
बृहस्पति वार व्रत कैसे करें?
बृहस्पति वार व्रत (गुरुवार व्रत) भगवान बृहस्पति (गुरु ग्रह) एवं श्री हरि विष्णु जी की कृपा प्राप्त करने हेतु किया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से विवाह, संतान सुख, ज्ञान, धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए किया जाता है। इस व्रत को लगातार 11, 21 या 51 गुरुवार तक किया जाता है। नीचे इसका विधिवत तरीका बताया गया है:
🌞 बृहस्पति वार व्रत विधि (व्रत करने की विधि)
1. व्रत का संकल्प लें:
- व्रत प्रारंभ करने से पहले किसी एक गुरुवार को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके भगवान विष्णु एवं बृहस्पति देव का ध्यान करें।
- मन में व्रत की संख्या तय कर लें – जैसे 11, 21 या 51 गुरुवार।
2. व्रत के दिन नियम:
- पीला वस्त्र धारण करें।
- केले के पेड़ की पूजा भी की जाती है।
- भोजन में पीले रंग की वस्तुएं जैसे चने की दाल, हल्दी, बेसन, केसर, पीली मिठाई आदि शामिल करें।
- इस दिन नाखून नहीं काटें, बाल नहीं धोएं, और झूठ नहीं बोलें।
- ब्राह्मण या गरीबों को भोजन कराएं।
3. पूजन विधि:
- पीले वस्त्रों में सजे स्थान पर भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- पीले फूल, हल्दी, चने की दाल, गुड़, और केला चढ़ाएं।
- बृहस्पति देव को पीले चने की दाल और गुड़ का भोग लगाएं।
- कथा सुनें या पढ़ें (नीचे दी गई है)।
- “ॐ बृं बृहस्पतये नमः” मंत्र का जाप करें (108 बार)।
4. ब्रत कथा (संक्षिप्त में):
- एक गरीब ब्राह्मणी हर गुरुवार व्रत करती थी। उसके पति ने उपहास किया और पूजा में बाधा डाली।
- बाद में वह पति अंधा हो गया और भिखारी बना।
- ब्राह्मणी ने व्रत जारी रखा और भगवान विष्णु की कृपा से उसका पति ठीक हो गया और उन्हें धन-समृद्धि मिली।
5. व्रत का समापन (उद्यापन):
- निर्धारित गुरुवारों के बाद उद्यापन करें।
- 5 या 11 ब्राह्मणों को पीला वस्त्र, दक्षिणा, केला, हल्दी, चने की दाल आदि दें।
- प्रसाद वितरण करें और भगवान का आशीर्वाद लें।
📿 महत्वपूर्ण मंत्र:
“ॐ बृं बृहस्पतये नमः”
यह मंत्र नियमित जाप के लिए सर्वश्रेष्ठ है।
🍲 क्या खाएं और क्या न खाएं?
खाएं:
- पीली मिठाई
- बेसन से बनी चीजें
- चने की दाल
- केला
- हल्दी मिला भोजन
न खाएं:
- नमक (कुछ लोग नमक त्यागते हैं)
- मांस-मछली, प्याज-लहसुन
- तामसिक भोजन
- बृहस्पति वार व्रत कैसे करें?
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