
16 सोमवार व्रत की विधि
भौम प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण उपवास माना जाता है, जो भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए रखा जाता है। यह मंगलवार के दिन आने वाले प्रदोष व्रत को कहा जाता है, जिसमें मंगल ग्रह का प्रभाव अधिक होता है। इस व्रत को करने से विशेष रूप से मंगल दोष निवारण, कर्ज मुक्ति, स्वास्थ्य लाभ और पारिवारिक सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
भौम प्रदोष व्रत 2025 की तिथियां
भौम प्रदोष व्रत हर माह की त्रयोदशी तिथि को पड़ता है। वर्ष 2025 में यह निम्नलिखित तिथियों पर रहेगा—
माह | दिनांक | वार |
---|---|---|
फरवरी | 25 फरवरी 2025 | मंगलवार |
मार्च | 11 मार्च 2025 | मंगलवार |
जुलाई | 8 जुलाई 2025 | मंगलवार |
जुलाई | 22 जुलाई 2025 | मंगलवार |
दिसंबर | 2 दिसंबर 2025 | मंगलवार |
भौम प्रदोष व्रत का महत्व
- मंगल ग्रह का प्रभाव – इस व्रत को करने से मंगल दोष शांत होता है और व्यक्ति को भूमि, संपत्ति, स्वास्थ्य और दांपत्य जीवन में सुख-शांति मिलती है।
- शिव कृपा – प्रदोष व्रत भगवान शिव की उपासना का विशेष दिन माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से सभी पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- कर्ज मुक्ति – इस व्रत के प्रभाव से ऋण और आर्थिक संकट से मुक्ति मिलती है।
- शत्रु नाश – यह व्रत करने से शत्रु पर विजय मिलती है और जीवन में आने वाली बाधाएं समाप्त होती हैं।
- स्वास्थ्य लाभ – मंगल ग्रह रक्त, हड्डियों और उग्रता से संबंधित होता है। यह व्रत करने से रक्त विकार, हड्डियों की समस्या और क्रोध पर नियंत्रण प्राप्त होता है।
भौम प्रदोष व्रत की पूजन विधि
1. व्रत का संकल्प
- प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और शिव उपासना का संकल्प लें।
- “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें और दिनभर फलाहार या निराहार व्रत करें।
2. पूजन सामग्री
- गंगाजल, कुमकुम, चंदन, बेलपत्र, धतूरा, दूध, दही, घी, शहद, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य (फलों और मिठाइयों का प्रसाद)।
- शिवलिंग का अभिषेक करने के लिए दूध, जल, शहद, दही और पंचामृत का प्रयोग करें।
3. संध्या काल की पूजा (प्रदोष काल)
- प्रदोष व्रत की पूजा सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले से लेकर सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है।
- इस समय शिवलिंग पर जल और पंचामृत चढ़ाएं और बेलपत्र अर्पित करें।
- धूप, दीप जलाकर शिव चालीसा और रुद्राष्टक का पाठ करें।
- “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
- अंत में आरती करें और प्रसाद बांटें।
4. ब्राह्मण और जरूरतमंदों को दान दें
- इस व्रत में गरीबों को लाल वस्त्र, मसूर दाल, तांबे के बर्तन और गुड़ का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- व्रत की समाप्ति पर भगवान शिव से सकल कामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करें और प्रसाद ग्रहण करें।
भौम प्रदोष व्रत की कथा
प्राचीन काल में एक गरीब ब्राह्मण और उसकी पत्नी शिव भक्ति में लीन रहते थे, लेकिन उनके पास धन और संतान का अभाव था। उन्होंने भौम प्रदोष व्रत करना शुरू किया और भगवान शिव की कृपा से उन्हें धन-संपत्ति के साथ संतान की प्राप्ति हुई।
एक अन्य कथा के अनुसार, चंद्रदेव को श्राप से मुक्त करने के लिए भगवान शिव ने प्रदोष काल में उन्हें आशीर्वाद दिया था। इसी कारण यह समय शिव भक्ति के लिए सबसे शुभ माना जाता है।
भौम प्रदोष व्रत के लाभ
✅ मंगल दोष शांत होता है
✅ कर्ज से मुक्ति मिलती है
✅ स्वास्थ्य में सुधार होता है
✅ भूमि, मकान और संपत्ति की प्राप्ति होती है
✅ शत्रुओं से रक्षा होती है
✅ सुख-शांति और समृद्धि बढ़ती है
निष्कर्ष
भौम प्रदोष व्रत भगवान शिव और मंगल ग्रह की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से मंगल दोष, कर्ज, स्वास्थ्य समस्याओं और पारिवारिक कलह से मुक्ति दिलाने वाला है। नियमपूर्वक इस व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है।
यदि आप इस व्रत को करना चाहते हैं, तो उपरोक्त नियमों का पालन करें और भगवान शिव की पूजा कर उनकी कृपा प्राप्त करें। 🚩🙏
मंगलवार को पूजा करते समय क्या नहीं करना चाहिए?
https://www.youtube.com/@bhaktikibhavnaofficial