
भगवान राम के अयोध्या आगमन पर होली
भगवान श्रीराम के अयोध्या आगमन के साथ ही नगरवासियों का उल्लास अपने चरम पर पहुंच गया। यह वह क्षण था, जब 14 वर्षों के वनवास और रावण वध के बाद राम, लक्ष्मण और माता सीता के साथ अपनी जन्मभूमि अयोध्या लौटे। अयोध्यावासियों के लिए यह सिर्फ एक साधारण दिन नहीं था, बल्कि दिवाली के समान उत्सव का अवसर था।
प्रभु श्रीराम के आगमन की खुशी में अयोध्या को भव्य रूप से सजाया गया। नगरभर में दीप जलाए गए, पुष्पवर्षा की गई और हर गली-मोहल्ले में भक्ति की धारा प्रवाहित हुई। इसी आनंद के माहौल में लोगों ने रंग और गुलाल उड़ाकर अपने प्रिय राजा के स्वागत में होली जैसा पर्व मना लिया। मान्यता है कि इसी दिन अयोध्या में पहली बार होली का आयोजन हुआ, जब लोगों ने प्रेम और भक्ति के रंगों में डूबकर श्रीराम के आगमन का उत्सव मनाया।
नारियों ने मंगलगान गाए, बच्चों ने गुलाल उड़ाया और नर-नारी सभी रामनाम के संकीर्तन में लीन हो गए। यह एक ऐसी होली थी, जिसमें भक्ति, प्रेम और रामराज्य की पुनर्स्थापना का संदेश समाहित था। तब से लेकर आज तक, भगवान राम के प्रति अटूट श्रद्धा के साथ होली का पर्व उल्लासपूर्वक मनाया जाता है।
भगवान राम के अयोध्या आगमन पर मनाई गई इस ऐतिहासिक होली ने आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेम, समर्पण और आध्यात्मिक उल्लास का प्रतीक स्थापित कर दिया, जिसे आज भी हर साल हर्षोल्लास से मनाया जाता है।
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