भैरव बाबा की कृपा पाने का सर्वोत्तम दिन — भैरव अष्टमी
भैरव अष्टमी का महत्व
भैरव अष्टमी पर श्रद्धा और भक्ति से की गई पूजा से साधक को अनेक लाभ मिलते हैं —
- जीवन में भय, शत्रु और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।
- व्यापार, नौकरी और धन से जुड़ी रुकावटें दूर होती हैं।
- घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
- राहु, केतु और शनि से जुड़ी ग्रह बाधाएँ शांत होती हैं।
- व्यक्ति के भीतर आत्मबल और आत्मविश्वास बढ़ता है।
इस दिन भैरव जी की सवारी श्वान (कुत्ता) को भोजन कराने का भी विशेष महत्व है। यह माना जाता है कि ऐसा करने से भैरव बाबा अत्यंत प्रसन्न होते हैं और अपनी कृपा बनाए रखते हैं।
भैरव अष्टमी पूजा विधि
- प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- घर या मंदिर में भैरव बाबा की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएँ।
- काले तिल, सरसों का तेल, नारियल, पुष्प, धूप और दीप से भगवान भैरव की पूजा करें।
- “ॐ कालभैरवाय नमः” या “ॐ हं ह्रां ह्रीं भैरवाय नमः” मंत्र का 108 बार जप करें।
- भैरव बाबा को गुड़, उड़द, काले तिल, नारियल और इमरती का भोग लगाएँ।
- किसी भूखे या कुत्ते को रोटी और दूध अवश्य दें।
भैरव अष्टमी का आध्यात्मिक रहस्य
भैरव बाबा साधना और तंत्र मार्ग के अधिष्ठाता देव हैं। कहा जाता है कि जो साधक इस दिन भैरव जी की आराधना करता है, उसके भीतर का भय समाप्त हो जाता है और वह सच्चे आत्म-ज्ञान की दिशा में आगे बढ़ता है।
भैरव अष्टमी केवल पूजा का दिन नहीं, बल्कि भय से मुक्ति और सत्य से जुड़ने का अवसर है।
भैरव अष्टमी व्रत का नियम
- अष्टमी तिथि के दिन उपवास रखकर केवल फलाहार करें।
- दिनभर भगवान भैरव का ध्यान और जप करें।
- शाम को भैरव मंदिर जाकर दर्शन और आरती करें।
- रात्रि में दीपदान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
निष्कर्ष
भैरव अष्टमी वह दिन है जब भगवान भैरव अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं। इस दिन सच्चे मन, निष्कपट भावना और भक्ति के साथ पूजा करने से सफलता, सुरक्षा, धन और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
इसलिए कहा गया है —
“भैरव अष्टमी का दिन ही वह श्रेष्ठ समय है, जब भय का अंत और भैरव की कृपा का आरंभ होता है।”
1. भय और संकट से मुक्ति
भैरव बाबा “भय के हरने वाले” देवता हैं। जो व्यक्ति निरंतर डर, चिंता या किसी अज्ञात भय में जी रहा हो, उसे भैरव अष्टमी पर भैरव जी की पूजा अवश्य करनी चाहिए। इससे मनोबल बढ़ता है, आत्मविश्वास जागृत होता है और जीवन में आने वाले संकट अपने आप टल जाते हैं।
2. शत्रु और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा
भैरव बाबा को न्याय के देवता कहा गया है। वे अपने भक्तों के शत्रुओं का नाश करते हैं और उन्हें अदृश्य बुराईयों से सुरक्षा प्रदान करते हैं। यदि किसी व्यक्ति पर नज़र दोष, तंत्र-मंत्र या किसी प्रकार की बुरी शक्ति का प्रभाव हो, तो भैरव अष्टमी पर पूजा से ये सभी प्रभाव समाप्त हो जाते हैं।
3. धन और व्यवसाय में वृद्धि
भैरव अष्टमी पर व्रत और पूजा करने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। व्यापार में लाभ बढ़ता है, रुका हुआ पैसा वापस मिलता है और घर में धन की स्थिरता आती है। जो व्यक्ति भैरव बाबा को तेल का दीपक जलाता है और उड़द या गुड़ का भोग लगाता है, उसके जीवन में दरिद्रता समाप्त होती है।
4. गृह-कलह और बाधाओं से मुक्ति
भैरव जी की कृपा से घर-परिवार में शांति और सामंजस्य आता है। वैवाहिक जीवन में प्रेम और समझ बढ़ती है। यदि घर में बार-बार झगड़े या अशांति होती है, तो भैरव अष्टमी के दिन दीपदान करने और भैरव चालीसा पढ़ने से वातावरण शुद्ध और शांत होता है।
5. पाप और नकारात्मक कर्मों से मुक्ति
भैरव बाबा पापों को क्षमा करने वाले देवता हैं। भैरव अष्टमी पर भक्ति भाव से पूजा करने से व्यक्ति के पिछले जन्मों के बुरे कर्म और पाप नष्ट होते हैं। इससे आत्मा को शुद्धि मिलती है और मन में शांति का अनुभव होता है।
6. ग्रह दोषों से राहत
शनि, राहु और केतु जैसे ग्रहों से जुड़ी पीड़ाएँ भैरव अष्टमी पर पूजा से शांत हो जाती हैं। विशेष रूप से जिन लोगों की कुंडली में राहु-केतु दोष, कालसर्प योग या शनि की साढ़ेसाती चल रही हो, उनके लिए यह दिन अत्यंत लाभकारी है।
7. सफलता और प्रगति का आशीर्वाद
भैरव बाबा के भक्त को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। शिक्षा, नौकरी, करियर या किसी प्रतियोगिता में सफलता पाने के लिए भैरव अष्टमी का व्रत अत्यंत शुभ होता है। यह दिन नए कार्य की शुरुआत के लिए भी श्रेष्ठ माना गया है।
8. आध्यात्मिक शक्ति और साधना में प्रगति
भैरव बाबा तंत्र साधना और आध्यात्मिक उन्नति के अधिपति हैं। भैरव अष्टमी पर ध्यान और जप करने से साधक के भीतर आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है। साधना में आ रही बाधाएँ दूर होती हैं और साधक को दिव्य अनुभव प्राप्त होते हैं।
9. श्वान (कुत्ते) को भोजन कराने का पुण्य
भैरव बाबा की सवारी कुत्ता है। इस दिन किसी भूखे कुत्ते को भोजन कराना अथवा उसे प्रेमपूर्वक खिलाना अत्यंत शुभ माना गया है। इससे भैरव बाबा तुरंत प्रसन्न होते हैं और साधक को अपनी कृपा प्रदान करते हैं।
10. संपूर्ण जीवन में सुख, समृद्धि और सुरक्षा
भैरव अष्टमी व्रत करने वाले व्यक्ति के जीवन से दरिद्रता, रोग, भय और शत्रुता समाप्त हो जाती है। भैरव बाबा की कृपा से वह जीवनभर सुरक्षित रहता है और उसके घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
उत्पन्ना एकादशी व्रत में सेवन योग्य सात्त्विक भोजन
