
बृहस्पतिवार व्रत विधि (गुरुवार व्रत विधि):
बृहस्पतिवार व्रत विधि (गुरुवार व्रत विधि):
बृहस्पतिवार (गुरुवार) का व्रत भगवान विष्णु और गुरु बृहस्पति को समर्पित है। यह व्रत सुख, समृद्धि, और ज्ञान प्राप्ति के लिए किया जाता है। इस व्रत को करने की विधि निम्नलिखित है:
व्रत की तैयारी:
- व्रत का संकल्प:
व्रत से एक दिन पहले संकल्प लें कि आप बृहस्पतिवार का व्रत रखेंगे और भगवान विष्णु की पूजा करेंगे। - सुबह जल्दी उठें:
व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
व्रत विधि:
- पूजा की तैयारी:
- पूजा स्थल को साफ करके वहां एक चौकी रखें।
- चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं।
- भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- साथ में गुरु बृहस्पति की तस्वीर या यंत्र भी रख सकते हैं।
- पूजा सामग्री:
- पीले फूल, पीले फल (केला), चने की दाल, हल्दी, चंदन, अक्षत (चावल), धूप, दीपक, नैवेद्य (भोग), और तुलसी दल।
- पूजा विधि:
- सबसे पहले भगवान विष्णु और गुरु बृहस्पति का ध्यान करें।
- उन्हें पीले फूल, चंदन, और हल्दी अर्पित करें।
- धूप और दीपक जलाएं।
- केले या अन्य पीले फलों का भोग लगाएं।
- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” या “ॐ बृहस्पतये नमः” मंत्र का जाप करें।
- भगवान विष्णु और गुरु बृहस्पति की आरती करें।
- कथा सुनना:
- बृहस्पतिवार व्रत की कथा सुनें या पढ़ें। यह कथा व्रत के महत्व और फल को बताती है।
- दान करना:
- व्रत के दिन पीले वस्त्र, पीले फल, या अनाज का दान करना शुभ माना जाता है।
व्रत में क्या खाएं:
- व्रत के दिन सात्विक भोजन करें।
- पीले रंग के खाद्य पदार्थ जैसे केला, चने की दाल, या हलवा खा सकते हैं।
- कुछ लोग फलाहार या एक समय का भोजन करते हैं।
व्रत का पारण:
- अगले दिन सुबह स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करें।
- फिर सात्विक भोजन करके व्रत का पारण करें।
व्रत का महत्व:
- यह व्रत गुरु बृहस्पति के आशीर्वाद से ज्ञान, धन, और सुख-समृद्धि प्रदान करता है।
- इस व्रत से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में स्थिरता आती है।
नोट: व्रत करते समय मन को शांत और भक्ति भाव से भरपूर रखें। व्रत का पालन नियमित रूप से करने से अधिक लाभ मिलता है।
भूल कर भी सूर्य देव को ये फूल ना चढ़ाना
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