पितृ पक्ष में क्या खायें क्या नहीं खायें
“पितृ पक्ष तर्पण का शुभ मुहूर्त”
बहुत सही समय पर है, क्योंकि पितृपक्ष 7 सितंबर, 2025 से 21 सितंबर, 2025 तक है। इस दौरान तर्पण विधि के लिए दोपहर का समय ही सबसे शुभ माना जाता है।
पितृ पक्ष तर्पण का शुभ मुहूर्त (2025)

1. पितृ पक्ष अवधि
- प्रारंभ: 7 सितम्बर 2025 (भाद्रपद पूर्णिमा)
- समापन: 21 सितम्बर 2025 (सर्वपितृ अमावस्या)
2. तर्पण का सर्वोत्तम समय — दोपहर काल
- कुतुप मुहूर्त: लगभग 11:30 से 12:20 बजे तक (लगभग 50 मिनट अवधि)
- रौहिण मुहूर्त: लगभग 12:20 से 1:10 बजे तक (लगभग 50 मिनट अवधि)
- अपराह्न (दोपहर): लगभग 1:10 से 3:40 बजे तक (अधिक पुण्यदायी विस्तारित अवधि)
दैनिक जगत के अन्य स्रोतों में तर्पण हेतु दोपहर का समय अधिक उपयुक्त बताया गया है, और ब्रह्म मुहूर्त या सुबह के समय में नहीं करने की सलाह दी गई है।
3. पहला दिन (पूर्णिमा – 7 सितम्बर) के विशेष मुहूर्त
- कुतुप मुहूर्त: सुबह 11:31 AM से 12:21 PM
- रौहिण मुहूर्त: 12:21 PM से 1:11 PM
- अपराह्न काल: 1:11 PM से 3:41 PM तक (दोपहर का प्रमुख समय)
- ध्यान दें कि 7 सितम्बर को चंद्र ग्रहण के सूतक काल दोपहर 12:57 से शुरू हो रहा है, इसलिए ग्रहण से पहले यानी दोपहर 12:57 बजे से पहले तर्पण करें।
सारांश तालिका
| तिथि / दिन | शुभ मुहूर्त (तर्पण) |
|---|---|
| 7 सितम्बर (पूर्णिमा) | 11:31–12:21 PM (कुतुप), 12:21–1:11 PM (रौहिण), 1:11–3:41 PM (अपराह्न) |
| पितृपक्ष के अन्य दिन | सामान्यतः दिन के दोपहर काल (11:30 AM – 3:40 PM) सबसे श्रेष्ठ |
महत्वपूर्ण सुझाव
- प्रवेश करने से पहले ग्रहण सूतक का समय ध्यान रखें (विशेषकर 7 सितंबर को)—तर्पण सूतक से पहले ही करें।
- दक्षिण दिशा की ओर मुख करके, जनेऊ या ऊपरी वस्त्र अछादित रखकर, तांबे के पात्र में जल, काले तिल, दूध अथवा जौ मिलाकर अंजलि स्वरूप जल-तर्पण करें।
- श्राद्ध करते समय सात्विक आचरण, संयम, और पवित्रता का ध्यान रखें; ब्राह्मण, कौवे, गाय आदि को दानविहित भोजन देना शुभ माना जाता है।
🌺 पितृ पक्ष तर्पण के लाभ 🌺
पितृ पक्ष में तर्पण और श्राद्ध करने से पूर्वजों की आत्मा तृप्त होती है और उनका आशीर्वाद परिवार को अनेक प्रकार से फल प्रदान करता है।
🔆 पितृ पक्ष तर्पण से मिलने वाले लाभ
- पूर्वजों की आत्मा की शांति – तर्पण से पितरों को तृप्ति मिलती है और वे प्रसन्न होते हैं।
- पितृ दोष निवारण – कुंडली में पितृ दोष हो तो यह विधि उसके प्रभाव को कम करती है।
- संतान सुख की प्राप्ति – संतान संबंधी बाधाएँ दूर होती हैं और संतान उन्नति करती है।
- धन और समृद्धि – पितरों की कृपा से आर्थिक संकट कम होते हैं और परिवार में ऐश्वर्य बढ़ता है।
- परिवार में सुख-शांति – आपसी मतभेद और कलह दूर होकर सामंजस्य बढ़ता है।
- स्वास्थ्य लाभ – पितरों की कृपा से रोग और बाधाएँ कम होती हैं।
- आध्यात्मिक उन्नति – तर्पण से मन में कृतज्ञता, शांति और विनम्रता आती है।
- कुल की उन्नति – पितरों के आशीर्वाद से वंश में प्रगति और प्रतिष्ठा मिलती है।
- सकारात्मक ऊर्जा – घर में नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और शुभता आती है।
- धार्मिक पुण्य की प्राप्ति – तर्पण, दान और श्राद्ध करने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है।
- अवरोधों से मुक्ति – जीवन की रुकावटें, बाधाएँ और संकट दूर होते हैं।
- दीर्घायु और सुखमय जीवन – पितरों की कृपा से आयु और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है।
- पूर्वजों का आशीर्वाद – पितरों के आशीर्वाद से सभी कार्य सफल होते हैं।
