भैया दूज 2025: इस साल कब करें भाई का तिलक?
भैया दूज 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
- तिथि: द्वितीया तिथि 22 अक्टूबर को रात्रि 8:16 बजे से शुरू होकर 23 अक्टूबर को रात्रि 10:46 बजे तक रहेगी।
- अपराह्न मुहूर्त (तिलक के लिए सर्वश्रेष्ठ समय): दोपहर 1:13 बजे से 3:28 बजे तक (2 घंटे 15 मिनट) हैं।
- ब्राह्म मुहूर्त: सुबह 4:05 बजे से 4:55 बजे तक।
- अभिजित मुहूर्त: सुबह 11:08 बजे से 11:54 बजे तक।
- निशिता मुहूर्त: रात्रि 11:06 बजे से 11:56 बजे तक।
- विजया मुहूर्त: दोपहर 1:26 बजे से 2:12 बजे तक।
इनमें से अपराह्न मुहूर्त तिलक के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।
भैया दूज की पूजा विधि
- तिलक थाली तैयार करें: थाली में रोली, चावल, दीपक, मिठाई, और नारियल रखें।
- तिलक करें: बहन भाई के माथे पर तिलक करें और उसकी लंबी उम्र की कामना करें।
- आरती और पूजा: आरती करें और भाई के अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए प्रार्थना करें।
- उपहार दें: भाई अपनी बहन को उपहार या धन दें और उसकी रक्षा का वचन लें।
कथा और महत्व
भैया दूज की कथा के अनुसार, यमराज अपनी बहन यमुनाजी से मिलने उनके घर आए थे। यमुनाजी ने उन्हें प्रेमपूर्वक भोजन कराया, तिलक किया और उनसे वचन लिया कि इस दिन हर साल वे अपनी बहन के घर भोजन के लिए आएंगे। यमराज ने यह वचन दिया और इस दिन को भाई दूज के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई।
विभिन्न क्षेत्रों में भैया दूज
- उत्तर भारत: यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करने के रूप में मनाया जाता है।
- महाराष्ट्र: यह पर्व ‘भाऊ बीज’ के नाम से जाना जाता है और भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं।
- नेपाल: यह पर्व ‘तिहार’ के रूप में मनाया जाता है, जिसमें भाई अपनी बहन को तिलक करके उसे उपहार देते हैं।
1भावनात्मक और सामाजिक लाभ
- रिश्तों को मजबूती: इस दिन बहन अपने भाई के लिए तिलक करती है और भाई अपनी बहन का सम्मान करता है। इससे परिवार में प्रेम और अपनापन बढ़ता है।
- समानता और सहयोग की भावना: भाई और बहन एक-दूसरे की सुरक्षा, सम्मान और सहायता का वचन लेते हैं, जिससे परिवार में सहयोग और एकता की भावना बढ़ती है।
- स्मृति और लगाव: बच्चों और परिवार के सदस्यों में पारिवारिक परंपराओं के प्रति सम्मान और लगाव बनता है।
2 आध्यात्मिक और धार्मिक लाभ
- भाई की लंबी उम्र की कामना: तिलक और पूजा करने से भाई के स्वास्थ्य, सफलता और लंबी उम्र के लिए आशीर्वाद मिलता है।
- कर्म और पुण्य: बहन द्वारा भाई के लिए की गई पूजा और भोजन सेवा पुण्यकारी मानी जाती है।
- यमराज की कृपा: कथा अनुसार, यमराज स्वयं अपनी बहन के घर आए थे। इस दिन तिलक और पूजा करने से मृत्यु और जीवन के संतुलन में यमराज की कृपा प्राप्त होती है।
3 आर्थिक और सामाजिक लाभ
- साझा उत्सव: परिवार में मिठाइयाँ बाँटना और उपहार देना भाई-बहन के बीच सकारात्मक अनुभव और खुशी फैलाता है।
- सांस्कृतिक शिक्षा: बच्चों को परंपरा, धार्मिक कथाओं और नैतिक मूल्यों की समझ मिलती है।
4 मानसिक और भावनात्मक लाभ
- स्नेह और सुरक्षा का अनुभव: भाई को तिलक करने और उसकी लंबी उम्र की कामना करने से बहन को आत्मसंतोष और सुरक्षा का अनुभव मिलता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: पूजा, आरती और आशीर्वाद देने से परिवार में सकारात्मक ऊर्जा और सामंजस्य बढ़ता है।
5 स्वास्थ्य लाभ (आध्यात्मिक दृष्टि से)
- मन की शांति: भक्ति और पूजा के माध्यम से मानसिक तनाव कम होता है और मन शांत रहता है।
- सकारात्मक आदतें: नियमित परंपराओं और त्यौहारों में भाग लेने से अनुशासन, समय प्रबंधन और सामाजिक जुड़ाव बढ़ता है।
भैया दूज 2025 कब है? पूरी तारीख और शुभ मुहूर्त जानिए
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भैया दूज 2025: इस साल कब करें भाई का तिलक?
भैया दूज 2025: इस साल कब करें भाई का तिलक?
