
बहुला चतुर्थी व्रत 2025: विधि, कथा व पूजा नियम
बहुला चतुर्थी व्रत 2025: विधि, कथा व पूजा नियम
2025 में बहुला चतुर्थी व्रत (जिसे बोहुला चौथ या बोल चौथ भी कहा जाता है) 12 अगस्त, 2025 के दिन रखा जाएगा। यह व्रत भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर पड़ता है:
- चतुर्थी तिथि प्रारंभ होगी — 12 अगस्त, 2025 की सुबह लगभग 08:40 बजे से
- तिथि समाप्त होगी — 13 अगस्त, 2025 की सुबह लगभग 06:35 बजे तक
पूजा विधि और शुभ मुहूर्त विवरण (कुछ प्रचलित स्रोतों के अनुसार):
- पूजा का गोधुलि मुहूर्त — शाम लगभग 06:50 से 07:16 बजे तक
- चंद्रोदय (चाँद निकलने का समय) — रात लगभग 08:59 बजे लगभग
संक्षेप तालिका
श्रेणी | जानकारी |
---|---|
व्रत तारीख | 12 अगस्त 2025 (सुबह से प्रारंभ) |
तिथि समाप्त | 13 अगस्त 2025 (सुबह होने तक) |
गोधुलि मुहूर्त | शाम 06:50 – 07:16 बजे तक |
चंद्रोदय समय | रात लगभग 08:59 बजे |
🌸 बहुला चतुर्थी का महत्व:
बहुला चतुर्थी व्रत भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। यह विशेष रूप से गौ-पूजा और गणेश पूजा से जुड़ा पर्व है। इस दिन गाय और उसके बछड़े की पूजा कर उनका आभार व्यक्त किया जाता है। इस व्रत का पालन संतान की मंगलकामना, पापों की मुक्ति, और सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है।
🛐 व्रत विधि:
- स्नान आदि के बाद संकल्प लें – व्रत के नियमों का पालन करने का निश्चय करें।
- गाय और बछड़े की पूजा करें – प्रातः काल में गौ माता और उसके बछड़े को स्नान कराकर हल्दी, चावल, फूल, रोली आदि से पूजन करें।
- गाय को प्रिय भोज्य दें – गाय को चारा, रोटी, गुड़, हरा चारा आदि अर्पित करें।
- गणेश जी की पूजा करें – मिट्टी या धातु की गणेश प्रतिमा की स्थापना करके उन्हें धूप, दीप, नैवेद्य, दूर्वा, मोदक आदि अर्पित करें।
- व्रत कथा सुनें या पढ़ें – बहुला चतुर्थी व्रत की कथा का श्रवण करना अनिवार्य है।
- दिन भर उपवास करें – व्रती फलाहार पर रहते हैं और निर्जला व्रत भी किया जाता है।
- रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य दें – चंद्रोदय के बाद अर्घ्य देकर व्रत पूर्ण करें।
📖 बहुला चतुर्थी व्रत कथा (संक्षेप में):
प्राचीन समय में एक गाय थी जिसका नाम बहुला था। वह प्रतिदिन चरागाह में जाती और शाम को लौटकर अपने बछड़े को दूध पिलाती। एक दिन रास्ते में एक सिंह ने उसे रोका और खाने की इच्छा जताई। बहुला ने सिंह से विनती की कि वह पहले अपने बछड़े को दूध पिलाना चाहती है, फिर स्वयं वापस आ जाएगी। सिंह ने संदेह किया, लेकिन बहुला की सच्चाई और वचनबद्धता देखकर उसे जाने दिया।
बहुला बछड़े को दूध पिलाकर वापस लौट आई। सिंह उसकी सत्यता देखकर प्रसन्न हुआ और उसे आशीर्वाद देकर छोड़ दिया। यह कथा सत्य, धर्म, वचनबद्धता और मातृत्व के प्रतीक रूप में पूजी जाती है।
📜 व्रत नियम:
- व्रत के दिन मांस-मदिरा, प्याज, लहसुन आदि का सेवन न करें।
- गौमाता को कष्ट न दें, उनके चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लें।
- सत्य भाषण, दया, विनम्रता और सात्विकता का पालन करें।
- रात्रि में चंद्रमा को दूध मिश्रित जल से अर्घ्य दें।
🙏 लाभ:
- संतान सुख में वृद्धि
- पापों से मुक्ति
- पारिवारिक सुख-शांति
- गोसेवा के पुण्य का लाभ
- मनोकामना पूर्ति
बहुला चतुर्थी व्रत 2025: विधि, कथा व पूजा नियम
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