- भविष्य की पीढ़ियों का कल्याण – तर्पण करने से आने वाली पीढ़ियों का मार्ग प्रशस्त होता है।
- पारिवारिक एकता – यह परंपरा परिवार को जोड़े रखती है और संबंधों में प्रेम लाती है।
🙏 निष्कर्ष
पितृ पक्ष तर्पण केवल एक धार्मिक कर्म नहीं है, बल्कि यह जीवन को सुख, समृद्धि और संतुलन प्रदान करने वाला आध्यात्मिक साधन है।
पितृ पक्ष तर्पण से जुड़ी शिक्षा (सीख) यह है कि यह केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं बल्कि हमारे कृतज्ञता भाव और परिवारिक संस्कारों की सबसे बड़ी शिक्षा देता है।
पितृ पक्ष तर्पण से मिलने वाली शिक्षा
- कृतज्ञता की शिक्षा – यह हमें अपने पूर्वजों के प्रति आभार व्यक्त करना सिखाता है।
- पारिवारिक मूल्यों का संरक्षण – परिवार के बड़ों का सम्मान और उनकी स्मृति को जीवित रखना।
- कर्तव्य का बोध – जैसे पूर्वजों ने हमें जीवन, ज्ञान और संस्कार दिए, वैसे ही हमें भी उनके प्रति अपने कर्तव्य निभाने चाहिए।
- त्याग और सेवा की भावना – ब्राह्मण, गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न दान करके सेवा का महत्व समझ आता है।
- धार्मिक अनुशासन – समय, विधि और नियमों के साथ पूजा करना अनुशासन और संयम का संदेश देता है।
- सामाजिक समानता – श्राद्ध भोज में सभी को समान भाव से भोजन कराना, समाज में बराबरी का भाव सिखाता है।
- सकारात्मक ऊर्जा – पितरों की कृपा से घर में शांति, समृद्धि और सौहार्द बढ़ता है।
- संस्कार पीढ़ियों तक पहुँचाना – अगली पीढ़ी को यह परंपरा सिखाना कि “जड़ों से जुड़ना कितना आवश्यक है”।
- धैर्य और संयम – विधिपूर्वक कर्म करना जीवन में संतुलन और धैर्य रखना सिखाता है।
- मानवता का संदेश – यह केवल पितरों के लिए नहीं, बल्कि समाज और जीवों के प्रति करुणा और प्रेम की सीख है।
🕉️ पितृ पक्ष तर्पण विधि
1. प्रातः तैयारी
- स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थान या नदी/तालाब/कुएँ के किनारे आसन लगाएँ।
- आसन पर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठें।
2. पूजा सामग्री
- तांबे/पीतल का पात्र
- गंगा जल या शुद्ध जल
- कुशा (दर्भा घास)
- काले तिल
- जौ का आटा या चावल
- पुष्प, धूप, दीप
- पितरों का फोटो/स्थान प्रतीक
- ब्राह्मण भोजन हेतु सामग्री
3. संकल्प
- जलपात्र हाथ में लेकर संकल्प करें –
“मैं अमुक गोत्र का, अपने पितरों की शांति के लिए तर्पण कर रहा हूँ।”
4. तर्पण प्रक्रिया
- जल, काले तिल और जौ मिलाकर अंजलि बनाएं।
- दोनों हाथों से जल छोड़ें और पितरों का स्मरण करें।
- यह प्रक्रिया 3 बार करें –
- पहली बार पितामह (दादा) के लिए।
- दूसरी बार प्रपितामह (परदादा) के लिए।
- तीसरी बार प्रप्रपितामह (परपरदादा) के लिए।
5. मंत्रोच्चारण (सामान्य मंत्र)
- “ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः” कहते हुए जल अर्पित करें।
- प्रत्येक तर्पण के बाद “स्वधा” शब्द बोलना अनिवार्य है।
6. ब्राह्मण और जीव पूजन
- तर्पण के बाद ब्राह्मणों को भोजन व दक्षिणा दें।
- गौ, कौवे, कुत्ते और चींटियों के लिए भोजन अलग से निकालें।
7. समापन
- अंत में पितरों से आशीर्वाद और परिवार की शांति-समृद्धि की प्रार्थना करें।
विशेष नियम
- तर्पण दोपहर काल (कुतुप, रौहिण और अपराह्न मुहूर्त) में ही करें।
- तर्पण करते समय जूते-चप्पल, चमड़े की वस्तुएँ, मांस, मदिरा आदि से दूरी रखें।
- व्रत के दिन सात्विक आहार ही ग्रहण करें।
- तर्पण के दौरान दक्षिण दिशा की ओर मुख करना सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।
🌼 पितृ पक्ष तर्पण का महत्व 🌼
