भौम प्रदोष व्रत की पूजा विधि
प्रदोष व्रत हर चंद्र पक्ष (शुक्ल और कृष्ण पक्ष) की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। जब यह तिथि मंगलवार को पड़ती है, तो इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है।
• “भौम” का अर्थ है मंगल ग्रह (कारक—शक्ति, भूमि, साहस, रक्त, उर्जा)
• “प्रदोष” का अर्थ है—सांयकाल का समय, जब भगवान शिव का विशिष्ट पूजन फलदायक होता है।
मंगलवार को प्रदोष होने से इसका संबंध मंगल ग्रह की कृपा तथा शिव-शक्ति उपासना से जुड़ जाता है।
भौम प्रदोष व्रत के लाभ (महत्व)
🔶 1. मंगल दोष शांति
जिन व्यक्तियों की कुंडली में मंगल दोष / मंगली दोष हो, इस व्रत से ग्रह का दुष्प्रभाव कम होता है।
🔶 2. भूमि, वाहन और संपत्ति प्राप्ति
यह व्रत भूमि, भवन, व्यवसाय, वाहन प्राप्ति में बाधाएँ दूर करता है।
🔶 3. स्वास्थ्य में वृद्धि
रक्त, ऊर्जा, साहस एवं चोट-दुर्घटना से बचाव हेतु यह व्रत अत्यंत शुभ माना जाता है।
🔶 4. ऋण-मोचन (कर्ज से मुक्ति)
मंगल ग्रह ऋण से भी संबंधित है। भौम प्रदोष व्रत से कर्ज मुक्ति व आर्थिक स्थिरता आती है।
🔶 5. विवाह बाधा दूर
मंगल दोष के कारण विवाह में हो रही बाधाएँ समाप्त होती हैं।
🔶 6. पारिवारिक शांति और कष्टों का निवारण
यह व्रत शिव-पार्वती की विशेष कृपा दिलाता है, जिससे जीवन में सभी प्रकार के संकट शांत होते हैं।
भौम प्रदोष व्रत की विस्तृत पूजा-विधि
◆ 1. व्रत का संकल्प
सुबह स्नान के बाद पूर्व या उत्तर दिशा की ओर बैठकर संकल्प करें—
“मैं भगवान शिव व माता पार्वती की कृपा के लिए भौम प्रदोष व्रत रखता/रखती हूँ।”
◆ 2. दिनभर का व्रत
• उपवास रखें—फलाहार या निर्जल व्रत भी किया जा सकता है।
• सात्त्विकता बनाए रखें—झूठ, क्रोध व विवाद से बचें।
◆ 3. प्रदोष काल में पूजा (शाम)
यह सबसे महत्वपूर्ण है।
प्रदोष का समय—सूर्यास्त से लगभग 1.5 घंटे तक।
पूजा की सामग्री
- शिवलिंग या शिव-पार्वती की मूर्ति
- जल, दूध, दही, शहद, घी, गंगाजल (पंचामृत)
- बेलपत्र (महत्वपूर्ण)
- अक्षत (चावल)
- फूल, धूप, दीप
- लाल वस्त्र (मंगलवार हेतु)
- रुद्राक्ष या लाल चंदन
- भस्म
- लाल मिठाई (गुड़, लाल पेड़ा, आदि)
पूजन चरण
1. शिवलिंग का अभिषेक
सर्वप्रथम—
• जल से स्नान
• फिर पंचामृत से अभिषेक
• दूध चढ़ाएँ
• जल से पुनः शुद्धि करें
• बेलपत्र, धतूरा, अक्षत चढ़ाएँ
2. दीप-धूप जलाकर आराधना
• दीपक जलाएँ
• धूप अर्पित करें
• गंध-चंदन लगाएँ
3. मंत्र-जाप
आप निम्न मंत्रों में से कर सकते हैं:
शिव पंचाक्षर मंत्र
“ॐ नमः शिवाय”
मंगल ग्रह मंत्र
“ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः।”
महामृत्युंजय मंत्र (बहुत शुभ)
“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे…”
4. प्रदोष व्रत कथा का श्रवण/पाठ
भौम प्रदोष की कथा पढ़ें या सुनें।
5. आरती
• शिवजी की आरती
• मंगल ग्रह की आरती (यदि उपलब्ध हो)
6. परिक्रमा
शिवलिंग की 3 बार परिक्रमा करें
(कभी भी शिवलिंग का पूरा चक्कर नहीं लगाते—एक किनारा छोड़ते हैं)।
7. प्रसाद वितरण
मंत्र-जाप के बाद भगवान को लाल मिठाई व फल भोग लगाएँ और प्रसाद बांटें।
भौम प्रदोष व्रत की विशेष सावधानियाँ
- प्रदोष काल में ही पूजा करना सर्वोत्तम है।
- व्रत में मांस, शराब, तामसिक भोजन वर्जित है।
- मंगलवार को लोहे की वस्तु न खरीदें।
- बेलपत्र पर चंदन से “ॐ” लिखकर शिवजी को अर्पित करें।
भौम प्रदोष व्रत का पूरा दिव्य फल
शिव-पार्वती की स्थायी कृपा
मंगल ग्रह की पीड़ा समाप्त
भूमि/प्रॉपर्टी के विवाद शांत
धन, बल, साहस में वृद्धि
स्वास्थ्य लाभ
दाम्पत्य सुख
संतान सुख
कर्ज से मुक्ति
बाधा निवारण
