
प्रदोष व्रत कथा:
प्रदोष व्रत कथा 🙏📖
प्राचीन काल में एक ब्राह्मण अपनी पत्नी और पुत्र के साथ अत्यंत निर्धनता में जीवन व्यतीत कर रहा था। उसका पुत्र बहुत ही धार्मिक और शिव भक्त था। एक दिन ब्राह्मण की मृत्यु हो गई, जिससे परिवार की स्थिति और भी खराब हो गई।
ब्राह्मण की पत्नी अपने पुत्र के साथ गांव-गांव भिक्षा मांगकर जीवनयापन करने लगी। एक दिन वे दोनों जंगल में भटक रहे थे, तभी उनकी मुलाकात विदर्भ देश के राजकुमार से हुई। राजकुमार भी अपने पिता की मृत्यु के बाद राज्य से निर्वासित कर दिया गया था और दर-दर भटक रहा था।
ब्राह्मण की पत्नी ने उस राजकुमार को अपने पुत्र की तरह स्नेह दिया और उसे अपने साथ रख लिया। एक दिन वे ऋषि शांडिल्य के आश्रम में पहुंचे। ऋषि ने उन्हें बताया कि अगर वे भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो उन्हें प्रदोष व्रत रखना चाहिए।
उन्होंने ऋषि की बात मानकर पूरे विधि-विधान से प्रदोष व्रत करना शुरू किया। व्रत के प्रभाव से भगवान शिव प्रसन्न हुए और राजकुमार को उसका खोया हुआ राज्य प्राप्त हुआ। वहीं, ब्राह्मण का पुत्र भी एक विद्वान और सफल व्यक्ति बना।
यह व्रत करने से भक्तों को जीवन में सुख, समृद्धि और कष्टों से मुक्ति मिलती है। भगवान शिव अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं और उनकी हर मनोकामना पूर्ण करते हैं। 🕉️✨
प्रदोष व्रत के लाभ:
✅ भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
✅ आर्थिक और पारिवारिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
✅ रोग, शत्रु और दरिद्रता का नाश होता है।
✅ वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
✅ मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
🛕 जय भोलेनाथ! हर हर महादेव! 🙏
पीले फूल, चने की दाल, गुड़, और हल्दी अर्पित करें।