पितृ पक्ष में तर्पण करना हमारे धार्मिक, आध्यात्मिक और पारिवारिक जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। यह केवल एक कर्मकांड नहीं, बल्कि पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता का प्रतीक है।
🔆 पितृ पक्ष तर्पण का महत्व
- पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति – तर्पण से पितरों की आत्मा संतुष्ट होती है और वे आशीर्वाद देते हैं।
- पितृ ऋण से मुक्ति – यह विधि हमें हमारे पूर्वजों के प्रति ऋण से मुक्त करने का मार्ग है।
- पितृ दोष निवारण – जन्म कुंडली में पितृ दोष हो तो श्राद्ध व तर्पण करने से इसका प्रभाव कम होता है।
- परिवार में शांति – पितरों की कृपा से घर में सुख-समृद्धि और आपसी सामंजस्य बढ़ता है।
- संतान सुख – तर्पण करने से संतान की उन्नति और जीवन में स्थिरता आती है।
- धन और समृद्धि की प्राप्ति – पितरों के आशीर्वाद से आर्थिक समस्याएँ कम होती हैं।
- धार्मिक कर्तव्य की पूर्ति – यह हमारे धर्मशास्त्रों द्वारा बताए गए त्रिविध ऋण (देव ऋण, ऋषि ऋण, पितृ ऋण) में से एक की पूर्ति है।
- आध्यात्मिक उन्नति – तर्पण आत्मा को विनम्र और कृतज्ञ बनाता है।
- सकारात्मक ऊर्जा का संचार – पितृ तृप्त होने पर घर में नकारात्मक ऊर्जा कम होती है।
- परंपरा का संरक्षण – यह हमारी संस्कृति और पारिवारिक मूल्यों को अगली पीढ़ियों तक पहुँचाता है।
🙏 निष्कर्ष
पितृ पक्ष तर्पण केवल धार्मिक कर्तव्य नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन में संस्कार, कृतज्ञता और शांति का संचार करता है। पूर्वजों के आशीर्वाद से जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता मिलती है।
🌿 पितृ पक्ष तर्पण के उपाय 🌿
पितृ पक्ष में तर्पण, श्राद्ध और दान करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और उनका आशीर्वाद मिलता है। साथ ही, यह उपाय करने से जीवन की कई समस्याएँ भी दूर होती हैं।
🕉️ पितृ पक्ष में करने योग्य उपाय
- जल तर्पण
- प्रतिदिन तांबे के लोटे में जल, काले तिल, कुश और जौ मिलाकर सूर्य को अर्पित करें।
- जल दक्षिण दिशा की ओर मुख करके अर्पित करना श्रेष्ठ है।
- कौवों को भोजन कराना
- कौवे पितरों के दूत माने जाते हैं। उन्हें अन्न खिलाने से पितर तृप्त होते हैं।
- गाय को भोजन और जल देना
- गाय को रोटी, हरा चारा और जल पिलाना पितरों की प्रसन्नता के लिए बहुत फलदायी है।
- गरीब और ब्राह्मणों को भोजन
- पितृ पक्ष में ब्राह्मण और जरूरतमंदों को भोजन कराना तथा वस्त्र दान करना शुभ माना जाता है।
- काले तिल का दान
- काले तिल से तर्पण और दान करने से पितृ दोष का निवारण होता है।
- पितृ गायत्री मंत्र का जाप
- “ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः” मंत्र का जप करते हुए तर्पण करें।
- इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
- सात्विक आहार और संयम
- पितृ पक्ष में मांसाहार, मदिरा, लहसुन-प्याज आदि का सेवन न करें।
- सात्विक आहार से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- दीपदान
- संध्या समय पितरों के नाम पर दीप जलाएँ।
- इससे अंधकार दूर होकर घर में सकारात्मकता आती है।
- पितरों के नाम से व्रक्षारोपण
- किसी पवित्र स्थान पर वृक्ष लगाना पितरों की स्मृति में अत्यंत शुभ माना गया है।
- सर्वपितृ अमावस्या का तर्पण
- जिनका तिथि श्राद्ध ज्ञात नहीं है, वे सर्वपितृ अमावस्या के दिन तर्पण अवश्य करें।
🌸 निष्कर्ष
पितृ पक्ष में इन उपायों को अपनाने से पितर प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद परिवार को सुख-समृद्धि, संतान-सुख और सफलता प्रदान करता है।
अनंत चतुर्दशी व्रत अनंत सूत्र (पवित्र डोरी) का महत्व
