पितृ कृपा पाने के लिए मोक्षदा एकादशी तर्पण विधि
1. मोक्षदा एकादशी का महत्व
- यह एकादशी विशेष रूप से पितरों को मोक्ष देने वाली मानी गई है।
- यह गीता-जयन्ती का भी दिन है, इसलिए इस दिन विष्णु उपासना और गीता श्रवण/पाठ का विशेष पुण्य माना गया है।
- इस दिन किया गया एकादशी व्रत व पितृ तर्पण पितरों को संतुष्ट करके उनके अभिशाप, बाधा, पितृदोष को शांत करने वाला माना जाता है।
2. आवश्यक सामग्री
- स्वच्छ जल (तांबे या चांदी के लोटे में)
- काला तिल
- कुशा
- दूध, शहद (ऐच्छिक)
- सफेद या पीली धोती/वस्त्र
- आसन
- तर्पण के लिए दक्षिण दिशा की ओर मुख
- पितृ-तर्पण मंत्र (नीचे दिए गए हैं)
3. तर्पण से पहले की तैयारी
- प्रातः स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें।
- घर में उत्तर-पूर्व (ईशान) में छोटा सा पूजा-स्थान तैयार करें।
- भगवान विष्णु/कृष्ण की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- दीप-धूप जलाकर ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का कम से कम 21 बार जाप करें।
- यदि व्रत रख रहे हों तो संकल्प लें।
4. तर्पण की दिशा और आसन
- मुख – दक्षिण दिशा की ओर (पितर दिशा)
- आसन – कुशा या ऊन का
- जल में काले तिल व कुशा डालकर तर्पण करना सबसे उत्तम माना गया है।
5. पितृ तर्पण की विधि — चरणबद्ध
(1) संकल्प
दाएँ हाथ में थोड़ा जल लेकर यह संकल्प करें—
“आज मोक्षदा एकादशी के पावन अवसर पर मैं अपने पितृगणों की शांति, मोक्ष और कृपा-प्राप्ति हेतु तर्पण करता/करती हूँ।”
(2) तिलोदक तैयार करना
लोटे में जल भरें → 1 चुटकी काला तिल डालें → कुशा का टुकड़ा डालें।
(3) तर्पण की मूल प्रक्रिया
- अंगूठे और तर्जनी के बीच की जगह से जल गिराते हुए तर्पण किया जाता है।
- प्रत्येक तर्पण में मन में पितरों का स्मरण करें।
- यदि नाम पता हों तो नाम के साथ लें, न हों तो “ज्ञात-अज्ञात” कहें।
मूल तर्पण मंत्र
हर तर्पण के साथ निम्न मंत्र बोलें:
“ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः, इदं जलं तिलयुतं पितृभ्यः स्वधा।”
(प्रत्येक मंत्र के बाद जल अर्पित करें)
पितृ तर्पण क्रम
- पितृ तर्पण
- पिता, पितामह, प्रपितामह
- मातृ तर्पण
- माता, मातामह, प्रमातामह
- भ्राता, मातुल, गुरु, कुलदेवता तर्पण (इच्छा अनुसार)
- अन्य ज्ञात-अज्ञात पितर तर्पण
“ॐ सर्वेभ्यः पितृदेवेभ्यः स्वधा नमः”
विशेष मोक्षदा तर्पण मंत्र
इसे 3 या 11 बार बोलें—
“ॐ श्रीविष्णुवरद पितृमोक्षप्रदाता नमः।”
यह एकादशी-विशेष शांति मंत्र माना गया है।
6. तर्पण के बाद
- पितरों के नाम से ब्राह्मण को भोजन/दक्षिणा देना श्रेष्ठ मानी जाती है।
- यदि संभव हो तो गीता का 18वाँ अध्याय पढ़ें या सुनें।
- शाम को भगवान विष्णु की आरती करें।
- रात्रि में सात्विक भोजन या व्रत के नियम अनुसार फलों का सेवन करें।
7. विशेष नियम और सावधानियाँ
- तर्पण हमेशा स्नान के बाद, शुद्ध अवस्था में करें।
- तर्पण में लोहे/प्लास्टिक का उपयोग न करें।
- एकादशी के दिन अनाज न खाएँ (यदि व्रत का पालन कर रहे हों)।
- तर्पण में “हूँ, फट” जैसे तीखे शब्दों का प्रयोग नहीं होता।
- स्त्रियाँ भी तर्पण कर सकती हैं (लोकमान्यता अनुसार विधवा/सौभाग्यवती दोनों)।
8. मोक्षदा एकादशी पर विशेष उपाय (पितृदोष शांति)
यदि कोई पितृदोष की समस्या झेल रहा हो तो—
- तुलसी में 11 दीपक जलाएँ।
- 108 बार “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” जप करें।
- गऊ-सेवा या भोजन कराएँ।
- अपने पितरों की अमावस्या पर नियमित तर्पण करें।
पापों से मुक्ति दिलाने वाली मोक्षदा एकादशी
