बृहस्पतिवर को पूजा करने के लिए शुभ समय
1. बृहस्पतिवार का महत्व
बृहस्पति देव को देवताओं का गुरु माना गया है। वे:
- ज्ञान और विद्या
- धर्म और नीति
- विवाह और दांपत्य सुख
- संतान सुख
- धन और भाग्य
के कारक हैं। इसलिए बृहस्पतिवार को की गई पूजा विशेष रूप से फलदायी होती है।
2. बृहस्पतिवार पूजा का सर्वश्रेष्ठ शुभ समय
(क) ब्रह्म मुहूर्त
- समय: सूर्योदय से लगभग 1 घंटा 36 मिनट पहले
- महत्व:
- यह समय अत्यंत पवित्र और सात्त्विक माना जाता है
- इस समय मंत्र जाप और ध्यान करने से शीघ्र फल मिलता है
- किसके लिए श्रेष्ठ:
- विद्यार्थी
- साधक
- गुरु कृपा प्राप्ति के इच्छुक व्यक्ति
(ख) सूर्योदय के बाद का समय (प्रातः काल)
- समय: सूर्योदय से लेकर लगभग सुबह 10:30 बजे तक
- महत्व:
- यह समय बृहस्पति पूजा के लिए सबसे अधिक प्रचलित और शुभ माना जाता है
- केले के वृक्ष की पूजा, जल अर्पण और व्रत संकल्प इसी समय किया जाता है
केले के पेड़ की पूजा का श्रेष्ठ समय भी यही है।
(ग) गुरु होरा
- बृहस्पतिवार के दिन बृहस्पति ग्रह की होरा अत्यंत शुभ होती है
- इस समय में:
- बृहस्पति मंत्र जाप
- पीली वस्तुओं का दान
- व्रत कथा श्रवण
- विशेष पूजा
करने से बृहस्पति ग्रह शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
नोट: गुरु होरा का समय स्थान और सूर्योदय के अनुसार बदलता है।
(घ) अभिजीत मुहूर्त
- समय: लगभग दोपहर 12:00 से 12:48 बजे तक
- महत्व:
- यह मुहूर्त सर्वसिद्ध माना जाता है
- यदि प्रातः पूजा न हो पाए तो इस समय पूजा की जा सकती है
(ङ) संध्या काल (विशेष स्थिति में)
- समय: सूर्यास्त से पहले का समय
- महत्व:
- यदि किसी कारणवश दिन में पूजा न हो सके
- तो दीपक जलाकर मंत्र जाप किया जा सकता है
3. किन समयों में पूजा नहीं करनी चाहिए
- राहुकाल
- यमगंड काल
- गुलिक काल
इन समयों में पूजा, व्रत संकल्प और नए कार्य आरंभ करने से बचना चाहिए।
(हालाँकि साधारण मंत्र जाप किया जा सकता है।)
4. बृहस्पतिवार व्रत का संकल्प कब लें?
- व्रत का संकल्प सूर्योदय के बाद लेना सबसे शुभ माना जाता है
- स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें
- हाथ में जल, पीले पुष्प और चावल लेकर संकल्प लें
5. केले के वृक्ष की पूजा का शुभ समय
- सर्वश्रेष्ठ समय:
- सूर्योदय से 10:30 बजे तक
- इस समय:
- जल, दूध, हल्दी अर्पित करें
- पीले फूल चढ़ाएँ
- केले के वृक्ष की परिक्रमा करें
6. पूजा का समय और लाभ का संबंध
| पूजा का समय | प्राप्त लाभ |
|---|---|
| ब्रह्म मुहूर्त | ज्ञान, आत्मिक शांति |
| प्रातः काल | विवाह, धन, संतान सुख |
| गुरु होरा | कुंडली दोष शांति |
| अभिजीत मुहूर्त | बाधा निवारण |
7. विशेष ज्योतिषीय मान्यता
यदि कुंडली में:
- बृहस्पति कमजोर हो
- विवाह में देरी हो
- संतान सुख में बाधा हो
- धन रुक-रुक कर आता हो
तो बृहस्पतिवार को शुभ समय में पूजा करना अत्यंत आवश्यक माना जाता है।
8. निष्कर्ष
बृहस्पतिवार को पूजा करने का सबसे शुभ समय सूर्योदय से पूर्व ब्रह्म मुहूर्त और सूर्योदय के बाद प्रातः काल माना गया है। सही समय, श्रद्धा और विधि-विधान से की गई पूजा से बृहस्पति देव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और जीवन में सुख, समृद्धि तथा सकारात्मक परिवर्तन लाते हैं।
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