेम व सामंजस्य बना रहता है।
माता गौरी को सौभाग्य की देवी माना गया है। कहा जाता है कि स्वयं माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए इस व्रत को किया था। इसलिए यह व्रत अत्यंत फलदायी और श्रद्धा से किया जाता है।
🌼 व्रत की पूजन विधि
- व्रत का संकल्प: सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
- मंडप सजाना: पूजा स्थान को स्वच्छ करके वहाँ एक चौकी बिछाएँ। उस पर लाल वस्त्र बिछाकर माता गौरी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- श्रृंगार अर्पण: माता को सोलह श्रृंगार की वस्तुएँ जैसे बिंदी, चूड़ी, काजल, सिंदूर आदि अर्पित करें।
- धूप-दीप जलाएँ: माँ को धूप, दीप, पुष्प, फल, मिठाई आदि अर्पित करें। साथ ही पंचामृत स्नान कराएँ।
- कथा वाचन: मंगला गौरी व्रत की कथा का पाठ करें या सुनें। कथा में शिव-पार्वती विवाह की कथा मुख्य होती है।
- व्रत का पारायण: माता को नैवेद्य अर्पित करके आरती करें और व्रती स्त्रियाँ माता से अपने परिवार की मंगलकामना करें।
- ब्राह्मण भोजन और दान: संभव हो तो ब्राह्मणों को भोजन कराएँ और वस्त्र या दक्षिणा दान करें।
- चार मंगलवार तक व्रत: यह व्रत कम से कम चार सावन मंगलवार तक किया जाता है। अंतिम मंगलवार को व्रत का उद्यापन करें।
📖 व्रत कथा (संक्षेप में)
एक समय की बात है, एक नवविवाहिता स्त्री ने अपनी सास की प्रेरणा से मंगला गौरी व्रत रखा। उस स्त्री ने अत्यंत श्रद्धा और नियम से यह व्रत चार मंगलवारों तक किया। माता गौरी उस पर प्रसन्न हुईं और उसके पति को अकाल मृत्यु से बचा लिया। तब से यह परंपरा चली आ रही है कि स्त्रियाँ इस व्रत को करके अपने पति की रक्षा और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।
🍛 व्रत में बनाए जाने वाले विशेष भोग
- पूड़ी और हलवा
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)
- तिल, गुड़, नारियल
- मौसमी फल
- सोलह श्रृंगार की वस्तुएँ
🙏 विशेष नियम और सावधानियाँ
- व्रत करने वाली स्त्री को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
- व्रत में अधिकतर स्त्रियाँ फलाहार करती हैं या एक समय भोजन करती हैं।
- पूजा के दौरान ध्यान पूरी श्रद्धा और एकाग्रता से करें।
- किसी से कटु वचन न कहें, मानसिक और शारीरिक पवित्रता बनाए रखें।
- व्रत के दौरान व्रत कथा अवश्य पढ़नी या सुननी चाहिए।
❖ मंगला गौरी व्रत के लाभ
- पति की दीर्घायु और स्वास्थ्य लाभ
- संतान सुख की प्राप्ति
- वैवाहिक जीवन में प्रेम और सामंजस्य
- घर में सुख-शांति और लक्ष्मी का वास
- अकाल मृत्यु से रक्षा